Private Limited Company Rules in Hindi – भारत में अगर कोई नयी प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी शुरू करता हैं तो उसको उसको बहुत सारे नियमों का पालन करना होता हैं. वैसे देखा जाए तो Private Limited Company भारत की सबसे आम प्रकार की कंपनी हैं. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को कोई भी घर बैठकर ही ऑनलाइन फॉर्म भरकर डिजिटल sign से रजिस्टर कर सकता हैं. लेकिन यह दुकान चलाने जितना भी आसान नहीं हैं.
अगर private limited company India rules regulations को जाने बिना ही कंपनी शुरू करता हैं, तो उसको नियमो को सीखने में ही काफी समय खर्च करना होगा. वैसे भी अठारह वर्ष से ऊपर कोई भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का डायरेक्टर बन सकता हैं.
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प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए नियम(Private Limited Company Rules in Hindi)
- किसी भी कंपनी को आंतरिक रूप से मेनेज करने के अलग नियम हो सकते हैं, लेकिन बाहरी स्ट्रक्चर सरकारी नियमों के अनुसार होना चाहिए. हम यहाँ केवल भारत में संचालित होने वाली प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के नियमों के बारें जानेंगे.
- कोई भी नयी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जो रजिस्टर हो चुकी हैं या रजिस्टर होने वाली हैं, उसको संसद द्वारा पारित कम्पनी अधिनियम 2013 की अनुपालना करनी होती हैं. कम्पनी अधिनियम 2013 में 29 चैप्टर और 470 सेक्शनस हैं.
- हम यहाँ कंपनी के मुख्य नियमों(Private Limited Company Rules in Hindi) को पॉइंट्स में जानने का प्रयास करते हैं. pvt ltd company rules and regulations क्या हैं? private limited company rules क्या हैं? प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए वेतन नियम क्या हैं? चलिए सभी को जानते हैं.
- किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम दो सदस्य होने चाहिए. अधिकतम दौ सौ सदस्य हो सकते हैं. इन सदस्यों को शेयरहोल्डर कहते हैं. इसका मतलब किसी प्राइवेट कंपनी में 200 शेयर होल्डर हो सकते हैं.
- कोई भी प्राइवेट कंपनी में कम से कम दो डायरेक्टर होने चाहिए, और अधिकतम पंद्रह हो सकते हैं. एक इन्वेस्टर, डायरेक्टर बन सकता हैं और डायरेक्टर भी इन्वेस्टर बन सकता हैं.
- प्रत्येक मेंबर को सिमित देयता का अधिकार प्राप्त होता हैं. इसका मतलब हैं की कोई भी मेम्बर को उतना ही प्रॉफिट और लोस होगा जितना उसने निवेश किया हैं. यह अधिकार बोर्ड के मेम्बेर्स की वेस को सुरक्षित करता हैं.
- कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2, खंड 68 के अनुसार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बनाने के लिए एक लाख की पूंजी चुकता करनी होती हैं. यह रजिस्ट्रेशन फ़ीस हैं, जो कंपनी को रजिस्टर करवाते वक्त देनी होती हैं.
- अगर किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में दो मेम्बेर्स हैं और कोई एक रिजाइन करता हैं, तो दुसरे मेम्बर को तुरंत दुसरे इन्वेस्टर को नियुक्त करना होता हैं.
- प्राइवेट लिमटेड कंपनी के बोर्ड में केवल एक मेम्बर होने की स्थिति में कोमप्न्य को एक बैठक बुलानी होती हैं, जिसमे नया डायरेक्टर चुना जाता हैं.
- किसी प्राइवेट लिमिटेड से रिजाइन करने के लिए बिना कारन बताये कर सकते हैं. इसके लिए कंपनी के बोर्ड के सामने रिजाइन पत्र प्रस्तुत करना होता हैं.
- कई बार ऐसा हो सकता हैं की सभी बोर्ड के मेम्बर्स रिजाइन कर दे तो एसी स्थिति में सेण्टर गवर्नमेंट से प्रमोटर नियुक्त किये जाते हैं, ये प्रमोटर तब तक मौजूद रहते हैं जब तक बोर्ड में नए डायरेक्टर नहीं चुन लिए जाते.
- प्राइवेट लिमिटेड कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं होती हैं, इसलिए वह जनता के सामने शेयर होल्डिंग के लिए पेशकश नहीं कर सकती हैं. इसके बजाय, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पूंजी जुटाने के लिए, कंपनी के सदस्यों, परिवार और दोस्तों से निवेश ले सकते हैं.
- अगर किसी कंपनी की शेयर पूंजी पांच करोड़ हैं तो कंपनी के लिए फुल टाइम सीईओ/एमडी/प्रबंधक/डब्ल्यूटीडी, कंपनी सचिव और सीएफओ (मुख्य वित्तीय प्रस्ताव) होना आवश्यक है.
