माता सती ने भगवान श्री राम पर संदेह क्यों किया
भगवान को लेकर अगर कोई संदेह हो तो उसको शीघ्र ही दूर कर लेना चाहिए. माता सती ने भी एक बार भगवान श्री राम पर संदेह कर लिया था. उसका नतीजा ये निकला की भगवान शिव जी ने माता सती को पत्नी के दर्जे से मुक्त कर दिया.
रामायण कहानियां(ramayan kahaniyan) में आज की इस कथा में माता सती को भगवान श्री राम पर सक क्यों हुआ? और फिर माता सती ने रामजी की परिक्षा कैसे ली.
त्रेता युग की बात हैं. भगवान शिव और सती जी बैठे थे. भगवान् शिवजी ने सती जी से कहा? अब हमारा विवाह संपन्न हो गया. मैं श्री राम के नाम का जप करता हूँ. चलो आज तुम्हे भी भगवान राम के नाम से परिचित करवाता हूँ.
शिवजी सतीजी को कथा सुनाने के लिए ले गए थे. अब तक रावन माता सीताजी का हरण कर चूका था. शिवजी सतीजी को लेकर अगस्त्य ऋषि(कुम्भज ऋषि) के पास ले गए. शिवजी ने अगस्त्यजी ऋषि को प्रणाम किया और अगस्त्य जी ने भगवन शिवजी के चरण धोये और भगवन को आसन पर विराजमान किया. शिवजी ने सती से आग्रह किया था कि कथा ध्यान से सुनना.
अब अगस्त्य जी ने राम जी की मधुर कथा का प्रवचन शुरू किया. भगवान शिव पूरे ध्यान और आनंद के साथ कथा को सुन रहे थे. लेकिन सती ने कथा को ध्यान से नहीं सुना और उनको कथा समझ में नहीं आयी और सतीजी के मन में कही सारे संदेह उठने लगे.
कथा सुनकर भगवान् शिव और दक्ष पुत्री सती जी वापस जाने लगे. शिवजी और सती जी ऊपर से जा रहे थे, तो उन्होंने ऊपर भगवान राम को देखा. शिव जी का मन तो कर रहा था की वो भगवान् राम से मिलकर आ जाये लेकिन अगर धरती पर गए तो रावन समझ जायेगा की रामजी तो भगवान हैं, इसलिए शिवजी ने भगवान श्री राम को ऊपर से ही प्रणाम किया. साथ ही सती से भी कहा की अभी हमने जिसकी कथा सुनी ये वही भगवान हैं तुम भी इनको प्रणाम करो.
माता सती जी ने सोचा लगता हैं आज आपने भांग ज्यादा खा ली हैं. ये ये तो कोई आम इन्सान लगते हैं, अगर भगवान होते तो रोते क्यों? और जंगलो में थोड़े ही घूमते? हमे तो नहीं लगता की ये भगवान हैं? भगवान शिवजी ने कहा – सती अभी तो कथा सुनकर आये है इनकी! इनके ऊपर संदेह मत करो.
सती जी नहीं मानी. सती जी ने भगवान श्री राम की परीक्षा लेनी चाही. अब शिवजी एक पेड़ की ठंडी छाया में बैठ गए. और सतीजी ने माता सीता जी का रूप धारण किया. और जंगल में आ गयी. अब सतीजी श्री राम के सामने आ गयी और आगे चलने लगी.
लक्ष्मण जी माता सीता को देखकर चौंक गए. ये कोई माया तो नहीं हैं. लक्ष्मण जी समझ गये की ये तो माता सती हैं. भगवान श्री राम ने माता सती को हाथ जोड़ कर पूर्वजों के नाम लेकर प्रणाम किया. अब माता सटी चौंक गयी, और सोचने लगी की ये क्या हो गया था मैंने स्वामी की बात नहीं मान कर भगवान पर ही संदेह कर डाला. अब्ब सती जी वापस प्रस्थान करती हैं.
भगवान शिव जी ने सतीजी से पुछा – क्या परीक्षा ले ली? माता सतीजी ने शिवजी से झूठ बोल दिया. नही हमने कोई परीक्षा नहीं ली. भगवान ने ध्यान लगाकर देखा और सारी स्थिति को समझ लिया.
सती ने माता सीता का रूप लिया था. और भगवान शिव सीताजी को माता मानते थे. क्योंकि माता सतीजी ने सीताजी का रूप लिया था, इसलिए शिवजी ने सतीजी को पत्नी के दर्जे से मुक्त कर दिया.
हालाँकि सतीजी रहती शिवके साथ ही थी, लेकिन शिवजी ने उनको पत्नी के रूप में स्वीकारने से मना कर दिया.
इस कथा (माता सती का संदेह – भगवान श्री राम की परिक्षा ) से क्या सीखा – भगवान पर कभी संदेह नहीं करे, अगर संदेह हैं तो गुरु की शरण में जाकर उसको दूर कर ले.
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