MORAL STORIES IN HINDI – दुनिया की सर्वश्रेष्ट हिंदी नैतिक कहानियां

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MORAL STORIES IN HINDI

दुनिया की सबसे बड़े ‘हिंदी नैतिक कहानियाँ(moral stories in Hindi)’ संग्रह में आज तक की सबसे बेहतरीन हिंदी कहानियां(story in Hindi) यहाँ पर दी गयी हैं. इन्टरनेट की दुनिया में आज तक की सबसे नई और यूनिक कहानियां(Hindi stories) यहाँ पर लिखी गयी हैं.

हमने Moral Hindi Stories को लेकर नीचे विषयवस्तु भी दी हैं, ताकि आप हमारी कंटेंट सामग्री को ठीक से समझ सके. आपको इन हिंदी कहानियों में क्या क्या जानने को मिलेगा-:

1 ऐसी कहानी जो आपने आज तक कभी न पढ़ी होगी – Any Story in Hindi

2 कहानी का नैतिक – Story in Hindi With Moral

3 कहनी से सम्बंधित इमेज – Story With Image

4   कहानी का सुन्दर पीडीऍफ़ – Moral Story pdf Download

So here begins our moral stories…

Moral Story in Hindi

डॉक्टर छमिया लोमड़ी

दोस्तों यह बात हैं अफ्रीका के कांगो जंगल की हैं. कांगो जंगल में सैकड़ों छोटे छोटे गाँव थे. उसी जंगल में एक छोटा-सा टाउन था जिसका नाम था – जुम्बा.

 जुम्बा में कोई इंसान नहीं रहते थे, बल्कि जुम्बा एक जानवरों से सम्पन्न गाँव था.

आस पास के सभी गावों में जुम्बा सबसे प्रसिद्ध गाँव था. इसक कारण यह था कि – जुम्बा में हॉस्पिटल, स्कूल और खेल का एक मैदान भी था. इसीलिए जुम्बा के लोग आस पास के गाँवो से ज्यादा पढ़े लिखे होते थे.

दूर दराज से सभी जंगली बच्चे पढने के लिए यहीं पर आते थे. अगर कीसी को कोई बीमारी हो जाती तो इलाज के लिए सीधे छमिया ताई के पास आते. इसीलिए जुम्बा गाँव का दूर दूर तक बोल बाला था.

छमिया ताई एक बूढी लोमड़ी हैं, जो सभी मरीजो का इलाज पांच रूपये में करती है. छमिया यहाँ की एकमात्र डॉक्टर हैं, दरअसल छमिया चाहती थी कि उसका बेटा भी गाँव का डॉक्टर बने लेकिन वह पढाई करके कही शहर में जाकर बस गया.

वैसे तो जुम्बा में बारिश बहुत कम होती है लेकिन बारिश के मौसम पानी के कारण यहाँ पर निफा नाम की बीमारी फ़ैल जाती हैं. निफा बीमारी यहाँ के जानवरों के लिए एक महामारी से कम नहीं थी.

अबकी बार निफा का प्रकोप कुछ ज्यादा ही था. छमिया लोमड़ी ने लैब में टेस्ट कर बताया कि निफा बूढ़े लोगो को सबसे ज्यादा खतरा देगा, उनकी जान भी ले सकता हैं.

छमिया ने गाँव के सरपंच भालू से बात कर सभी जगह इस तरह के पोस्टर लगवा दिए.

बीमारी से बचना,

तो घर में ही रहना.

अगर जीवन को हैं बचाना,

तो दो चार सप्ताह मत नहाना.

 जानवरों को इतना कहने के बाद भी वे बारिश का आनंद लेते रहते और बीमार पड़ने पर छमिया के सामने जाकर खड़े हो जाते. छमिया बेचारी अपना काम समझकर उनका इलाज कर देती थी.

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जानवर लापरवाही करते गए और निफा बीमारी और अधिक फैलती गयी. मरीजो का इलाज करते करते छमिया ताई को भी निफा हो गया. छमिया ताई ने मरीज की तरह बिस्तर पकड़ लिया. अब पूरे गाँव में इलाज करने वाला दूसरा कोई नहीं था.  

बीमारी अधिक फैलती गयी और लोग को मरने की संख्या भी काफी बढ़ चुकी थी.

छमिया को इस बात का बहुत दुःख था कि अब वह किसी का इलाज नहीं कर सकती हैं. लेकिन छमिया से रहा न गया और उसने वैक्सीन बनाने का फैला किया.

अगले दिन छमिया ने सरपंच भालू से कहकर एक मीटिंग बुलवाई.

