नकली शेर – अकबर बीरबल की हिंदी कहानी
अकबर बीरबल की कहानियां‘ में आज की कहानी हैं – नकली शेर
दिल्ली के महान बादशाह अकबर अपने आस पड़ोसी मुल्को से अच्छी मित्रता(friendship) और लगाव रखते थे. अकबर के ऐसे ही फारसी साम्राज्य के मित्र थे जो कि अति विशाल साम्राज्य के सम्राट थे.बादशाह और उनके फारसी मित्र दोनों एक-दुसरे को अक्सर ख़त लिखा करते और एक दुसरे से मजाकियां गतिविधियाँ चलती रहती थी. बादशाह अक्सर चुटकले और शायरिया लिखकर भेजते. और फारसी का राजा अक्सर अकबर पसंदीदा तोह्फे भेजा करता.
एक दिन फारसी के राजा ने एक ऐसा तोह्फा और पत्र भेजा जिसको देखकर बादशाह चौंक गये. तोहफे के अन्दर से एक पिंजरा और एक पत्र निकला. पिंजरे के अन्दर एक शेर था. बादशाह ने पत्र खोलकर देखा तो उसके अन्दर लिखा था की इस शेर को कैसे भी करके बाहर निकालना हैं और इस पिंजरे को खोलना भी नहीं हैं. और अगर ऐसा नहीं किया तो हम आपकी सल्तनत पर हमला करेंगे.
बादशाह पत्र पढ़कर सोच मे पड़ गये. बादशाह ने तुरंत सभा बुलाई और उस पिंजरे और पत्र को सभी के सामने पेश किया. सभी को पत्र सुनाकर सभी से एक एक करके राय मांगी. उस दिन संयोगवश बीरबल किसी सरकारी काम के कारण महल से बाहर गए हुए थे. अकबर को इस बात का अफ़सोस था की बीरबल इस मुसीबत बला में उनके साथ क्यों नहीं हैं. पूरे दरबार में सभी एक दुसरे का मुहं देखने लगे. अकबर ने पुछा कि किसी के पास इस पहेली का कोई हल हैं क्या?
बादशाह समझ गये की विषय जरा गंभीर हैं. फ़ौरन बीरबल को बुलाने को कहा.
दुसरे ही दिन बीरबल दरबार में हाजिर हो गये. बीरबल ने झुककर अकबर का अभिवादन किया.
अकबर ने बीरबल के हाथ में उस पत्र को थमवा दिया.बीरबल ने पत्र को ध्यान से पढ़कर. आग और लोहे के सरिये की व्यवस्था करने को कहा.
बादशाह के हुक्म पर तुरंत सरिये और आग की व्यवस्था की गई. बीरबल ने सरिये को गर्म किया और पिंजरे में शेर को चिपका दिया. जहाँ से शेर को सरिया लगा वहां से शेर खंडित हो गया. बीरबल ने राहत भरी सांस ली और बोले जहापनाह मसला सुलझ जायेंगा. बीरबल ने अकबर से एक बड़े अग्नि कुण्ड की व्यवस्था करने को कहा. अकबर ने दास लोगो से कहकर इसकी व्यवस्था करवा दी.
बीरबल के कहने पर उस पूरे पिंजरे को अग्नि कुण्ड में रखवा दिया. बंद पिंजरे से पूरा शेर पिघल कर बाहर निकल गया. बीरबल की चतुराई पर बादशाह अति प्रसन्न हुए और पूछा की बीरबल तुमको कैसे पता चला की इसके अन्दर लाख का शेर हैं. जहापनाह इस पत्र ने साफ साफ लिख रखा हैं की इस शेर को पिंजरे से निकालना हैं वो भी बिना इसको खोले तो इसका मतलब हैं की जरूर शेर किसी धातु का नही हैं, हमने तो केवल देखने के लिए सरिया मंगाया था की क्या वाकई शेर पिघालता हैं की नहीं. हमने सही अंदाजा लगाया और शेर पिघल गया.
बादशाह एक बार और बीरबल की चतुराई से प्रसन्न हो गए और कहा – जब तक तुम मेरे साथ हो मुझे फ़ारसी क्या किसी से भी डरने की जरुरत नहीं हैं.
फिर क्या था फ़ारसी का दूत एक और पत्र लेकर गया और राजा को एक और बीरबल की बुद्दिमानी की कहानी सुनाई..फ़ारसी का राजा भी बीरबल की चतुराई से अति प्रस्सन हुआ और अगला तोहफा बीरबल के लिए भेजा.
भेंट का बंटवारा – एक रोचक किस्सा
इस अकबर बीरबल के किस्से(akbar birbal kahaniya) “नकली शेर” से क्या सीखा- बुद्धिमानी हमेशा अपना सर ऊपर रखाती हैं.
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