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कारगिल युद्ध का इतिहास(kargil war history in hindi)
कारगिल युद्ध का इतिहास(kargil war history in hindi) और कारगिल युद्ध की कहानी(kargil war story in hindi) पूरी घटना को विस्तार से इस पोस्ट में जानेंगे. 1999 भारत पाकिस्तान के मध्य हुई कारगिल की लड़ाई(kargil yudh) से सम्बन्धित इस पोस्ट में कारगिल की लड़ाई(kargil ki ladai) में किये गए सभी ऑपरेशनस और किस प्रकार कारगिल युद्ध(kargil yudh) की शुरुआत हुई, सभी विषयों को आगे जानेंगे.
इस पोस्ट के आखिर में आपको कुछ भारतीय सैनिक की खूबियाँ बताऊंगा जो केवल और केवल भारतीय सैनिकों के अन्दर पायी जाती हैं.
कारगिल युद्ध(kargil yudh) कब हुआ था?
कारगिल का युद्ध(kargil yudh date) ऑफिसियली तौर पर 3 मई 1999 को शुरू हुआ. लेकिन कारगिल युद्ध होने का मुख्य कारण क्या हैं? पहले आपको इसके बारें में विस्तार से बताते हैं.
भारत के प्रधान मंत्री का लाहौर का दौरा
1998 तक भारत और पाकिस्तान दोनों देश परमाणु शक्ति से संपन्न थे. 1998 सफल परमाणु परिक्षण के बाद 21 फरवरी 1999 को भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर समझौते के लिए लाहौर गए थे.
भारत सरकार और पाकिस्तान सरकार ने मिल कर आगे बढ़ने का फैसला किया, उस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे. दोनों देशो ने तय किया कि दोनों सरकारें एक साथ बैठकर कश्मीर का मुद्दा भी सरल कर निपटारा करेगी.
लाहौर में अटल बिहारी वाजपेयी जी को 21 तोपों की सलामी दी गयी थी. पर उस वक्त यह किसी को नहीं पता था कि कुछ महीनों बाद यही तोपें हमारे जवानो के सीनों पर चलायी जाएगी.
एक अजीबो गारी बात हैं कि – जिस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी जी पाकिस्तान के दौरे पर थे, तब पाकिस्तान ने जनरल परवेज मुशर्रफ ने अटल बिहारी वाजपेयी जी को सेल्यूट नहीं किया था.
भारत और पाकिस्तान के प्राचीन समझौते(kargil war story and history)
02 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ, इस समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता हैं. इस समझौते की शर्त यह थी कि LoC(LINE OF CONTROL) की सीमा के दोनों तरफ सर कोई भी सेना हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
दरअसल जहाँ पर LoC स्थित हैं, वहां पर सदिर्यों में तापमान गिरकर बहुत नीचे चला जाता हैं. लगभग -30 -40 डिग्री तक. इतने कम तापमान में इतनी अधिक ऊंचाई पर ज्यादा दिनों तक रुकना संभव नहीं होता हैं.
इसलिए दोनों और की सेनाएं अक्टूबर के महीने वहां से चली जाती हैं. फिर जब सर्दियाँ कम हो जाती हैं, अप्रैल मई के महीने में वापस यहाँ आती हैं.
कारगिल युद्ध की पहल किसने की(kargil war story in hindi)
कारगिल युद्ध(kargil yudh) की पहल इस प्रकार हुई. जून 1998 में पाकिस्तान में Pakistani Inter-Services Intelligence के द्वारा चार पांच सेना के मेजर ने मिलकर एक ऑपरेशन प्लान तैयार किया, इस ऑपरेशन का नाम “अल-बदर” रखा गया. इसकी पूरी रूप रेखा जावेद हसन ने बनाई थी.