छमिया ने कहा कि – मैं बहुत जल्द इस बीमारी की वैक्सीन बनाने वाली हूँ. लेकिन मुझको इसके परिक्षण के लिए तीन  लोगो की जरुरत पड़ेगी. क्या आप में से कोई तीन लोग तैयार हैं? और याद रखे कि इसमें आपकी जान को खतरा भी हो सकता हैं. लेकिन अगर एक बार हमारा टेस्ट सफल हो गया तो फिर हमारे लाखों जानवरों को इस बीमारी से बचाया जा सकता हैं.  

सभी जानवर एक दुसरे का मुंह देखने लगे? और कोई राजी नहीं हुआ.

छमिया को बूरा लगा लेकिन उसने ठान लिया कि वह लोगो को इस तरह मरने नहीं देगी. छमिया ने तय किया कि सबसे पहले वह खुद पर ही इस वैक्सीन को आजमाएगी.

छमिया गुप्त तरीके से पांच दिनों तक जंगल में घुमती रही और जड़ी बूटियों को इकट्ठी करती रही. जड़ी बूटियों को लेकर वह हॉस्पिटल में आई और उसने एक “दमदार वैक्सीन” का निर्माण किया.

 दरअसल दमदार को लेने के बाद कोई भी जानवर चार घंटो के लिए गहरी नींद में सो जाता हैं. अगर चार घंटो के बाद नहीं उठा तो यह टेस्ट फ़ैल हो जायेगा.

छमिया ने अपने बेटे और गाँव को एक पत्र लिखा और कहा कि – अगर दवाई लेने के बाद मैं नहीं उठी तो….’सभी गाँव वाले मुझे माफ़ कर देना, मैं आपको इस बीमारी से नहीं बचा पायी. मेरे बेटे से कहना कि – सच्ची भलाई में किसी प्रकार का लालच नहीं देखा जाता हैं, अगर तुम गाँव में रहकर लोगो कि सेवा करोगे तो तुम्हे इन गरीब लोगों की सेवा का पुण्य मिलेगा.’

छमिया लोमड़ी ने ये लिखकर खुद को दमदार का डोज लगा दिया. और एक कपडा ओढ़कर सो गयी. चार घंटो के बाद छमिया नहीं उठी.

किसी ने आवाज़ लगाई और गाँव वाले हॉस्पिटल के बाहर इक्कठे हो गए. सरपंच ने सभी को पत्र सुनाया, सभी गाँव वाले रोने लगे और छमिया को याद करने लगे.

सरपंच ने तुरंत छमिया के बेटे को बुलाया. आधे घंटे में उसका बेटा वहां आ गया. लैटर पढ़कर वह भी रोने लगा. उसने वादा किया कि अब वह कभी गाँव को छोड़कर नहीं जायेगा.

गाँव के सभी जानवर डॉ छमिया की अंतिम यात्रा की तयारी करने लगे. दूर दूर सभी जानवर फुल माला लेकर वहां आये.  

जैसे ही छमिया का अंतिम संस्कार करने के लिए लोग उसको उठाने वाले थे कि वह खुद ही उठ गयी.

सभी लोग हैरान रह गये और दूर भागने लगे. छमिया ने कहा – भागो मत, दर असल दमदार वैक्सीन बुढो को छ घंटे के लिए सुलाती हैं, मैं ये लिखना भूल गयी थी.

अब मैं ठीक हूँ और ये वैक्सीन भी कारगर हैं अब गाँव में कोई नहीं मरेगा.

इसके बाद छमिया सभी गाँव वालो को दमदार का डोज लगा देती हैं और लाखों लोगों को इस बीमारी से बचा लेती हैं.

मेडिकल क्षेत्र में इतना बड़ा योगदान करने के लिए कांगो के शेर ने उसको ‘कांगोरत्न’ से सम्मानित किया, जो कि वहां का सबसे बड़ा पुरस्कार हैं.

 कहानी का नैतिक(hindi moral stories) -: तकदीर भी उनका साथ देती हैं जो स्वयं कभी हार नहीं मानते हैं.

Hindi Moral Story For Kids

परायी थाली का घी

गाँव से बाहर निकलते ही सड़क के दोनों और दो मकान बने हुए थे. एक मकान बहुत बड़ा था और दूसरा बहुत छोटा. दोनों घरों में दो परिवार रहते जिसमे छोटे बच्चे भी थे.  

बड़े घर में पिकू और छोटे घर में निकू रहता था. दो परिवार अपने अपने काम में मस्त रहते थे.

जब निकू गलियों में खेला करता था तो पिकू अक्सर घर के ऊपर जाकर उसको देखा करता था.

निकू गलियों में दोस्तों के साथ कंचे खेलता, कभी टायर दौड़ाते तो कभी कुत्तों के साथ खेलते.

पिकू का भी मन करता कि वह भी उनके साथ जाकर खेले और खूब मजे करें, लेकिन उसकी मम्मी उसको जाने नहीं देती.

