गर्भपात का बच्चा – एक भूतिया बच्चा और लड़की
डरावनी और भुतिया कहानियों में आप पढने जा रहे हैं – गर्भपात का बच्चा
नेहा और सुनील कार से जा रहे थे। सुनील कार को तेज रफ्तार से दौड़ाते हुए नेहा से ऊंची आवाज में बात कर रहा था। नेहा तो क्या सोचा है, तुमने. अब तुम ही बताओ, आगे क्या करना चाहिए। नेहा तुम सुन रही हो या नहीं। सुनील अपनी ऊँची और गुस्सिली आवाज में नेहा से बात कर रहा था. लेकिन, नेहा अपनी आंखों को एक स्थान पर स्थिर किए हुए कुछ सोचे जा रही थी। बारिश की तेज बूंदों और गाड़ी की रफ्तार में नेहा कही गुम-सी हो गई।
नेहा की आंखों के सामने उसके पिता की वह बातें सामने आ रही थी जो सादी से पहले उससे कही थी, बेटा नेहा लड़का अच्छा है। डॉक्टर है, गाड़ी है, बंगला है, नौकर चाकर इस रिश्ते को ठुकराया तो समझ लो सारी खुशियां अग्निकुंड. कितनी बड़ी गलती कर दी, पापा की बात मान-कर. मुझे रुकना चाहिए था। सोचना चाहिए था। इस शादी से तो बेहतर होता कि मैं जिंदगी भर कुंवारी ही रह जाती। इतने में सुनील ने जोर से गाड़ी को ब्रेक मारे और चिल्लाया नेहा ध्यान कहां है तुम्हारा?
कब से तुम्हें पूछ रहा हूं तुमने क्या सोचा है, नेहा बोली – जो किस्मत में लिखा है, उसको ठुकराने से क्या मतलब अगर तुम मुझसे सहमत नहीं हो तो मुझे अपने पिता के घर छोड़ दो.
उतरो…उतरो….नीचे उतरो…मैंने कहा, गाड़ी से नीचे उतरो. पर मैं अकेली इतने अंधेरे में…. अकेली… कैसे…… तुम नीचे उतरो…… नेहा कार से नीचे उतर गई. और स्तब्ध खड़ी रह गई….. नेहा एक-टक सुनील की गाड़ी को देख रही थी।
अब नेहा के पास और कोई रास्ता नहीं था….सिवाय पैदल चलने के.
सुनसान जगह, कीट पतंगों की आवाज की किट किट साफ सुनाई दे रही थी। हल्की-हल्की बारिश की बुंदे गिर रही थी। नेहा चुप-चाप चलने लगी। कुछ 100 200 मीटर की दूरी पर नेहा एक पुल के ऊपर से गुजर रही थी, जिसका पानी काफी तेज गति से बह रहा था। तभी नेहा को किसी छोटे बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। नेहा आगे बढ़ती रही। और बच्चे की आवाज और तेज हो गई। अब नेहा ने पीछे मुड़कर चारों ओर देखा। लेकिन वहां पर कोई नहीं था, नेहा कुछ और आगे बढ़ी। और बच्चे की आवाज़ शांत हो गई.
अभी वह पूल के दूसरे छोर पर पहुंची ही थी कि उसको फिर से बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी, उससे रहा नहीं गया और उसने पूल के अंदर झाककर देखा तो एकदम स्तब्ध रह गई। पूल की दीवार के सहारे एक छोटा बच्चा आ रहा था। पहले तो नेहा डर गई। फिर उसने उस बच्चे को उठा लिया। जैसे ही नेहा ने बच्चे को उठाया। नेहा ने कुछ महसूस किया। नेहा को लगा कि उसके पीछे कोई खड़ा है। तुरंत पीछे मुड़ गई। उसने देखा कि सफेद कपड़ों में काले बाल की 8 साल की लड़की खड़ी है। पलक झपकते ही वह आंखों के सामने आ गई।अब नेहा की दिल की धड़कन बढ़ने लगी और छोटी लड़की बड़ी-बड़ी आंखों से नेहा को एकटक देखे जा रही थी। फिर वह लड़की जोर से चिल्लाई.तो नेहा की मनो जान ही निकल गई।
तभी सामने से एक कार आती हैं और रुक जाती हैं. देखा तो सुनील.
सुनील…. वो लड़की और ये बच्चा लगता है किसी ने इसको बाहर छोड़ दिया है।
कौन सी लड़की और कौन सा बच्चा….. बच्चा ….बच्चा कहां गया… अभी तो मेरे हाथ में था।
तुम चुपचाप गाड़ी में बैठो। नेहा अभी भी डरी हुई थी, और चुपचाप गाड़ी में बैठी गई।
नेहा और सुनील दोनों घर पहुँच जाते हैं. सुनील की मा उसको डाटती हैं. तुम उसको बाहर क्यों छोड़ कर क्यों आ गए. अगर कहीं मायके मे चली गयी और सभी को बता दिया तो फिर तुम्हारा तो खेल ख़त्म.