अल बदर ऑपरेशन का उद्देश्य यह था कि जब अक्टूबर के महीने भारत और पाकिस्तान के LoC को छोड़ने का समय आता हैं, तो पाकिस्तान उस जगह को नहीं छोड़ेगा बल्कि LoC को पार कर भारत की तरफ बढेगा. इसलिए पाकिस्तानी सेना ने अपने प्लान के अनुसार अप्रैल मई में वहां हमले की तयारी में जूटे हुए थे.
पाकिस्तान ने यहाँ एक कदम यह उठाया कि आर्मी सेना को पीछे रख कर आतंकवादी और घुसपेठियों को आगे कर दिया. इसलिए ऑपरेशन अल बदर एक पाकिस्तानी आर्मी और घुसपेठियों का सम्मिलित कदम था.
ऑपरेशन अल बदर का उद्देश्य(india pakistan war 1999 in hindi)
श्रीनगर से लेह तक एक हाईवे NH 1जाता हैं. इस हाईवे के माध्यम से ही कारगिल से होकर सियाचीन जाया जाता हैं. अगर विरोधी किसी तरह से इस हाईवे को तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो सियाचिन से कनेक्शन टूट जायेगा और वहां किसी प्रकार की आर्मी सहायता नहीं पहुँच पायेगी.
भारत पाकिस्तान युद्ध 1999 की रुपरेखा
भारत और पाकिस्तान का कारगिल युद्ध चार भागों में हुआ. युद्ध का मुख्य पिन पॉइंट जिला कारगिल था, इसलिए इसे कारगिल की लड़ाई कहा जाता हैं. कारगिल के चार ताल्लुका मासकोक, दरास, काकसर और बटालिक में युद्ध लड़ा गया था.
दरास में सबसे भयानक और भीषण युद्द हुआ था. दरास में ही भारत के सबसे ज्यादा सैनिक मारे गए थे.
दरास में ही टाइगर हिल स्थित हैं जिसकी ऊंचाई लगभग 16600 फीट हैं. पाकिस्तानी सेना के पहले से ही ऊपर होने के कारण भारत को चढ़ाई के दौरान काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा था.
भारत को युद्ध का पता कैसे चला(kargil war story)
कश्मीर का इलाका अत्यंत ठण्ड का इलाका हैं, वहां पर एक ठंडी प्रजाति का जीव याक पाया जाता है. दरअसल जब कोई कश्मीरी वहां पर याक को चराने के लिए गया हुआ थो तो उसका याक खो गया था. इसलिए उसने दूरबीन की सहायता से याक को खोजने का प्रयास किया.
उस आदमी ने देखा कि कोई पत्थरों को तोड़ रहा हैं और छुपने के लिए जगह बना रहा हैं, लम्बी दाडी को देखकर उसने भांप लिया हो न हो यहं कुछ हलचल चल रही हैं.
उसने तुरंत इंडियन आर्मी को सुचना दी, इंडियन आर्मी को खबर होते ही सर्वे और पेट्रोलिंग की तैयारी की जाने लगी.
5 मई 1999 को भारतीय सेना के कुछ जवान पेट्रोलिंग के लिए गए. वहां से पता चला कि LoC सीमा के इस पार आतंकवादी घुस आये हैं.
9 मई 1999 को भारतीय बटालिन की एक टुकड़ी हथियारों को लेकर कारगिल का युद्ध करने के लिए निकल पड़ी. लेकिन वह दिन भारतीय सैनिक के लिए ब्लैक डे था.
टाइगर हिल से पाकिस्तानी सेना ने एक तोप चलायी, और वह तोप भारतीय सैनिको के उस क्षेत्र पर जाकर गिरी जहाँ सभी हथियार और बम रखे गए थे. कुछ ही क्षणों में भारतीय सेना को 127 करोड़ का नुकसान हो गया.
यहाँ पर भारतियों को दो सदमे लगे पहला, यह कि बहित बड़ी मात्रा में हथियार का नुकसान हो गया था. दूसरा यह कि – हमला करने वालो में पाकिस्तान की सेना भी शामिल हैं.