- कंपनी के लिए कम से कम दो डायरेक्टर का होना आवश्यक हैं, एक डायरेक्टर का भारतीय होना आवश्यक हैं, दूसरा डायरेक्टर विदेशी भी हो सकता हैं. डायरेक्टर बनने के लिए आवश्यक हैं की उसको कभी जेल नहीं हुई हो और पिछले 182 दिनों से वह भारत में रह रहा हो.
- कंपनी की एक आम बैठक में, एक प्रस्ताव द्वारा निदेशक(डायरेक्टर) के रूप में दो या दो से अधिक व्यक्तियों की नियुक्ति को तब तक स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि इसके खिलाफ एक भी वोट के बिना प्रस्ताव पर पहले सहमति न हो.
- एक ऑडिटर एक अधिकृत कर्मी होता है जो वित्तीय रिकॉर्ड की सटीकता की समीक्षा और सत्यापन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियां कर मानदंडों का अनुपालन करती हैं. उनका प्राथमिक उद्देश्य व्यवसायों को धोखाधड़ी से बचाना, अन्य बातों के अलावा, लेखांकन विधियों में किसी भी विसंगति को उजागर करना है.
- एक ऑडिटर या ca को पांच साल के लिए नियुक्त किया जाता हैं, एक ऑडिटर पांच साल के बाद अगले पांच के लिए उस कंपनी को ज्वाइन नहीं कर सकता हैं.
- कंपनी के वित्तीय विवरणों का प्रमाणीकरण धारा 134 के अनुसार सीईओ या अध्यक्ष द्वारा किया जाना चाहिए और एक अध्यक्ष भी निदेशक की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकता है.
- प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पंजीकरण के लिए ये कुछ महत्वपूर्ण नियम और विनियम हैं जिन्हें पूरा करना आवश्यक है. इन खण्डों को समझना या लागू करना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है, ऐसे परिदृश्य में आपको सलाह दी जाती है कि या तो सभी नियमों को ध्यान से पढ़ें या कानूनी सलाह लें ताकि भविष्य में किसी भी मुकदमे से बचा जा सके.
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रत्येक नियम के प्रत्येक खंड पर स्पष्ट ध्यान दिया जाना चाहिए और इसे महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए.
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर के लिए नियम
- private limited company rules in Hindi – प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भारत में सबसे आम प्रकार की कंपनी में से एक है, इसके लिए कानूनी रूप से खुद को पंजीकृत करने के लिए न्यूनतम दो निदेशकों, दो सदस्यों और दो शेयरधारकों की आवश्यकता होती है।
- अगर उचित पंजीकरण नियमों का पालन किया जाता है तो कुछ लाभ और टेक्स में छूट दी जाती है. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक(डायरेक्टर) कंपनी के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- एमसीए या कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा निर्धारित कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार एक कंपनी में अधिकतम पंद्रह निदेशक हो सकते हैं. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर को कुछ लाभ प्राप्त होते हैं.
- एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी डायरेक्टर से अपेक्षा की की जाती हैं की वह विशेष कर्तव्यों का पालन करते हुए कंपनी का वर्णन करें.
निदेशक बनने के लिए आवश्यकताएँ
- किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का डायरेक्टर कैसे बने? कंपनी का डायरेक्टर बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
- डायरेक्टर बनने के लिए, आपकी आयु अठारह वर्ष से अधिक होनी चाहिए. हालांकि, निर्देशक की नागरिकता को लेकर कोई मसला नहीं है. एक विदेशी उद्यमी बहुत अच्छी तरह से एक भारतीय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का निदेशक बन सकता है.
- यहाँ एक शर्त हैं की उसे अपनी नियुक्ति से एक सौ बयासी दिन पहले लगातार भारत में रहना चाहिए था.
- एक डायरेक्टर के रूप में कंपनी से जुड़ने के लिए डीआईएन की आवश्यकता है जो एक निदेशक पहचान संख्या है. यह आमतौर पर कंपनी को ज्वाइन करने के समय दिया जाता है. यह एक बार कोड संख्या है अर्थात यह कभी समाप्त नहीं होती है.
- इसके अलावा, एक डीएससी या डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र अनिवार्य है. डायरेक्टर का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए, ना ही उसको कभी जेल हुई होनी चाहिए.
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर की क्या क्या जिम्मेदारियां होती हैं?
- एक निदेशक वह व्यक्ति होता है जो किसी कंपनी के मामलों का सबसे मुखिया होता हैं. डायरेक्टर कम्पनी के हर मुद्दे से जुड़ा हुआ होता हैं.
- एक डायरेक्टर का चुनाव कंपनी के इन्वेस्टर(शेयरधारकों) के द्वारा मतदान प्रक्रिया द्वारा किया जाता हैं.