जब कभी पिकू वहां जाने की जिद्द करता तो उसकी मम्मी बोलती कि तुम यही अपने घर में खेलो. तुम्हारे पास इतने खिलोने हैं जितने पूरे गाँव में नहीं होंगे.

लेकिन पिकू का मन तो बाहर उस गली में लगा हुआ था.

दूसरी तरफ, निकू जब पिकू को देखता तो उसका मन उसके खिलोनो में लग जाता.

पिकू अपनी साइकिल चलाता, कभी स्विमिंग टब में मस्ती करता तो कभी गन से सभी को वाटर फायर करता.

ये सब देखकर निकू का भी मन करता कि काश! उसकी जगह मैं होता तो मेरे पास भी इतने सारे खिलोने होते.

लेकिन क्या करें? दोनों की अपनी अपनी किस्मत. एक के पास खिलोने हैं लेकिन उसको अच्छे नहीं लग रहे, तो दुसरे के पास दोस्त और आजादी हैं लेकिन उसका मन खिलानो में लगा हुआ हैं.

 कहानी की सीख(hindi moral stories) -: आपके पास जो कुछ भी हैं, उसी में खुश रहो. परायी थाली का घी शक्कर आपको हमेशा मीठा ही लगेगा.

Moral Stories in Hindi Read

एक कोयल का बदला

 एक गरीब कोयल जिसके पास न तो रहने के लिए अच्छा घर था, न ही नवजात बच्चों को कुछ खिलाने के लिए दाने. कोयल के बच्चे अंडे से फुटकर बाहर आ चुके थे. अब उनको खिलाने के लिए अधिक मात्रा में दाना पानी की आवश्यकता थी.

कोयल ने कुछ नया काम धंधा करने की सोची. लेकिन कोयल जहाँ भी जाती, उसको उतने पैसे नहीं मिलते, जिनसे वह अपने बच्चों के लिए कुछ खरीद सके.

कोयल निराश होकर एक नीम की टहनी पर जाकर बैठ गयी. कोयल को उदास देखकर गौरया उसके पास आई और कहने लगी  – क्या बात हैं, हमेशा सुर में गाने वाली कोकिला बहन आज इतनी शांत क्यों हैं. क्या तुम मुझे अपनी निराशा का कारण बता सकती हो?

कोयल ने सारी बात उसको बताई. चिड़िया ने विचार कर कहा – एक जगह हैं जहाँ तुमको ढेरों पैसे मिल सकते हैं. पर वहां पर खतरा भी हो सकता हैं. अगर तुम चाहो तो मैं तुमको वो जगह बता सकती हूँ ?

birds and cartoon

कोयल ने कहा – जो भी होगा, मैं करने को तैयार हूँ, मुझे काम चाहिए.

चिड़िया ने कहा – तो ठीक हैं, सुनो. बिजली घर के बाजु वाले आम की बगिया में कौओं का नया पब खुला हैं. सुना हैं वे नाचने और गाने के लिए एक गायिका की तलाश कर रहे हैं. तुम एक बार वहां जाकर बात कर लो.  

कोयल वहां गयी और पब के मैनेजर से बात कर नौकरी पक्की कर ली.

अब कोयल रोजाना शाम को वहां पब में जाती और कौओं के लिए गाना गाती.

दरअसल कोएँ बहुत दुष्ट प्रवत्ति के थे. जब कोयल उनके लिए गाना गाती तब वे उनको छेड़ते थे. उन दुष्ट कौओं में उस पब का मालिक काजिया भी शामिल था.

एक दिन नशे में धुत काजिया कोयल के पीछे पीछे उसके घर तक पहुँच गया. कोयल के बच्चों को देखकर उसकी नियत बिगड़ गयी. अगले दिन जब कोयल पब में गयी तो उसने बच्चों को मार दिया.

कोयल ने घर आकर देखा तो उसके बच्चे वहां नहीं थे, वहां पर पड़े हुए खून को देखकर कोयल बहुत रोई.

अगले दिन कोयल यह कहने के लिए पब गयी कि आज से वह गाने के लिए नहीं आएगी. इतने में नशे में पगलाया हुआ काजिया बोला मैंने ही तेरे बच्चे को मारा हैं.

तुझे जितने पैसे चाहिए, ले लेना पर तू इसी पब में गाती रहो और यहीं पर पड़ी रहो.

सच्चाई सुनकर कोयल ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया. और वहां से उड़कर भाग गयी. काजिया भी उसके पीछे पीछे भाग गया.

नशे में धुत काजिया एक बरगद के पेड़ से टकरा कर गिर गया और बुरी तरह घायल हो गया.