चूँकि भारतीय सेना को पता चल चूका था कि इस स्ट्राइक के पीछे पाकिस्तान के सेना प्रमुख का हाथ हैं तो भारत ने भी एक रूप रेखा और प्लान तैयार किया.
कारगिल की लड़ाई में भारतीय सेना ने तीन ऑपरेशन चलाये. थल सेना ने ऑपरेशन विजय, वायु सेना ने सफ़ेद सागर और नौसेना ने तलवार नाम का ऑपरेशन चलाया.
कारगिल युद्ध का ऑपरेशन विजय(india pakistan war 1999 in hindi)
ऑपरेशन विजय 3 मई 1999 को ही शुरू हो चूका था. पाकिस्तानी सेना और घुसपेठी पहले से ही 16000 फीट की ऊंचाई पर बैठे थे. इसलिए भारतीय सेना थोड़ी दबाव में थी. ऑपरेशन विजय का उद्देश्य यह था कि किसी तरह टाइगर हिल को घेर लिया जाये.
थल सेना ने कारगिल की लड़ाई सबसे पहले एक तरफ से चढ़ाई की. टाइगर हिल और तोलोलिंग की पहाड़ी समांतर में स्थित हैं. लेकिन दोनों की ऊंचाई में फर्क हैं. भारत सेना को तोलोलिंग पहाड़ी से होकर टाइगर हिल की चढाई करनी थी.
मसक्कत यह थी की … एक तो भारतीय सैनिक कम, दूसरा वे नीचे खड़े थे. पाकिस्तानी सैनिक कहाँ छुपकर बैठे हैं, इसका कोई अंदाजा नहीं. इसलिए तोलोलिंग पहाड़ी और टाइगर हिल के बीच में पाकिस्तान ने तोपों और मिशाइलों से खूब भारतीय सैनिकों को खदेड़ा.
भारत सेना ने अपने प्लान में कुछ बदलाव लाकर टाइगर हिल के चारों और से सैनिक भेजे. दूसरी तरफ पाकिस्तानियों ने भारत के 140 पोस्ट्स पर कब्ज़ा कर लिया था सभी जगह पर सैनिकों की टुकडियां भेजकर हेवी मशीन गन, मिशाइलों से उनको मुक्त करवाया. और किसी तरह बटालिक ताल्लुका को पाकिस्तानी घुसपेठी और सेना से आजाद कर दिया.
बटालिक के मुक्त होने पर भारत सेना का मनोबल बढ़ गया था.
टाइगर हिल को हासिल करने के लिए भारत की बफ़ोर्स तोप ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बफ़ोर्स ने पाकिस्तानियों को संभलने का मौका भी नहीं दिया.
अंततः भारतियों ने टाइगर हिल हो वापस मुक्त करा लिया.
ऑपरेशन सफ़ेद सागर(kargil war story in hindi language)
26 मई 1999 को भारत सेना की तरफ से ऑपरेशन सफ़ेद सागर शुरू हुआ. 27 मई को भारतीय हेलोकोप्टर ने वायु में उड़ान भरी.
27 मई का दिन इंडियन आर्मी के लिए एक और ब्लैक डे था. के नचिकेता मिग-27 को लेकर उड़ान भरी थी. टेक्निकल खराबी और राडार के कनेक्शन के टूट जाने के कारण के. नचिकेता को LoC की सीमा के दूसरी तरफ लैंड करना पड़ा था. जिसके कारण नचिकेता जी पाकिस्तानियों की बंदी में आ गए थे. लेकिन उनको बाद में अभिनन्दन वर्धमान की तरह वापस भारत को सौप दिया गया था.
अजय आहूजा भी मिग-27 हेलीकाप्टर लेकर सफ़ेद सागर का हिस्सा बने थे. 27 मई 1999 को जब इन्होने उडान भरी और टारगेट को लॉक कर रहे थे. इसी दौरान वह खुद एक स्ट्रिंगर मिशाइल के पॉइंट पर आ गए थे. इसलिए अजय आहूजा ने अपने प्लेन को इंजेक्ट कर लिया.
