सफलता की कहानियों की इस सीरीज में आज हम बात कर रहे हैं. ऋषभ पंत की सक्सेस स्टोरी के बारे में. ऋषभ पंत के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे. ये भारतीय क्रिकेट टीम के हीटिंग बल्लेबाज, विकेट कीपर और भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते हुए खिलाड़ी के रूप में जाने जाते हैं. लेकिन उन्हें इस पोजीशन पर आने के लिए कई संघर्ष एवं आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.
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शुरुआती जीवन
दोस्तों आपने एम एस धोनी की बायोग्राफी पर बनी मूवी तो देखी ही होगी. कुछ इसी तरह ऋषभ पंत की भी संघर्ष की कहानी है. इनका जन्म 6 अक्टूबर 1997 उत्तराखंड के रुड़की में एक सामान्य परिवार में हुआ था. उनके पिता एक निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर थे. उनके पिता भी क्रिकेट से जुड़े हुए थे. और ऋषभ को बड़ा क्रिकेटर बनाना चाहते थे. आर्थिक तंगी के बावजूद भी पिता ने ऋषभ को 14000 का क्रिकेट बैट तोहफे में दिया. ऋषभ के पिता उन्हें क्रिकेट एकेडमी में दाखिला करवाना चाहते थे.
लेकिन उत्तराखंड में क्रिकेट एकेडमी जैसे कोई सुविधा नहीं थी. इस कारण उन्हें दिल्ली के एक क्रिकेट एकेडमी में दाखिला लेना पड़ा. अभ्यास के लिए हर शनिवार और रविवार को दिल्ली जाना पड़ता था. इस कारण ऋषभ पंत और उनकी मां हर वीकेंड पर रुड़की से दिल्ली बस द्वारा जाया करते. क्योंकि दिल्ली में उनका कोई ठिकाना नहीं था. इस कारण में मोती बाग के गुरुद्वारे में ठहरते थे. गुरुद्वारे में ही खाना खाते थे वही सोते थे और वही से अभ्यास के लिए जाते थे. और उनकी मां गुरुद्वारा में सेवादारों के साथ सेवा में जुट जाती है. कई महीनों तक उन्हें इस संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा था. और इस समय ऋषभ की आयु मात्र 12 वर्ष थी.
राजस्थान टीम से बाहर किया, दिल्ली से खेलना जारी रखा (ऋषभ पंत सक्सेस स्टोरी)
दिल्ली के सोनेट क्लब के कोच ने ऋषभ पंत का खेल देखकर. उन्हें दिल्ली के एयर फोर्स स्कूल में दाखिला करवाया. पंत के कोच ने उन्हें खेलने की शैली को बदलने की सलाह दी. लेकिन यह ऋषभ के लिए आसान नहीं था. उस समय ऋषभ पंत रात को 2:00 बजे से प्रैक्टिस नेट में प्रैक्टिस शुरू कर देते थे. उनके कोच ने उन्हें सलाह दी कि, दिल्ली में कंपटीशन बहुत ज्यादा है. इसलिए उन्हें राजस्थान टीम से खेलना चाहिए. लेकिन राजस्थान टीम से उन्हें यह कह कर बाहर कर दिया जाता है कि, वह एक आउटसाइडर खिलाड़ी है. इस कारण बाद में उन्हें दिल्ली से ही खेलना पड़ता है.
अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहचान मिली
साल 2016 में हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में ऋषभ पंत ने मात्र 24 गेंदों में 76 रन बनाए. इस धुआंधार पारी खेलने के बाद वे काफी सुर्खियों में रहे थे. वहीं से ऋषभ को हिटिंग बेट्समेन के तौर पर जाना जाने लगे. साल 2016 में ही उन्हें आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स से खेलने का मौका मिला. ऋषभ पंत ने एक इंटरव्यू में कहा है कि, वह हमेशा अपने से बड़ी उम्र के खिलाड़ी के साथ खेलना पसंद करते थे. मात्र 12 वर्ष की आयु में भी अंडर 16, अंडर 18 वाले खिलाड़ियों के साथ खेला करते थे.
इससे यह तो तय होता है कि, क्रिकेट का जुनून उनके डीएनए में है. साथ ही उन्हें राहुल द्रविड़, आशीष नेहरा और गावस्कर जैसे कोच का मार्गदर्शन भी मिला. ऋषभ पंत ने अब तक कुल 20 टेस्ट मैच खेले हैं. जिनमें उन्होंने 3 शतक, छह अर्धशतक के साथ 1350 रन बनाए हैं. वही 10 वनडे मैचों में 374 रन पूरे किए हैं. और हाल ही में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए काफी सुर्खियों में रहे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऋषभ पंत की कुल संपत्ति तकरीबन 30 करोड़ है.
ऋषभ पंत सक्सेस स्टोरी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि, बचपन में सपने तो सभी देखते हैं. लेकिन बड़े होकर उन्हें पूरा करने की क्षमता बहुत कम लोगों में ही होती है. हमें हमेशा बड़े लक्ष्य बनाने चाहिए और हमेशा उसके लिए प्रयासरत होना चाहिए. आशा करते हैं कि, यह सफलता की स्टोरी आपको अच्छी लगी होगी.
अजित डोभाल – जेम्स बांड
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