काजिया के दोस्त उसको हॉस्पिटल लेकर गए. बरगद से भयानक टक्कर होने के कारण काजिया कोमा में जा चूका था. उसके इलाज में उसका पब और सारी प्रोपर्टी बिक चुकी थी.

कौए की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. तब उस कोयल ने कोएँ की देखभाल करने का फैसला किया.

कोयल रोजाना उस कोएँ को अनजान लोगो से बचाती, उसको खाना खिलाती, और पानी की व्यवस्था करती.

अब धीरे धीरे कौआ ठीक होने लगा और कुछ सप्ताहों के बाद काजिया बिलकुल ठीक हो गया.

काजिया कोयल की मेहनत से बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उससे सादी करने का प्लान बनाया.

एक दिन काजिया ने कोयल को बबूल के पेड़ पर मिलने के लिए बुलाया.

काजिया के कहने पर कोयल वहां पर पहुँच गयी. काजिया ने सादी का प्रस्ताव रख दिया. तब कोयल ने कहा – मैंने तुम्हारी सेवा इसलिए नहीं की कि तुम ठीक हो जाओ और मुझसे सादी कर लो. मैंने तुमसे बदला लेने के लिए तुम्हारी देखभाल की.

अगर मैं तुमको उस स्थति में मार देती तो तुममे और मुझमे क्या फर्क रह जाता.

अब तुम पूरी तरह से ठीक हो चुके हो, अब मैं तुमसे सही मायने में बदला ले सकती हूँ.  

कोयल ने बबूल से एक काटा निकाला और कोएँ को भगा भगा कर मार डाला.

कहानी की सीख – किसी की मजबूरी का फयदा कभी नहीं उठाना चाहिए.

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बुद्धि की जीत

एक गाँव में कुश्ती का आयोजन हुआ था। दूर-दूर के सभी गाँवो से बड़े-बड़े पहलवान आये हुए थे। सभी पहलवान हट्टे कट्ठे थे। पहलवानों की भीड़ में कालू पहलवान सबसे दमदार था, जिसने आज तक एक भी कुश्ती नहीं हारी।

कुश्ती का प्रोग्राम चालु हुआ। बारी-बारी से सभी पहलवानों के बीच में कुश्ती हुई. कुश्ती के अंतिम पड़ाव में सभी पहलवानों को कालू से भिड़ना होता था, लेकिन कालू के सामने कोई टिक नहीं पाता था।

आख़िरकार इस कुश्ती प्रतियोगिता का विजेता भी कालू ही रहा।

गाँव के सरपंच ने कालू का हाथ ऊपर कर उसे विजेता घोषित कर दिया और इनाम की पांच लाख को स्वीकार करने के लिए मंच पर बुलाया।

कालू भरी भीड़ में चिल्लाते हुए बोला कि–क्या इस भीड़ में कोई ऐसा बंदा हैं जो मुझे हरा सकता हैं। अगर मुझसे जीत गया तो ये पांच लाख उसके और अगर हार गया तो उसको मुझे एक लाख रूपये देने होंगे। क्या किसी को ये चुनौती मंजूर हैं?

भीड़ के सभी नौजवान एक दुसरे का मुंह देखने लगे। कोई आगे नहीं आया। किसी को आगे न आता देख कालू हंसने लगा।

तभी एक दुबला-पतला आदमी आया और बोला मुझे तुमसे कुश्ती खेलनी हैं।

दोनों मैदान में उतर गए, सभी लोग कालू के लिए तालियाँ बजा रहे थे। किसी ने गुल्लू का नाम तक नहीं लिया।

अब गुल्लू और कालू के बीच कुश्ती शुरू हुई. गुल्लू किसी तरह से खुद को बचा कर आगे भाग रहा था। सभी लोग गुल्लू की मुर्खता पर हंस रहे थे।

गुल्लू को भी लग रहा था कि उसने अखाड़े के अन्दर आकर गलती कर दी हैं, लेकिन वापस बाहर गया तो एक लाख देने होंगे।

गुल्लू ने अपना दिमाग चलाया और चालाकी से उसको पीछे से पकड़ लिया और कालू को खूब गुदगुदी की।

कालू ने किसी तरह उसको छुड़ाया और सामने ले आया। अगली बार जैसे ही कालू ने हाथ उठाया गुल्लू ने उसके टांगो के निचे से निकल कर उसकी टांगे खींच दी और कालू घिर पड़ा।

भीड़ अब गुल्लू-गुल्लू करने लगी। कालू ने अपना होश खो दिया, लेकिन किसी तरह वह खड़ा हुआ। एक बार फिर दोनों आमने सामने थे। एक बार फिर गुल्लू ने कालू की टांगो के नीचे से होकर घुटनों के बीच दे मारा। कालू घिर पड़ा और फिर खड़ा नहीं हुआ।

