भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान, भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 2023 , कृषि का महत्व 2021, भारतीय कृषि की विशेषता, भारत में कृषि विकास.
भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था का समुचित विकास उस देश के सभी सेक्टर के योगदान से होता है।
भारत की अर्थव्यवस्था को तीन सेक्टर से समझ सकते हैं– प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक।
कृषि प्राथमिक सेक्टर में आता हैं।
यहाँ हम भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का 2023 के बारें में बात करेंगे।
भारतीय अर्थव्यवस्था के बारें में अक्सर कहा जाता हैं- कृषि भारत की रीड की हड्डी हैं।
2020-21 के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार भारत की जीडीपी में कृषि का योगदान 19.9 प्रतिशत था जो कि पिछले सेशन 2019-20 के 17.8 से अधिक है।
इसका अगर एक बड़े पैमाने पर अवलोकन करें तो हम पाएंगे कि 1951 में 47.6% जीडीपी का योगदान था।
वर्षों बाद कृषि क्षेत्र की जीडीपी में आए बदलाव (कमी) का कारण द्वितीय और तृतीयक सेक्टर हैं।
साठ के दशक में द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर का बहुमुखी विकास नहीं हुआ था।
यहाँ पर हम बात करेंगे-: भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 2023
कृषि महत्त्वपूर्ण क्यों है?
चूँकि जीडीपी का निर्धारण तीनों सेक्टरों को मिलाकर होता है। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक तीनों श्रेणियाँ आपस में एक दूसरे पर निर्भर हैं, इसलिए अगर देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देना है तो तीनों श्रेणियों को उनके अनुसार समान अवसर प्रदान करने चाहिए.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका इसलिए महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि भारत की 46% आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर रहती हैं। अगर इसको दुसरे देशों की तुलना में देखा जाए तो काफी अधिक है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान
एक बड़ी आबादी से जुड़ाव
भारत की 40% आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। अर्थात कृषि से उनकी आय, जीवनशैली निर्धारित होती हैं। शेष आबादी अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।
द्वितीय क्षेत्र की कृषि पर निर्भरता
द्वितीयक क्षेत्र आवश्यक कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर रहता है। द्वितीयक क्षेत्र विनिर्माण करता है। द्वितीयक क्षेत्र का जीडीपी योगदान 25.92% हैं।
note-: क्या आप जानते हैं?
कृषि प्रधान देश या वे देश जो कच्चे माल का ज्यादा उत्पादन करते हैं, अक्सर वे देश अविकसित रहते हैं या उनके विकसित होने की प्रक्रिया अत्यंत धीमी रहती हैं।
Gunnar Myrdal का भारतीय अर्थव्यवस्था के बारें में विचार
वैज्ञानिक गुन्नार मायर्डल ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा है कि long-term इकोनॉमिक डेवलपमेंट करना हैं तो यह केवल एग्रीकल्चर सेक्टर के योगदान से संभव होगा।
भारतीय कृषि की विशेषता और महत्व
कंट्रीब्यूट टू नेशनल इनकम
1950-51 की बात करें तो उस वक्त भारत की कुल राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 61% था। वर्षों बाद वर्तमान की बात करें तो 2021-22 में देश की राष्ट्रीय आय में कृषि योगदान 20.19 प्रतिशत हैं।
हालांकि आपको यह आंकड़े घटते हुए दिख रहे हैं। इसका कारण द्वितीय और तृतीय क्षेत्र में वृद्धि होना हैं।
दूसरे देशों की तुलना में कृषि का योगदान देखे तो कई यूरोपीय देशों और अमेरिका में जीडीपी में कृषि का योगदान 1% तक ही है।
क्योंकि एग्रीकल्चर राष्ट्रीय आय में बड़ी भूमिका निभाता है, इसलिए कृषि की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
सप्लाई वेज गुड्स (मूलभूत आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता कराना)
किसी भी व्यक्ति को जीवन जीने के लिए 3 मूलभूत आवश्यक वस्तुओं की जरूरत पड़ती है–रोटी, कपड़ा और मकान। कृषि से गेहूँ, चावल खाद्य अनाज और अन्य कच्चे माल कपास का उत्पादन होता है।
2021-22 के आंकड़ों की तुलना अगर 1950 से करे तो जनसंख्या में लगभग 3 गुना वृद्धि हुई हैं। इसी के अनुरूप अगर 1950 और वर्तमान 2021-22 की कृषि की तुलना करें तो कृषि उपज में 4 गुना बढ़ोतरी हुई है।
तो इन आंकड़ों से यह साबित होता है कि भारतीय कृषि की उपज पूरे भारत की जनसंख्या अर्थात 141 करोड़ की आबादी का पेट भरने में काबिलियत है।
क्या आप सोच पा रहे हैं कि यह सब कैसे संभव हुआ?
