तीरंदाजी बीरबल – अकबर बीरबल लतीफे

तीरंदाजी बीरबल – किस्से अकबर बीरबल के

‘अकबर बीरबल की हिंदी कहानियां‘ में आज आप पढेंगे – तीरंदाजी बीरबल

एक बार बादशाह के दरबार में सभा चल रही थी और बातों की उलझन में बीरबल फिर से विद्वान साबित हुए. बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा कि बीरबल तुम तो केवल बातों के तीरंदाजी हो. अगर तुमको सचमुच तीर चलाना पड़े तो तुम्हें नानी याद आ जाएगी. बीरबल थोड़ा मुस्कराए और बोले मैं सचमुच होशियार तीरंदाजी हूँ जहापनाह! बीरबल का निशाना अगर गलत हो जाए तो जो सजा चोर को मिले, वो बीरबल को भी मंजूर. ऐसा बीरबल ने कहा.
इस मसले पर दरबारियों को लगा कि अबकी बार बीरबल अपनी बातों में खुद फ़स गए. दरबार के सभी मंत्री संत्री भी बीरबल की हार देखना चाहते थे. इसलिए सभी ने एक साथ गुहार लगा कर कहा कि बीरबल को अभी के अभी परखा जाए.
सभी मैदान में पहुंचे. बीरबल के हाथ में तीर और कमान सोंप दिया. कुछ दुरी पर स्थित पेड़ को लक्ष्य बनाकर निशाना लगाने को कहा गया. सभी का मानना था कि बुद्धि के तीर चलाने वाले का सचमुच तीर चलाना क्या जाने.


बीरबल ने पहला निशाना लगाया. तीर लक्ष्य पर न लगकर आगे निकल गया. बीरबल को पहले से मालूम था कि उनका निशाना चुकेगा. फिर भी बीरबल इस असफलता को स्वीकार करते हुए दुसरे के सर मरना चाहते थे. बीरबल फटाक से चिल्लाकर बोले, ये रही मुल्ला-दो-प्याज़ा की तीरंदाजी. मुल्लाजी ठेब गये. और बाकि सभी ठेगा लगाकर हंस पड़े. बीरबल ने दूसरा तीर निकाला. यह तीर भी लक्ष्य को पार कर गया. बीरबल फिर चिल्लाकर बोले यह रही टोडरमल महाराज की तीरंदाजी. राजा टोडरमल मुस्कराए और मुंछ दबाई और दरबारियों में ठेंगा गूंजा. बीरबल ने तीसरा तीर कमान पर लगाया और संयोग से यह सही जगह पर लगा. इस पर बीरबल ने बड़े रोफ से कहा ये रही बीरबल की तीरंदाजी. इस पर बादशाह अकबर मुस्कराए और बीरबल को उसकी बातों की और तीरंदाजी पर शाबाशी दी. इस तरह बीरबल से जलने वालो को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी.

इस अकबर बीरबल के किस्से(akbar birbal latife) से हमने क्या सिखा – कभी कभी बुद्दिमानी भी जित का ताज पहना देती हैं.

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