सरपंच ने गुल्लू का हाथ ऊपर किया और उसको विजेता घोषित किया। शर्त के अनुसार गुल्लू पांच लाख जीत गया।

कहानी की सीख – बुद्धि के आगे बल को झुकना ही पड़ता हैं।

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धन का लालच

एक बहुत गरीब आदमी अपने घर का गुजारा चलाने के लिए रोजाना जंगल से फल फुल इकट्ठे करता और गाँव में जाकर उनको बेच देता। जिस जंगल से वह आदमी फल लेता था उसी जंगल में एक भालू रहा करता था। वह भालू बहुत खतरनाक था।

गरीब आदमी हमेशा कुछ न कुछ उस भालू को खाने के लिए देता था। इसीलिए वह भालू उसको कुछ नुकसान नहीं पहुँचाता था।

जैसे जैसे गर्मी का मौसम बढ़ने लगा फलों में कमी होने लगी। एक दिन डरते हुए उस गरीब आदमी ने भालू से कह दिया अब मैं तुमको खाने के लिए कुछ नहीं दे पाउँगा। मैं अपने परिवार का गुजारा भी ठीक तरीके से नहीं कर पा रहा हूँ।

भालू ने कहा कल सुबह तुम जल्दी आना। तुमने आज तक मुझे जो भी खिलाया हैं, मैं तुमको उसके बदले में कुछ उपहार दूंगा।

भालू के कहे अनुसार वह आदमी सुबह जल्दी गया। भालू ने उस गरीब से कहा कि तुम्हारे पास सूर्योदय होने से पहले तक का समय हैं। तुम जितना चाहो मेरे अन्दर से सोना निकाल सकते हो। सूर्योदय होने के बाद मेरा मुंह बंद हो जायेगा।

गरीब ने उसके कहे अनुसार उसके पेट से कुछ सोना निकाल लिया और उसको धन्यवाद देकर वहाँ से चला गया।

अब वह गरीब आदमी बहुत अमीर बन चूका था। उसकी अमीरी को देख कर कुछ लोग उससे जलने लगे। एक दिन एक आदमी ने उससे पूछ ही लिया कि तुम्हारी अमीरी का राज क्या हैं?

उस आदमी ने सब कुछ बता दिया।

अब उस आदमी ने फटे पुराने कपड़े पहन लिए और जंगल से फल लेने के लिए जाने लग। कुछ दिनों तक उसने भी ठीक उसी गरीब आदमी कि तरह किया और एक दिन उस भालू को बोल दिया कि अब मैं तुम्हारी और सेवा नहीं कर सकता।

भालू ने अगले दिन सवेरे जल्दी आने को कहा।

वह आदमी जल्दी सवेरे एक बड़ा बोरा लेकर गया। भालू ने अपना मुंह खोला। लेकिन वह आदमी बोरा भरने के चक्कर में सूर्योदय वाली बात को भूल चूका था।

सूर्योदय होने पर भालू का मुंह बंद हो गया और वह आदमी हमेशा के लिए अन्दर चला गया।

कहानी की सीख – लालच कभी भला नहीं कर सकता हैं।

Hindi Short Story

बदसूरत कौआ

एक बार एक कौआ नीम की टहनी पर बैठ कर कांव-कांव कर रहा था। तभी किसी ने उसको पत्थर फेंक कर भगा दिया। कौआ बहुत निराश हुआ और सोचने लगा कि आखिर क्यों लोग मुझसे इतनी नफरत करते हैं। भगवान ने मुझे इतना काला क्यों बनाया हैं।

यह सोचकर वह एक हंस के पास गया। हंस से बोला–तुम कितने सुन्दर हो भाई, तुम्हारे पंख कितने आकर्षक हैं। लोग तुमको देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं और मुझे दूर से ही उड़ा देते हैं।

हंस कहता हैं–मेरे पास तो केवल एक कलर हैं, मुझसे ज्यादा सुन्दर तो तोता हैं। जिसके पास दो-दो कलर हैं।

हंस का जवाब सुनकर कौआ तोते के पास जाता हैं।

कौआ तोते से बोला भाई तुम कितने सुन्दर हो, तुम्हारे पास दो-दो कलर हैं। मेरे पास तो एक ही हैं वह भी भद्दा। तोता कहता हैं नहीं भाई, मुझसे ज्यादा सुन्दर तो मोर हैं, उसके पास तो कई रंग हैं। मुझसे ज्यादा रंगीन और आकर्षक तो मोर लगता हैं।

अब कौआ मोर के पास गया और बोला। मोर भाई तुमसे खूबसूरत और मुझसे बदसूरत इस धरती पर कोई नहीं हैं।