सुनो सुनील कल इसको अपने लेकर जाओ इसका ऑपरेशन कर दो. तुम ठीक कहती हो माँ. अब इसको पूछने से कोई मतलब नहीं.
नेहा सो जाती हैं और जल्दी ही उसकी आँख लग जाती हैं.
सबह के सात बजे…..
नेहा नेहा उठो… सात बज गए… अभी नाश्ता तैयार करो. मुझे देरी हो रही हैं. और तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ. तुम्हे भी चलना हैं.
नेहा रसोई में सोचते सोचते नाश्ता बना रही थी….आज चौथी बार मेरा…
नेहा नेहा जल्दी करो….
नेहा और सुनील दोनों होस्पिटल पहुँचते हैं.
तुम यहाँ बैठ जाओ….
सिस्टर… तुम्हे मल्लों हैं ना क्या करना हैंतो जाओ इसकी तैयारी करो.
पर सर आपको तो डॉ लोकेश के साथ मीटिंग….अरे मैं तो भूल ही गया. ऐसा करो… तुम तैयारी करके रखना. मैं आते ही सब देख लूँगा.
सुनील नेहा को ये बताकर चला गया की तुम यहीं रुकना घर पर मत जाना.
नेहा ने हा भर दी.
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नेहा इंतज़ार करती रही… दोपहर हुई… शाम हुई… आठ बजे… दस बजे…नेहा सो गयी.
10 बजे सुनील आया. नेहा चलो घर चलते हैं. बारिशहो रही थी. नेहा और सुनील उसी रास्ते से वापस घर लौटे हैं. उस पूल के पास अचानक से गाड़ी का टायर फट जाता हैं. सुनील उतर कर चेक करता हैं. नेहा गाड़ी का टायर फट गया हैं, तुम अन्दर बैठो. मैं टायर बदल देता हूँ.
काफी देर हो गई थी…सुनील अभी नहीं आया था. नेहा ने उतर कर बाहर आई.
नेहा जैसे ही कार से बाहर निकली उसको बच्चे की आवाज़ सुने दी. उसने पूल की तरफ मुड़कर देखा. उसको वहीँ बच्चा आता हुआ दिखाई दिया. नेहा उसको देखे जा रही थी. और उसको उठाने के लिए उसके सामने जा रही थी की…… एक से दो, दो से तीन, तीन से चार, ऐसे करते हुए 15-20 बच्चे हो गए. अब नेहा को डर लगने लगा. नेहा जैसे ही सुनील के पास जाने लगी. पिछे उसको वहीँ लड़की दिखाई दी. नेहा के मुह से चीक निकल गयी…. उसने जोर से पुकारा सुनील…सुनील… लेकिन कोई जवाब नहीं आया. उसने टायर के पास जाकर देखा तो सुनील….सुनील की किसी ने एक लम्बा सरिया से हत्या कर दी थी. अब नेहा एक दम जोर से चीखी…..
मेडम…मेडम क्या हुआ… नेहा ने उठक्र देखा तो वो उसी बेड पर थी जहाँ से सुनील उसको लेकर गया था. नेहा ने घड़ी की तरफ देखा. तो सुबह के छ बजे थे. नेहा कुछ समझ नहीं पा रही थी. उसने सोचा की ये तो एक सपना था.
मेडम बाहर पुलिस आई हैं … और आपको बुला रहे हैं. क्यों….
पुलिस नेहा को अपने साथ ले जाते हैं. पुलिस अपनी गाड़ी को उसी पूल के पास ले जाकर रोकते हैं. नेहा उतर कर बाहर आती हैं और देखती हैं की वहां तो सुनील की कार कड़ी हैं. और कुछ लोग भी खड़े है. नेहा जैसे ही कार के पास गयी तो चोक गयी वाकई में कार का टायर फटा हुआ था. अब नेहा को अपने सपने पर यकींन होने लगा था.
लोगो की भीड़ को चीरते हुए नेहा आगे बढ़ी तो तो उसने अपने सपने का अंतिम पल सत्य पाया. सुनील को किसी ने सरिये से मार दिया. नेहा रोने लगी. कुछ सिस्टर उसको वहां से दूर ले जाने लगी. नेहा को एक तरफ लेकर गए. तभी पीछे भीड़ से आवाज़ आती हैं. सुना हैं इसने बहुत से गर्भ को उजाड़ा हैं और उसको इस नाले में बहा दिया हैं. पता नहीं किस आत्मा की हाय लगी होगी.
नेहा…सोचने लगी की इसमें से तीन तो मेरे ही हैं, और चौथा भी हो जाता. नेहा को थोडा शुकून भी मिल रहा था. अब उसके बच्चे को इस दुनिया में आने से कोई नहीं रोक सकता.
इस भुतिया डरावनी कहानी (horror stories in hindi) गर्भपात का बच्चा से क्या सीखा – बुरे का अंत बुरा ही होता है।
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