- एक डायरेक्टर एक ही समय में एक शेयरधारक के साथ-साथ कंपनी का एक मेम्बर भी हो सकता है.
- एक कंपनी के सुचारू संचालन के लिए एक निदेशक जिम्मेदार होता है. तकनीकी रूप से उनकी मृत्यु या स्वास्थ्य की बात करें तो कंपनी के कामकाज में बाधा नहीं आती है.
- कंपनी के निदेशक कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनके अलग अलग काम होते हैं. मैनेजमेंट डायरेक्टर, executive डायरेक्टर, जनरल डायरेक्टर, नॉमिनी डायरेक्टर, प्रोफेशनल डायरेक्टर हो सकते हैं.
- एक प्रबंध निदेशक(मेनेजिंग डायरेक्टर) को सत्ता में बैठे व्यक्ति या कंपनी के मुख्य कामकाज के प्रति जवाबदेह व्यक्ति के रूप में माना जा सकता है। वह कंपनी की शुरुआत के समय से वहां मौजूद हो और पर्याप्त शक्तियां रखता है.
- एक कार्यकारी निदेशक(executive डायरेक्टर) जैसा कि नाम से पता चलता है, एक पूर्णकालिक कर्मचारी/निदेशक होता है. executive डायरेक्टर को दैनिक रिपोर्ट और कंपनी के साथ काम करने का काम सौंपा जाता हैं.
- एक साधारण निदेशक वह होता है जो कंपनी के कामकाज में भाग लेता है। हालांकि, वह पहले बताए गए अन्य दो की तरह प्रभावी नहीं है। वह बोर्ड की बैठकों में भाग लेते हैं और अपनी राय देते हैं।
- एक अतिरिक्त निदेशक वह होता है जिसे अस्थायी आधार पर नियुक्त किया जाता है। वह वास्तविक समय में कंपनी में रहकर कंपनी के मुद्दों को संभालने के लिए जिम्मेदार होता है।
- एक पेशेवर निदेशक वह होता है जिसकी कंपनी के कामकाज में कोई दिलचस्पी नहीं होती है। वह एक सलाह देने वाले के रूप में काम करता है। उनके पास तकनीकी ज्ञान और पेशेवर योग्यताएं हैं।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए वेतन नियम क्या हैं?
private limited company rules and regulations for employees in Hindi -:
- एक कर्मचारी जिसने किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ज्वाइन किया हैं, वह अपने अग्रीमेंट की मांग कर सकता हैं. यह उनका हक़ हैं. इस अग्रीमेंट में कर्मचारी के काम करने के घंटे उनकी पोस्ट और वेतन का उल्लेख रहता हैं.
- अग्रीमेंट एक समझौता हैं, इस अग्रीमेंट का उद्देश्य नियोक्ता और कर्मचारी को एक पृष्ट पर लाना हैं.
- प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मूल अधिकार – फैक्ट्रीज़ एक्ट के तहत लिखा गया है, प्रत्येक कर्मचारी, चाहे वह कहीं भी काम करता हो, एक अच्छे कामकाजी माहौल के हिस्से के रूप में कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित बुनियादी अधिकारों की मांग अकरने का हक़दार हैं.
- अगर फेक्ट्री किसी तरह अमहुल को स्वास्थ्य के अनुकूल बनाने में सक्षम नहीं रहती हैं तो कर्मचारी के पीड़ित रहने पर उसको मुआवजा देना होगा.
- कर्मचारियों के मूल अधिकार में साफ-सफाई, पीने के पानी, कचरे के निपटान, वाशरूम, वेंटिलेशन और बिजली से संबंधित अधिकार शामिल हैं.
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत, भारत में प्रत्येक कर्मचारी को न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाती है. न्यूनतम वेतन से कम वेतन देना संविधान के अनुच्छेद 23 का उल्लंघन है. यदि किसी व्यक्ति को न्यूनतम मजदूरी के तहत काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इसे जबरन मजदूरी कहा जाता है.
- समान वेतन अधिनियम का भी पूरा पूरा ख्याल रखा जाता हैं. इसमें पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से भुगतान किया जाना है यानी समान काम के लिए समान वेतन है.
- बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 के अनुसार, कोई भी कारखाना या संगठन जो कम से कम 5 वर्ष पुराना है और वर्ष में 20 या अधिक कर्मचारियों को रोजगार देता है, तो वह अपने कर्मचारियों को बोनस का भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है.
आपने क्या सीखा “private limited company rules in Hindi”
private limited company rules in Hindi में हमने काफी सारे नियम बताएं हैं. ये बहुत बेसिक नियम हैं, हमें पूरी उम्मीद हैं की आपको ये नियम जरूर समझ में आये होंगे.
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