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Best Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani in hindi pdf
In this artical हम बात करने जा रहे है. खरगोश और कछुआ की हिंदी कहानी (khargosh aur kachhua ki kahani) के बारे में. जो हमने कभी बचपन में पढ़ी थी. ये कहानी वही है लेकिन कहानी (kachua aur khargosh short story in hindi) से सीख कुछ नई है. कहानी को अंत तक जरुर पढ़े. आर्टिकल के अंत में rabbit and tortoise story in hindi pdf download की link दी हुई है. जहा से इस story की pdf download के सकते है.
1. कछुआ और खरगोश की कहानी
खरगोश और कछुए की दौड़ की कहानी – एक बार की बात है. एक जंगल में खरगोश और कछुए की दोस्ती थी. खरगोश का नाम हम्पू था. कछुए का नाम चम्पू था. हम्पू (rabbit) को स्वयं पर घमंड था कि, उसे दौड़ में कोई नही हरा सकता, उससे तेज पुरे जंगल में कोई नही दौड़ सकता.
हम्पू हर समय बाकी जानवरों के सामने अपनी प्रसंशा करता रहता. और वह चम्पू (कछुए) की तो हर समय उसकी धीमे चाल की मजाक बनाता रहता था. एक दिन हम्पू ने चम्पू को दौड़ के लिए चेलेंज किया. कछुए चम्पू ने उसके चेलेंज को एक्सेप्ट कर लिया. अगले दिन दोनों की दौड़ होनी थी.
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जंगल के सभी जानवर दौड़ को देखने के लिए काफी उत्साहित थे. दौड़ शुरू हुई. go बोलते ही खरगोस तेजी से दौड़ा और कुछ ही देर में काफी दूर पहुँच गया. वही कछुआ अपनी धीमी चल से चल रहा था. खरगोश बहुत आगे निकाल गया था. उसने पीछे मुड़कर चम्पू (कछुए) को देखा चाहा, तो उसे दूर दूर तक कही नजर नही आया.
हम्पू (खरगोश) सोचने लगा, यह दौड़ तो मै ही जीतूँगा. यह सोचकर वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा. थोड़ी देर बाद उसे झपकी आ गई और वह सो गया. जब उसकी आंख खुली तो पाया कि, चम्पू फिनिश लाइन के करीब था. वह तेजी से दौड़ा लेकिन चम्पू (कछुए) ने पहले फिनिश लाइन क्रॉस कर ली और कछुआ दौड़ जीत गया.
कछुआ और खरगोश की कहानी की शिक्षा (moral)
इस खरगोश और कछुआ की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है. यह छोटी सी कहानी एक बड़ी सीख देती है कि, लगातार चलने वाला, भले ही धीरे चलता हो लेकिन अंतत उसकी ही जीत होती है. जैसे एक student हर रोज दिन में दो घंटे पढता है. वही दूसरी और कोई student दिन में एक साथ 8 घंटे पढता है, लेकिन कभी कभी. इन दोनों में पहले वाले student के सफल होने के चांस ज्यादा होंगे.
आप पढ़ रहे है – khargosh aur kachhua ki kahani
दोस्तों, हम में से ज्यादातर लोगो ने कहानी यहा तक ही पढ़ी है. लेकिन इससे आगे की कहानी और भी ज्यादा रोचक और सीख देने वाली है.जो इस प्रकार है.
2. A short story of rabbit and tortoise in hindi
हम्पू खरगोश की हार के बाद, उसे बहुत पछतावा हुआ. और उसने कछुए से दुबारा दौड़ करने के लिए चेलेंज कर दिया. उसके बाद दोनों के बीच दुबारा दौड़ हुई. इस बार हम्पू (rabbit) ने पिछली गलती को याद रखा, गलती को नही दोहराया और बिना कही रुके नॉन स्टॉप दौड़ा. नतीजा यह आहा कि यह दौड़ खरगोस जीत गया.
Moral of the story – इस कहानी से हमें यह गुर सीखने को मिलता है कि, हमें अपनी पिछली गलती को स्वीकार कर, उससे जरुरी सीख लेनी चाहिए. हमारी पिछली गलती, एक शिक्षक के रूप में काम करती है. दूसरी सीख यह कि, आज के समय में हमें लगातार काम (वर्क) करने के साथ ही fast भी होना पड़ेगा.
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आप सोच रहे होंगे की इससे आगे की कहानी भी है क्या? जी हाँ! कहानी का the end यही नही होता. इससे आगे की कहानी इस प्रकार है.
3. कछुआ और खरगोश की कहानी
इस बार चम्पू (कछुआ), हम्पू से कहता है कि देखो भाई, एक रेस तुमने जीती और एक रेस मेने जीती. दोनों की जीत बराबर हुई. तो हम दोनों तीसरी और आखिरी दौड़ करते है. खरगोस कहता है, ठीक है! यह तीसरी दौड़ ही निर्णायक दौड़ होगी. तो कछुआ कहता है कि, दौड़ की फिनिशिंग लाइन मै तय करूंगा. चम्पू (कछुआ) बड़ा चालक होता है. वह दौड़ के लिए ऐसा रास्ता चुनता है जिसके बीच से नदी गुजरती है. हम्पू (hare) जोश जोश में मान लेता है.