मोर उदास होकर कहता हैं–ऐसा मत कहो भाई. इस पूरी दुनिया में तुम ही भाग्यशाली हो। तुम्हे ना तो कोई पकड़ता हैं, ना ही कोई पिंजरें में रखता हैं और मुझे देखो, मेरी इस सुन्दरता ने मुझसे मेरा परिवार छीन लिया। सभी को पकड कर पिंजरे में डाल दिया हैं। कुछ दिनों बाद मुझे भी पकड कर पिंजरे में डाल दिया जायेगा।

मोर की बातें सुनकर कौआ उसको सांत्वना देकर वहाँ से चला गया। कौआ वापस नीम की टहनी पर आकर बैठ गया और सोचने लगा कि वह कितना मुर्ख था। इस दुनिया में उससे खुश पक्षी तो कोई और हैं ही नहीं। इसके बाद वह फिर से कांव-कांव करने लग जाता हैं।

कहानी की सीख – दुसरो से तुलना कर अपनी ख़ुशी को मत गवाओं। आप जैसे भी हैं, सबसे सुन्दर हैं, इस बात को स्वीकार कर लो।

Hindi Moral Story

लालची पत्नी

एक समुद्र के पास एक मछुआरा और उसकी पत्नी दोनों साथ में रहते थे। मछुआरा अपनी पत्नी को बहुत चाहता था। मछुआरा बेचारा गरीब था। वह रोजाना इतना कमा लेता था कि आराम से दो वक्त की रोटी मिल जाए.

लेकिन मछुआरे की पत्नी बहुत लालची थी। वह इस छोटी झोपड़ी और कम कमाई से बहुत नाखुश थी।

इसलिए वह हमेशा मछुआरे को डाटा करती थी कि वह बहुत कम कमाता हैं।

एक दिन वह मछुआरा समुद्र की तरफ गया और उसने जाल को फैलाया और मछली का इन्तजार करने लगा। बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद भी उसको कुछ नहीं मिला। मछुआरा निराश होकर वापस घर लौट आया।

खाली हाथ देखकर उसकी पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। बहुत डांटने पर वह मछुआरा वापस समुद्र के किनारे जाल फैलाकर बैठ गया और मछली का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर बाद एक मछली उसके जाल में फंस गई. वह उसको ऊपर खींचता हैं। उसने देखा कि यह कोई सामान्य मछली नहीं है।

मछली को तड़पता देख उस पर दया आ गई और उसको वापस पानी में छोड़ दिया। मछली ने उसको धन्यवाद दिया।

ठीक हैं, मुझे फिर से खाली हाथ लौटना पड़ेगा। मछुआरे की उदासी को देखकर मछली उससे पूछती हैं तुम उदास क्यों हो?

मछुआरा बोलता हैं मेरी बीबी एक बहुत बड़ा घर चाहती हैं, लेकिन मेरे पास कमाने का कोई साधन नहीं हैं। इसलिए मेरी बीबी मुझ पर हमेशा गुस्सा करती रहती हैं।

मछली बोलती है-तुम घर जाओ. समझ लो तुम्हारी पत्नी की इच्छा पूरी हो गई.

मछुआरा हैरान होकर बोला क्या? मछली ने कहा कि तुमने ठीक सुना हैं, तुम्हारी पत्नी की इच्छा पूरी हो गयी हैं।

मछुआरा दौड़कर घर की तरफ गया। उसने देखा कि उसकी झोपडी एक पक्का मकान बन चूका था। ये देखकर मछुआरा हैरान था।

वह समझ गया था कि वह मछली कोई मामूली मछली नहीं है। यह बात उसने अपनी बीबी को बताई.

मछुआरे ने अपनी पत्नी से कहा-अब तो तुम खुश हो ना।

मछुआरे की पत्नी लालची थी उसका मन नहीं भरा और बोली मुझे इससे भी बड़ा घर चाहिए.

उसने मछुआरे से कहा कि वह वापस मछली के पास जाये और इससे भी बड़े घर कि मांग करे। मछुआरे ने मना कर दिया और बीबी फिर से नाराज हो गयी।

मजबूरन मछुआरे को वापस मछली के पास जाना पड़ा।

समुद्र किनारे जाकर उसने मछली को बुलाया और कहा कि मेरी बीबी को इससे भी बड़ा घर चाहिए.

जादुई मछली ने यह इच्छा भी पूरी कर दी।

मछुआरा धन्यवाद देकर घर चला गया। उसने देखा कि उसका घर बहुत बड़ा बंगला बन चुका था। अब मछुआरे ने अपनी बीबी से पुछा कि क्या अब वह खुश हैं।

लेकिन उसके लालच का कोई ठिकान नहीं था। वह बोली कि उसको एक महल चाहिए.

