भीमराव अम्बेडकर पर निबंध (essay on Bhimrao ambedkar)

भीमराव रावजी अम्बेडकर, जिन्हें डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी पुकारा जाता है. उनका मूल नाम भीमराव था. भीमराव जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को पिता रामोजी सकपाल और माता भीमाबाई की कोख़ से हुआ.

उनकी जन्मस्थली महू (महाराष्ट्र) है. भीमराव उनकी 14 वी और अंतिम संतान थी. उनके पिताजी रामोजी सकपाल एक सैनिक छावनी के सूबेदार थे.

भीमराव आंबेडकर पर निबंध

उनके पिता कबीरपंथी और माता धर्मपरायण थी. उन्ही के मार्गदर्शन से भीमराव का बचपन अनुशासित रहा. भीमराव अम्बेडकर का 17 वर्ष की आयु में 9 वर्ष की रमाबाई से विवाह हुआ था. वे हिन्दू धर्म की महार जाति के थे. महार जाती कि लोगो को उस समय अछूत मानी जाता था. इस कारण भीमराव को बचपन में ही कई सामाजिक कुरूतियो का सामना करना पड़ा.

भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा

बालक भीमराव की प्रार्म्भिक शिक्षा महाराष्ट्र के सतारा और दापोली में हुई. बाद में इन्होने मुंबई के एल्फिन्स्तोंन स्कूल से 1907 में मेट्रिक पास की. मेट्रिक उत्रीण करने वाले अपने समुदाय में वे पहले व्यक्ति थे भीमराव के एक ब्राह्मण शिक्षक श्री कृष्णाजी अर्जुन केलुस्कर, जो भीमराव से विशेष लगाव रखते थे इन्होने ही भीमराव का नाम भीमराव अम्बेडकर रखा था.

इसके बाद बड़ोदा के राजा सयाजी राव गायकवाड द्वारा दी स्कोलरशिप से मुंबई यूनिवर्सिटी से B A में स्नातक किया. उन्हें संस्कृत पढने के मनाही के कारण फ़ारसी में बीए उत्तीर्ण की.

उच्च शिक्षा

भीमराव बचपन से ही होनहार छात्र थे. बीए स्नातक के बाद एम ए करने के लिए अमेरिका की कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. जिसकी स्कालरशिप भी बड़ोदा के राजा ने दी थी.

1915 में उन्होंने एम् ए स्नातकोत्तर किया. जिसमे अर्थशास्त्र उनका प्रमुख विषय था. जिस पर शोध किया और ‘प्राचीन भारत का वाणिज्य’ लिखा. सन 1927 में कोलम्बिया यूनिवर्सिटी से ही पी एच डी की उपाधि ली जिसमे उनके शोध का विषय ” ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकेन्द्रीयकरण ” था.

उनकी तीन वर्षीय स्कालरशिप समाप्त हो गई थी. और अब उन्हें भारत लोटना था. जब वे लंदन होते हुए भारत लोट रहे थे. तब उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से एम एस सी करने हेतु प्रवेश ले लिया.

भारत लोटने पर सबसे पहले स्कालरशिप की शर्त के अनुसार, उन्हें बड़ोदा के दरबार में वित्तीय सलाहकार और सेना अधिकारी नियुक्त किया. लेकिन यह उनको यहाँ किराए का मकान न मिलने की समस्या का सामना करना पड़ा. इस कारण वे पुनः मुंबई लोट आए.

बाद में वे अपने परिवार के साथ परेल के डबक चोल में रहने लगे. परिवार का भरण-पोषण  और अधूरी पढाई को करने के लिए वकालत और पढ़ाने का काम किया. वहा रहते हुए उनकी धर्मपत्नी रमाबाई का बीमारी के चलते निधन हो जाता है. कुछ साल बाद अपनी अधूरी पढाई पूरी करने के लिए लंदन और जर्मनी गये.

जहां से एम एस सी, डी एस सी और बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की. डॉ अम्बेडकर को कोलम्बिया यूनिवर्सिटी ने एल एलडी और उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने डी. लिट. की मानद उपाधि से नवाजा.

इस प्रकार बाबासाहेब अम्बेडकर विश्व के छात्रो के लिए प्रेरणास्रोत है. बाबासाहेब के पास बी ए, एम ए, बी एस सी, एम एस सी, पी एच डी, बैरिस्टर सहित कूल 32 डिग्रियां थी. भीमराव अम्बेडकर पर निबंध.

भीमराव-अम्बेडकर-पर-निबंध

दलितों के उद्वारक के रूप में

डॉ अम्बेडकर को दलितों का मसीहा कहा जाता है. उन्होंने दलितों के उद्धार हेतु कई सत्याग्रह और आंदोलन किये. उनका कहना था “छुआछुत गुलामी से भी बद्तर है”. सन 1919 में पहली बार डॉ अम्बेडकर राजनैतिक सुधार करने हेतु गठित ‘साउथबरो आयोग’ के सामने दलित प्रतिनिधि रूप में सामने आए.