दरअसल एम. एस. स्वामीनाथन के 1960 की हरित क्रांति से उपज में बढ़ोतरी हुई हैं। इसी का प्रमाण है कि कृषि से पूरे भारत का पेट भरा जा सकता है।
1950-51 की बात करें तो प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन 395 ग्राम मिलता था।
आज (2023 ) में 3 गुना जनसंख्या की वृद्धि के बाद प्रति व्यक्ति को 437 ग्राम अनाज उपलब्ध करवा रहे हैं। अनाज को मापने के इस सिस्टम को पर कैपिटा अवेलेबिलिटी (per capita availability) कहते हैं।
रोजगार में बढ़ोतरी
भारत की बड़ी आबादी कृषि से जुड़ी होने के कारण इससे कई सारे रोजगार निकल कर आते हैं। भारत में कृषि से पनपे रोजगार की बात करें तो 2023 के आंकड़ों के अनुसार 41.49% लोग को कृषि से रोजगार मिलता है।
कुछ पुराने आंकड़ों की बात करें तो 2016-17 में 46.2% लोगों को कृषि से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता था।
भारतीय कृषि और अन्य दूसरे यूरोपीय देशों और अमेरिका की कृषि से तुलना करें तो हमें यह नतीजा मिलता है कि वहाँ उन देशों में कृषि का रोजगार में योगदान केवल 1 से 2% के बीच में हैं।
एग्रीकल्चर एंड इंडस्ट्री
द्वितीय सेक्टर विनिर्माण से सम्बंधित हैं, इनके निर्माण में सैकड़ों फेक्ट्रियों का संचालन होता है। उन फैक्ट्रियों के संचालन के लिए लगने वाले कच्चे माल की आपूर्ति प्राथमिक सेक्टर यानी कृषि से ही होता है।
कच्चे माल के अंतर्गत कपास, गन्ना, हैंडलूम उत्पाद जैसे लकड़ी के स्रोत (बांस) इत्यादि को शामिल किया जा सकता है। अन्य कच्चे माल दूसरे विनिर्माण के लिए कृषि क्षेत्र से उपलब्ध होते हैं।
एग्रीकल्चर एंड फॉरेन ट्रेड
भारत के कई ऐसे उपज हैं जिनमे भारत नम्बर 1 पर हैं। कुछ ऐसे उत्पाद हैं जिनमे भारत नंबर 2 पर हैं। भारत में बहुतायत पैदा होने वाले वाणिज्यिक उपज को निर्यात जाता हैं, जिनमें चाय, कॉफ़ी, तबाकू, मसाले, काजू, तेल, जुट का निर्यात किया जाता हैं।
2016-17 में कुल निर्यात का 12.3% कृषि का योगदान था। लेटेस्ट आंकड़ा की बात करें तो 2023 में कृषि सेक्टर का एक्सपोर्ट 14% था।
नोट-: हमारे देश की फूड इंडस्ट्रीज में काम आने वाले खाद्य तेल का आयात बाहर से किया जाता हैं। 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया और इंडोनेशिया से 6.54 मिलियन टन पाम आयल का आयात किया गया। अगर देखा जाए तो आयात किया जाने वाले तेल की मात्रा बहुत अधिक है।
तो अगर हम भारत से किए जाने वाले निर्यात और बाहर से किए जाने वाले आयात को देखें तो पेमेंट सेटेलमेंट लगभग बराबर हो जाता है, अर्थात कोई विशेष लाभ नहीं होता हैं।
वहीं यदि खाद्य तेल के निर्माण को भारत में ही बढ़ा दिया जाए भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया विकल्प मिल सकता है, इसका कारण होगा सिर्फ कृषि।
ऐसा करने से भारत देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।
भारत में आयात किए जाने वाले तेल की मात्रा में कमी आएगी। उसी स्थान पर फूड इंडस्ट्रीज हमारे देश के किसानों द्वारा उत्पादित किए जाने वाले तेल को खरीदेगी, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी अंततः देश की आय में वृद्धि होगी।
आंतरिक व्यापार में भूमिका
NSSO के सर्वे के अनुसार गाँव के इलाकों के लोग 56 प्रतिशत आय का हिस्सा खाने के लिए खर्च करते हैं। वहीँ शहरी लोग का यह आंकड़ा 44 प्रतिशत हैं।
ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र तक खाद्य पदार्थों की आपूर्ति कराने के लिए एक सिस्टम बना हुआ है उस सिस्टम ट्रांसपोर्ट, गोदाम, सरकारी गोदाम इत्यादि शामिल हो सकते हैं।
इससे सरकार को टैक्स मिलता है। खाद्य पदार्थों को सप्लाई करने के लिए कई सारे लोगों को रोजगार मिलता है। इस कारण से भी कृषि की भूमिका अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
कृषि और ट्रांसपोर्ट
भारत में ऐसी कई सारी फसलें हैं जो क्षेत्रीय हैं। क्षेत्रीय फसलों को एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की जरुरत पड़ती हैं। ट्रांसपोर्ट के बहाने कई सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता हैं।
सरकार को आय
ऊपर “कृषि और ट्रांसपोर्ट” में आपने जाना कि कृषि से ट्रांसपोर्ट कर्मचारी को रोजगार मिलता हैं। ट्रांसपोर्ट से सरकार टैक्स वसूलती हैं, जो सरकार की आय का स्रोत हैं।
एक निश्चित आय तक सरकार कृषि को टैक्स फ्री रखती हैं।
खाद्य पदार्थों से होने वाले व्यापार से सरकार टैक्स वसूली से सरकार को बहुत बड़ी आय होती हैं। सरकार सिंचाई कर, एग्रीकल्चर इनकम टैक्स, जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी और निर्यात करने वाले खाद्य पदार्थों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी चार्ज करती हैं।
इन सभी से सरकार को बहुत बड़ा रेवेन्यू होता है देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में कहीं न कहीं योगदान करता ही करता है।
सोर्स ऑफ सेविंग
1960 में जब हरित क्रांति की शुरुआत की गई थी तो, पहले-पहले कुछ राज्यों में ही इसको लागू किया गया था।
इसका कारण यह हैं कि उस समय इस्तेमाल होने वाले बीज को ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती थी या पर्याप्त सिंचाई की जरूरत पड़ती थी।
लेकिन धीरे-धीरे इसको दूसरे राज्यों और इलाकों में शुरू किया गया।
इससे बड़े स्तर पर कृषि उत्पादन हुआ। जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई.
किसानों की आय में वृद्धि होने से किसान अमीर हुए.वे बैंक में पैसा जमा कराने लगे। कुछ किसान इन्वेस्ट भी करते हैं।
इन सभी को मिलाए तो अंततः पूंजी का निर्माण होता हैं। पूंजी से देश की आय में वृद्धि होती है।
बेसिक ऑफ इकोनॉमिक डेवलपमेंट
रो मटेरियल के उत्पादन से द्वितीय क्षेत्र में ज्यादा क्रांति लाई जा सकती हैं। इससे होगा यह कि द्वितीय क्षेत्र में लोगों को ज्यादा रोजगार मिलेगा। प्राथमिक क्षेत्र के किसानों को ज्यादा आय होगी। देश की आय में वृद्धि होगी और व्यवस्था में सुधार होगा। इसलिए कृषि को बेसिक ऑफ इकोनामिक डेवलपमेंट से जोड़कर देख सकते हैं।
सोशल एंड पॉलीटिकल इंर्पोटेंस
भारत की 80% जनसंख्या गाँव में रहती हैं। गाँव की अधिकतर जनसंख्या कृषि से सम्बंध रखते हैं। अगर कृषि में सुधार होगा तो एक बड़ी जनसंख्या की आय में सुधार आएगा।
अगर ग्रामीण आय में सुधार आएगा तो वह एजुकेशन और दूसरे राष्ट्रीय प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए संभव हो पाएंगे।
इसके फलस्वरूप वे सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के प्रति जागरूक हो पाएंगे।
Role Of Agriculture In Indian Economy 2023 – Know All Facts
जागरूकता से सामाजिकता को बढ़ावा मिलेगा और सरकार के उद्देश्यों से भी अवगत हो पाएंगे। परिणामस्वरूप वे एक बेहतर सरकार का निर्माण कर पाएंगे। बेहतर सरकार देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।