मछुआरा एक बार फिर उस जादुई मछली के पास जाता हैं और एक बड़े महल की मांग करता हैं। वह मछली बिना कोई प्रश्न किये उसकी यह इच्छा भी पूरी कर देती हैं।

मछुआरे ने जाकर देखा कि उसका घर एक महल बन चूका हैं और उसकी पत्नी एक सोफे पर बैठकर आराम कर रही थी और उसके चारो और नौकर घूम रहे थे।

मछुआरे को लगा कि अब तो मेरी पत्नी खुश हो ही जाएगी। लेकिन उसने ग़लत सोचा। कुछ दिनों बाद उसने कहा कि मुझे पूरा साम्राज्य चाहिए जहाँ प्रजा हो मंत्री शंत्री हो और सभी मेरा हुक्म माने।

मछुआरे ने इस इच्छा को पूरी करने से मना कर दिया। फिर क्या था, एक बार फिर उसकी पत्नी नाराज हो गयी।

शर्म महसुस करते हुए, बेचारा एक बार फिर वह जादुई मछली के पास गया। मछुआरे ने कहा कि अब उसकी पत्नी को साम्राज्य चाहिए. मछली ने यह इच्छा भी पूरी कर दी।

मछुआरा भागता हुआ घर गया। अब वह महल एक साम्राज्य बन चूका था। उसकी पत्नी एक बड़े सिहांसन पर बैठी थी। वहाँ पर सभी मंत्री भी बैठे थे।

अब मछुआरे ने पूछा कि क्या तुम अब खुश हो। उसकी पत्नी ने कहा कि अब मैं बहुत खुश हूँ हमारे पास सब कुछ हैं। लेकिन मैं इन सबको कैसे सम्भाल पाऊँगी। मैं तो एक अनपढ़ हूँ।

बस एक आखिरी बार मेरे लिए कोई ऐसी शक्ति मांग लो, जिससे मैं सब कुछ नियंत्रण कर सकूँ।

बेचारा मछुआरा वापस मछली के पास गया और एक एसी शक्ति की मांग की, जिससे वह सब कुछ नियंत्रण कर सके.

मछली ने उसकी यह इच्छा भी पूरी कर दी।

मछुआरा वापस अपने महल आया और अपनी पत्नी को ढूँढने लगा, लेकिन कही पर भी उसकी पत्नी दिखाई नहीं दी।

दरअसल अब वह एक शक्ति बन चुकी थी, इसलिए वह गायब हो गयी।

दोनों बहुत दुखी हुए. उसकी पत्नी को वापस अपने असली रूप में आना था। उसने मछुआरे से कहा कि जल्दी से वह उसको वापस ठीक कर दे।

मछुआरा एक बार फिर जादुई मछली के पास गया और कहा कि वह उसकी पत्नी को वापस ठीक कर दे।

मछली ने मना कर दिया, ये तुम्हारी इच्छा हैं, मैं केवल तुम्हारी पत्नी की इच्छा पूरी कर सकती हूँ। तुम्हारी नहीं?

मछुआरा वहीँ बैठ गया और कहने लगा मैंने तुम्हारी जान बचाई, जब तक तुम सब कुछ पहले जैसा नहीं कर देती मैं यहाँ से नहीं जाऊंगा।

मछली ने कहा-ठीक हैं। इसके बाद तुम दोनों कि कोई इच्छा पूरी नहीं होगी। जाओ मैं सब कुछ पहले जैसा कर देती हूँ।

मछुआरा वहाँ से घर चला आया, उसने देखा कि उसकी पत्नी झोपड़ी के बाहर बर्तन धो रही थी।

उन दोनों को अपने गलती का अहसास हो गया और मेहनत करके जीवन यापन लगे।

कहानी की सीख – जो लालच करता हैं उसके पास जो कुछ भी होता हैं वह भी चला जाता हैं।

Short Moral Story in Hindi

जीतने का नजरिया

यह कहानी बिहार के पंखपुर गाँव की हैं। बात उस वक्त की हैं, जब बिजली का आविष्कार नहीं हुआ था। सभी लोग घरो में प्रकाश के लिए केरोसीन की चिमनी का इस्तेमाल किया करते थे।

अंधरे में उस गाँव में रात को क्या होता किसी को ये मालूम नहीं होता था।

ऐसा कहा जाता हैं कि पंखपुर में रात को एक बड़ा राक्षस आता था, जो हमेशा किसी न किसी जानवर को नुकसान पहुँचाता था।

पूरे गाँव के सामने यह समस्या थी कि इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए. इसी बात को लेकर गाँव में कोई न कोई सभा चलती रहती।

कुछ दिनों के बाद पंखपुर में कोई पढ़ा लिखा लड़का रहने के लिए आया। जब उसको पता चला कि इस गाँव में राक्षस आता हैं तो उसने गाँव वालो को इकट्ठा किया और बोला कि अगर आप चाहो तो हम इस राक्षस को मिलकर मार सकते हैं।

गाँव वाले उसकी बात से सहमत हो गए. लेकिन उनके सामने यह समस्या थी कि उसको मारेगा कौन?