उन्होंने दलितों पर हो रहे शोषण और अत्याचार के विरुध्द आवाज उठाई. दलितों में जागरूकता लाने के लिए ‘ मूकनायक’ और बहिष्कृत भारत साप्ताहिक पत्रिकाए सम्पादित की. उनका पूरा जीवन दलितों के उद्धार के लिए समर्पित था.

राष्ट्र निर्माण में डॉ अम्बेडकर का योगदान

भारत रत्न बाबासाहेब अम्बेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्षो मे देश को राजनैतिक,आर्थिक,सामाजिक,धार्मिक,शैक्षणिक,ओधयोगिक,एतिहासिक,संवेधानिक,साहित्यिक आदि क्षेत्रो में अहम् योगदान दिया है. जैसे-

सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में डॉ अम्बेडकर की भूमिका(भीमराव अम्बेडकर पर निबंध )

सर्वप्रथम उन्होंने दलितों के अदिकारो के लिए प्रयास किये. जो अधिकार दलितों को नही प्राप्त थे. जैसे मंदिर प्रवेश पर रोक,तालाबो से पानी पीने पर रोक,छुआछुत,जातिगत भेदभाव आदि सामाजिक कुरीतियों का बहिष्कार किया.

इन सामाजिक कुरीतियों को नष्ट करने के लिए मनुस्मृति दहन(1927), महाड सत्याग्रह (1927),नासिक स्थित कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन (1930),येवला की गर्जना (1935) जैसे कई सत्याग्रह किये.

इसके अलावा कई समाचार पत्र व पत्रिकाए प्रकाशित की. जैसे- 1920 में मूकनायक व समता,1927 में बहिष्कृत भारत, 1930 में जनता, 1956 में प्रबुद्ध भारत आदि. अछूतोंद्धार हेतु 1924 में ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ नामक संस्था का गठन किया. इसके माध्यम से वे अछूतों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक आधिकारो के लिए सघर्ष करते रहे.

अछूत समाज के छात्रो को शिक्षित करने के लिए छात्रावास, रत्रिशाला, पुस्कालय बनाये गए. उनके द्वारा मुंबई में सिदार्त कॉलेज और ओरंगाबाद में मिलिंद कॉलेज की स्थापना की. विभिन्न सामाजिक संगठन बनाए जैसे- समता सैनिक दल, बम्बई प्रांतीय अस्पृस्य परिषद, किसान मोर्चा, आल इंडिया शेदुअल फेडरेशन, बम्बई पीपुल्स एजुकेशन सोसायिटी, म्युनिसिपल कामगार यूनियन आदि.

डॉ अम्बेडकर ने हिन्दू कोडबिल बनाकर लाखो निरीह महिलाओ को कई अधिकार दिए. इस कानून के महिलाओ को तलाक, अन्तर्जातीय विवाह, पैतृक सम्पति में उत्तराधिकार आदि अधिकार दिए गए. इस कारण बाबासाहेब को नारियो का मुक्तिदाता भी कहा जाता है.

आर्थिक व प्रशासनिक क्षेत्रो में डॉ अम्बेडकर की भूमिका

बाबासाहेब अम्बेडकर जाने माने अर्थशास्त्री थे. उनके द्वारा किया गया शोध ” the problem of the rupees its origin and its solutions ” जो 1923 में ‘the problem of the rupee’ के नाम से प्रकाशित हुई. इसी ग्रंथ के माध्यम से ‘हिल्टन युवा आयोग’ ने एकेक रिपोर्ट प्रस्तुत की.

इस रिपोर्ट के आधार पर भारत में 1935 में आरबीआई (RBI) की स्थापना हुई. उनके एक ओर शोध ( ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास ) के आधार पर भारत में वित्त आयोग की स्थापना हुई. इसके अलावा भारत में ओधयोगिक विकास, सिंचाई, जल भण्डारण, बहुद्वेशीय आर्थिक परियोजना, मजदूरो व किसानो की आय में बढ़ोत्तरी में अहम् योगदान दिया.  (भीमराव अम्बेडकर पर निबंध )

शिक्षा, सुरक्षा व किसान-श्रमिक कल्याण ( बाबासाहेब आंबेडकर इतिहास )

डॉ अम्बेडकर श्रमिक कल्याणकारी कानून, रोजगार कार्यालय और भविष्य निधि के जनक भी थे. उन्हें वायसरॉय की एक्जीक्यूटिव  कोंसिल में श्रमिक सदस्य बनाया गया. उन्होंने श्रमिकों के लिए 12 घंटे के काम बजाय 8 घंटे किया,समान कार्य समान वेतन लागू किया. कर्मचारी बीमा योजना, कर्मचारी स्वास्थ्य योजना, प्रसुती अवकाश, सवैतनिक अवकाश आदि अधिनियम पारित किये.