मिशाइल से वे बच गए थे. लेकिन पेराशूट से उतरते समय पाकिस्तानी सेना ने उनकी बुरी तरह से इतिहास की सबसे मर्मज्ञ हत्या की. इनकी पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट कुछ इस प्रकार थी.
1 एक मर्मज्ञ बंदूक की गोली का घाव है; दाहिने कान के पास प्रवेश करती है और बाएं कान के पास से बाहर निकली.
गनशॉट घाव: छाती पर दाहिनी निप्पल के 2 सेमी के पास से प्रवेश, जो की पीठ के नीचे की तरफ निकलती हैं.
ये आधी रिपोर्ट हैं. पूरी रिपोर्ट बहुत भयानक हैं. भारत पाकिस्तान कारगिल युद्ध में भारत की सेना ने कुल 527 जवान खोये थे.
वायु सेना के ऑपरेशन सफ़ेद सागर को बहुत नुकसान झेलना पड़ा. क्योंकि भारत के मिलेट्री जेट इतनी ऊंचाई पर उड़ने के लिए काबिल नहीं थे. लगभग 16 से 18 हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित घाटियों की पेट्रोलिंग करना थोडा मुश्किल था. लेकिन जब परिस्थितियां बेकाबू हो रही तो सैनिक नार्मल यात्री हेलीकाप्टर को लेकर भी निकल पड़े. भारत ने कारगिल की लड़ाई में चार MI-17 हेलिकोप्टरों को खो दिया.
लेकिन जब मिराज-2000 आया तब पाकिस्तानियों को खदेड़ कर रख दिया. मिराज-2000 विमान लेजर पिन पॉइंट टारगेट को बुक करता हैं. इसने पाकिस्तानियों की हाला खस्ता कर दी.
“जब फ़्रांस से मिराज-2000 को खरीदने के लिए पाकिस्तान के साथ समझौता होने वाला था तो पाकिस्तान ने इसकी साइज़ देखकर मना कर दिया था.”
24 june 1999 को पाकिस्तान के लिए एक काला दिन होने वाला था. लेकिन भारत के एक राजनितिक निर्णय के कारण वह घटना होते होते रह गयी.
24 june को दो जेगुआर हेलीकाप्टर पेट्रोलिंग के लिए निकले थे. एक जेगुआर हेलीकाप्टर में सिनियर ऐ के सिंह और दुसरे जेगुआर में एक जवान सैनिक बैठे थे.
ऐ के सिंह का जेगुआर पीछे चल रहा था.
उस वक्त नीचे एक टुकड़ी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और आर्मी चीफ़ जनरल परवेश मुशर्रफ दोनों मौजूद थे.
आगे वाले जेगुआर ने उस टुकड़ी को पिन पॉइंट कर टारगेट बना लिया और अपने सीनियर ऐ के सिंह को कॉल किया कि – उन्होंने एक बहुत बड़ी टुकड़ी को निशाना पर रखा हैं. क्या उनको इजाजत हैं.
वहां पर उनको रोकने की इजाजत दी गयी, क्योंकि वह टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा के भीतर थे.
अगर उस वक्त निशाना लगा देते तो भारत के वैश्विक समझौते ख़राब हो जाते, एक बहुत बड़ा राजनितिक मुद्दा खड़ा हो जाता. दुसरे देश की सीमा के अन्दर जाकर मारने पर भारत का पक्ष कमजोर हो सकता था. भारत के लिए यह एक सही निर्णय था.
नौसेना का तलवार ऑपरेशन(1999 kargil war story in hindi)
ऑपरेशन तलवार की आगाज़ होते ही, चारों तरफ से भारत की नौसेना बटालियन अरब सागर के समीप आ पहुंची. भारत की नौसेना ने पाकिस्तान को अरब सागर की तरफ से घेर लिया. इस कारण पाकिस्तान का आयात निर्यात का व्यापर बंद हो गया था. पाकिस्तान के सभी नेवल ब्लाक कर दिए.