उस लड़के ने कहा कि यह हम सबकी समस्या हैं और हम सभी को ही निपटना हैं। इसलिए हम सब मिलकर उसको मारेंगे।

उस लड़के ने अपनी तरफ से एक योजना बताई कि वह राक्षस बहुत बड़ा हैं इसलिए वह कहीं पर छुप नहीं सकता और न ही किसी गली में जा सकता हैं। इसलिए हम सभी लोग छुप-छुप कर पत्थर फेक-फेक कर मार देंगे।

सभी गाँव वाले सहमत हो गए और रात का इंतज़ार करने लगे। रात को जब वह राक्षस बाहर आया तो उसको सभी गाँव वालो ने मिलकर मार डाला। अब पंखपुर के लोग ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।

कहानी की सीख – संघठन में ही शक्ति हैं।

मेहनती जग्गू, ईर्ष्यालु रघु

बात आज से कुछ 17 साल पहले की हैं. एक गांव में एक किसान रहता था. उसके 10 साल का एक लड़का था जिसका नाम जगदीश था.
उस समय जगदीश की उम्र कुछ 8 वर्ष थी. पिता घर का खर्चा चलाने के लिए खेतों में काम करते थे. जगदीश भी इस काम से अपने पिता की मदद करता. जगदीश अपने पिता का साथ एक कच्चे मकान में रहता था.
उसके घर के नजदीक की दौलतराम नामक सेठ का घर था. सेठ के भी जग्गू की उम्र का ही लड़का था जिसका नाम रघु था. रघु बड़ा ही घमंडी किस्म का लड़का था. उसे लगता था कि उसके पिता बहुत अमीर है इसलिए वह जगदीश को देख कर हंसता और उसे चिडाता था.
गर्मियों का मौसम था, कड़ी धूप, मई के महीने में सूरज आग उगल रहा था. इतनी तेज धूप में जगदीश और उसके पिता खेत में काम कर रहे थे.
दौलत राम का लड़का बगीचे में बैठा आराम से रसीले आमों का मजा लेता. साथ ही वह उन्हें आम खाते हुए जग्गू को चिड़ाता रहता. यही नहीं वह आम खा कर झूठी गुठलियाँ जग्गू के घर में फेक देता.
इससे जग्गू को गुस्सा आता और वह भी उन गुठलियाँ को उठाकर वापस रघु के घर में फेंक देता.
ऐसा कई दिनों तक चलता रहा और दोनों के बीच कई बार झगड़े हुए. लेकिन यह सिलसिला तो चलता रहा.
एक दिन किसान ने जगदीश को कहा कि तुम आम की गुठली को वापस मत फेंको, तो जग्गू बोला ऐसा क्यों?
गरीब किसान को एक आईडिया आया कि वे इन गुठलियों को अपने खेत में उठाएंगे।. जब रघु आम की झुठी गुठलियों को उठाता तो वह ले जाकर इन गुठलियों को अपने खेत में उगा देता.

रघु अब भी आम की गुठलियों को जग्गू के घर पर फेंकता था. लेकिन अब जग्गू उन्हें वापस फेंकने की बजाय उन को खेत में उगा देता.
उसने कई गुठलियों को अपने खेत में गाड़ दिया. अब बस उसे पेड़ों को बड़ा होने का इंतजार था.
मौसम बदल गया, और बारिश का मौसम आया. ऐसे ही कई मौसम बदलते गए और 17 साल बाद यानी आज जग्गू आम का बहुत बड़ा व्यापारी बन गया है.
17 साल पहले उसके उगाई गई आम के पेड़ अब बहुत बड़े हो गए हैं. उन पर मीठे मीठे आम आने लग गए. जग्गू उन्हें बाजार में बेच कर अपने व्यापार को बड़ा कर रहा है.
जग्गू के बचपन की मेहनत सफल हो गई. वहीं दूसरी तरफ सेठ और उसका घमंडी लड़का रघु इर्ष्या की आग में जल रहे हैं.
वे जो कुछ सालों पहले जब ऊपर हंसते थे, वे आज उनके नीचे काम करते हैं.

कहानी की सीख -: कभी भी किसी की खराब परिस्थिति का मजाक नहीं बनाना चाहिए.

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10 thoughts on “MORAL STORIES IN HINDI – दुनिया की सर्वश्रेष्ट हिंदी नैतिक कहानियां”

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  2. Extra research is required to figure out why, but the hormones progesterone and aldosterone could play a role: In the days leading as much as menstruation, progesterone levels rise, setting off an increase in aldosterone.

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