उनकी सदस्यता में महिलाओ के लिए पहली बार प्रसूति अवकाश की व्यवस्था की गई. डॉ अम्बेडकर ने स्वंत्रत मजदूर संगठन बनाया. 1927 में मुंबई प्रेजिडेंसी चुनाव में खड़े हुए और चुनाव जीते. उन्होंने देश में श्रम विवाद कानून में संशोधन, न्यूनतम वेतन कानून और ओधयोगिक शांति स्थापना में अहम योगदान दिया था.

पी डब्ल्यू डी के मंत्री रहते हुए उन्होंने कई बहुद्वेशीय परियोजनाए बनाई जैसे दामोदर घाटी परियोजना, हीराकुंड बांध योजना. इन योजनाओ के तहत सिंचाई हेतु जल, जलमार्ग से यातायात, बिजली उत्पादन आदि कई सुविधाए उपलव्ध करवाई.

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रो के विकास के लिए भूमि सुधार और खेती में सहकारिता को लागू करने में अहम् भूमिका निभाई. उनका मानना था कि देश का विकास ओद्योगीकरण से ही संभव है.

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संविधान निर्माण में बाबासाहेब का योगदान

देश के स्वंत्रत होने से पुर्व 1946 को अंतरिम सरकार का गठन हुआ. जवाहरलाल नेहरु अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने. डॉ अम्बेडकर को कानून मंत्री बनाया गया. सर्वप्रथम बाबासाहेब मनोनीत हुए थे. लेकिन देश विभाजन के बाद में वे मुंबई से मनोनीत किए गए. 29 अगस्त 1947 को उन्होंने सविंधान सभा की प्रारूप समिति का निर्माण किया.

जिसके अध्यक्ष बाबासाहेब अम्बेडकर बने. इनके अलावा 7 अन्य सदस्य थे. इन 7 सदस्य में से एक सदस्य की मृत्यु हो गई थी, दुसरे सदस्य अमेरिका चले गए, तीसरे ने इस्तीफा दे दिया. उन तीन सीटों को भरा नही गया. चोथे सदस्य निजी संस्था का कार्य में लगे रहे. एक-दो सदस्य दिल्ली से दूर रहते और ख़राब स्वास्थ्य के कारण नही आ पाते थे.

इस कारण भारत के संविधान का प्रारूप बनाने की जिम्मेदारी बाबासाहेब पर थी. बाबासाहेब दिन के 18-18 घंटे व्यस्त रहते थे. संविधान बनाने में बाबासाहेब को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे. बाबासाहेब लोकतंत्र कर प्रबल समर्थक थे. भारतीय संविधान लोकतंत्र को मनाता है. इसलिए बाबासाहेब को संविधान के शिल्पकार माना जाता है.

भारतीय संविधान कुछ भाग विभिन्न देशो से लिया गया है. सविंधान सभा में विस्तृत चर्चा के बाद तैयार संविधान को 26 नवम्बर 1950 को अंगीकृत किया गया. उसके एक वर्ष बाद 26 जनवरी 1950 को सविंधान लागू हुआ. डॉ अम्बेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है.

अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण (Babasaheb Ambedkar Nibandh)

स्वंत्रता प्राप्ति के बाद बाबासाहेब ने 1956 में बोद्ध धर्म को स्वीकारा और भारत में बोद्ध धर्म को पुनर्स्थापित किया. उन्होंने घोषणा की थी कि ” मेरा जन्म हिन्दू धर्म में हुआ ये मेरे वश में नही था, लेकिन मै हिन्दू धर्म में रहकर नही मरूँगा “. 5 दिसम्बर 1956 को बाबासाहेब का निधन हो गया. मुंबई में बाबासाहेब का समाधि स्थल है.

जिसे ‘ चैत्य भूमि ‘ के नाम से जाना जाता है. डॉ अम्बेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार थे. उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है. बाबासाहेब को 1990 में मरनोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरुष्कार “भारत रत्न” दिया गया. (भीमराव अम्बेडकर पर निबंध )

Dr. B. R. अम्बेडकर जयंती 2021

भारत रत्न बाबासाहेब अम्बेडकर जिन्हें, भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है. इन्होने भारत के संविधान निर्माण में अतुल्य एवं अविस्मरणीय योगदान दिया था.

इन्होने भारत में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों एवं रूढ़िवादीयो का विनाश किया. तथा एक स्वतंत्रत, निष्पक्ष एवं आधुनिक भारत की नींव रखी. इनके जन्म दिवस 14 अप्रैल को हर साल भारत में ही न्हु अपितु विश्वभर में भीमराव अम्बेडकर जयंती मनाई जाती है.

इस दिन बाबासाहेब अम्बेडकर के प्रयासों को याद किया जाता है. साल 2021 में बाबासाहेब की 131 वी जयंती मनाई जा रही है. इस दिन भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महाराष्ट्र स्थित चैत्य भूमि (समाधि स्थल) में फुल अर्पित कर श्रदांजलि देते है. तथा संध्या के समय घरो में एक-एक दीया जलाकर बाबासाहेब को श्रदांजलि देते है.

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