पाकिस्तान ने सभी पेट्रोल की लाइनें बंद कर दी.
अगर उस वक्त पाकिस्तान कराची से पीछे नहीं हटता तो सात दिन में पाकिस्तान के पास जरूरती संसाधनों की कमी आ जाती.
इस प्रकार पाकिस्तान के पास अब सरेंडर करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं था.
पाकिस्तान ने अमेरिका से सहायता मांगी(about kargil war in hindi)
4 जुलाई को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिका राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से सहायता मांगी लेकिन पाकिस्तान की गलती होने कारण वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा.
इस वार्ता को किसी ने रिकॉर्ड कर लिया, जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल परवेश मुशर्रफ चीन से सहायता मांगने गए तो इस वार्ता की आकशवाणी के कारण वहां से भी खाली लौटना पड़ा.
14 जुलाई को भारत सरकार ने युद्ध विराम करने का आदेश दिया. लेकिन भारतीय सेना ने 26 जुलाई तक सभी चेक पॉइंट्स को खंगाला और जब पूरी तरह से संतुष्ट हो गए की अब कोई पाकिस्तानी आतंकवादी मौजूद नहीं हैं. तब 26 जुलाई को कारगिल की लड़ाई का विजय फतह पहनाया.
कारगिल की लड़ाई के कुछ तथ्य
दो महीने और तीन सप्ताह तक चलने वाले इस युद्ध में भारत विजयी रहा, भारत ने पाकिस्तान की तुलना में ज्यादा सैनिक खोये.
कारगिल की लड़ाई(kargil ki ladai) में भारतीय सेना ने अपने 527 सैनिकों को खोया था.
कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तानी पक्ष में मौत का आंकड़ा 357 और 453 के बीच था.
पाकिस्तानी सेना ने अपने शहीद हुए सैनिकों को वापस लेने से इंकार कर दिया, और कह दिया ये हमारे सैनिक नहीं हैं.
कारगिल की लड़ाई(kargil war story in hindi) पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की बिना अनुमति शुरू की गयी थी.
कारगिल के युद्ध(kargil yuddh) समाप्त होने बाद भी पाकिस्तानियों ने ये मानने से इनकार कर दिया कि इस युद्द में हमारी सेना भी शामिल थी. जबकि यह युद्ध पाकिस्तानी सेना और आतंकवादी संघठन दोनों की मिली जुली पहल थी.
भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पूरे विश्व में पाकिस्तान के प्रति विश्वास टूट गया था.
भारतीय सेना इस युद्ध(about kargil war in hindi) के लिए पहले से तैयार नहीं थी. बल्कि उनके लिए यह एक बूरा सरप्राइज था. अप्रैल का महिना अत्यंत ठण्ड भरा और बर्फ बारी का होता हैं. इस वक्त वहां का तापमान लगभग – 8 डीग्री से 1 डिग्री तक होता हैं.
भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को मिशन को सफल घोषित किया, तब से इस दिन को हर साल “कारगिल विजय दिवस” के रूप में मनाया जाता है.
दो शब्द भारतीय सैनिकों को सलाम करने के लिए…1999 kargil war story in hindi
जब पाकिस्तान सेना ने अपने शहीद होने वाले सैनिको और युद्ध में घायल सैनिकों को वापस लेने से मना कर दिया था. तब भारतीय सैनिकों ने उनको पानी पिलाया और जो शहीद हो गए थे, उनका दाह संस्कार भी किया था. यह एक कोमल दिल की भावना हैं. दुश्मन के सामने दुश्मनी और निर्बल के सामने अपनी दया भावना दिखने वाले सिर्फ भारतीय सैनिक ही हो सकते हैं और कोई नहीं.
कारगिल युद्ध की कहानी(india pakistan war 1999 in hindi) से आपने क्या सीखा. कारगिल की लड़ाई(kargil war story in hindi) को लेकर आपके क्या विचार हैं. नीचे “जय हिंद” के साथ कमेंट बॉक्स में लिखे.
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