अब दोनों में दौड़ शुरू होती है. हम्पू तेज दौड़ते हुए आगे निकाल जाता है. कुछ दूर जाने के बाद उसके सामने नदी आ जाती है. वह रुक जाता है और सोचता है कि, नदी पार करना तो मेरे लिए नामुनकिन है. तभी पीछे से चम्पू (tortoise) आ जाता है. कछुआ तो आराम से नदी पार कर सकता है.
लेकिन चम्पू, हम्पू से कहता है कि, देखो भाई! मै जनता हूँ कि, तुम्हे तेरना नही आता, तो हम ऐसा करते है. इस रेस को साथ साथ जीतते है. कछुआ, खरगोश को अपनी पीठ बैठाया और दोनों ने एक साथ नदी की. और दोनों ने साथ फिनिश लाइन को क्रॉस करते है. इसके बाद दोनों में गहरी दोस्ती हो जाती है. जब कभी भी जंगल में रेस होती है तो हमेशा खरगोश और कछुआ ही प्रथम आते.
Moral of the rabbit and tortoise story in hindi
इस कहानी से हमें यह गुर सीखने को मिलता है कि, हमें “lets grow together” की भावना रखते हुए साथ साथ आगे बढ़ना चाहिए. टीम वर्क (team work) आपको हमेशा दुसरो से आगे बनाए रखेगा. हर इंसान में कोई न कोई युनिकनेस या कोई कमी जरुर होती है. लेकिन साथ मिलकर काम करने से उन कमियों को दूर किया जा सकता है.
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4. Story of rabbit and tortoise story in hindi (असली चोर कौन)
एक गांव में रामू नामक किसान रहता था. उसके पास एक छोटा सा खेत था. उसने देखा कि, कोई उसके खेत में फलों की चोरी कर रहा है. जब वह खेत में नहीं रहता. कभी गाजर तो कभी टमाटर चोरी हो रहे थे. किसान बड़ा परेशान और गुस्से में था. सोच रहा था कि, एक बार वह मिल जाए तो खैर नही उसकी.
किसान सोचने लगा, कौन हो सकता है. जो मेरी गैर अनुपस्थिति में मेरे फलों को नष्ट कर रहा है. एक दिन वह चोर को रंगे हाथों पकड़ने के लिए वहां पर निगरानी करने बैठ गया. कुछ समय बाद किसान को झाड़ियों में से कुछ आवाज सुनाई दी. किसान ने आवाज का पीछा करते गया.
वहां पर देखा कि, एक कछुआ था. किसान बोला, अच्छा तो चोर यहां छुपा है. कछुआ बोला, भला मैं आपके खेत के मीठे फल क्यों चुराऊंगा. नदी में बहते बहते मै यहाँ आ गया हूँ. मै कोई चोर नही हूँ. किसान बोला (गुस्से में), बस कारो सब चोर यही कहते है.
आप पढ़ रहे है – कछुआ और खरगोश की कहानी
किसान बोलो, अब मैं तुम्हें कड़ी से कड़ी सजा दूंगा. किसान गुस्से में उसको उठा उठा के पटकता है. किसान जैसे ही पीछे मुड़ता है तो देखता है कि, बाकी बचे फल भी गायब हो गए. किसान सोच में पड़ गया कि, कुछ समय पहले ही यहां फल थे.
शायद कछुए से बात करते वक्त कोई आया था. जो मेरे पीछे फलों को ले गया. किसान कछुए से बोला, कौन कर रहा है यह सब. कछुआ बोला, मैं तो तुम्हारे सामने खड़ा हूं. चोर कोई दूसरा है. तभी किसान को कुछ आवाज सुनाई दी और आवाज का पीछा करते हैं. वह वहां पहुंचा तो, उसने देखा वहां सफ़ेद रंग का लाल आंखो वाला एक खरगोश था. जो उसके खेत के गाजर खा रहा था.
किसान बोला, अच्छा तो असली चोर ये है. किसान ने खरगोश को जाल में पकड़ लिया. बाद में किसान को गलती का अहसास हुआ. जल्दबाजी और गुस्से में उसने निर्दोष कछुआ को सजा दे दी. किसान ने कछुए से माफ़ी मांगी और कछुए को नदी किनारे छोड़ा है.
खरगोश और कछुआ की कहानी की शिक्षा – इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि, जल्दबाजी और गुस्से में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए. जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अक्सर गलत होता है.
5. Khargosh aur kachhua ki kahani – (खरगोश और कछुआ की दुश्मनी की कहानी)
एक बार, एक जंगल में एक घमंडी खरगोश रहता था. उसे अपनी तेज दौड़ने की क्षमता पर बहुत अभिमान था. और दुसरे जानवरों के सामने अपनी डींगे हांकता था. खरगोश तेज और फुर्तीला था. इस कारण वह कछुए को परेशान करता था. वह हमेशा कमजोर कछुए को सताता रहता था. उसे छेड़ता रहता था. एक दिन कछुए ने खरगोश से बोला, खरगोश भाई, आप मुझे इस तरह बार बार मत परेशान करो. ईश्वर ने हम सब में को अलग अलग बनाया है. कछुआ खरगोश को समझाने लगा.
खरगोश बोला, अब ज्यादा ज्ञान मत बांटो. हिम्मत है तो मुझे दौड़ में हराकर बताओ. घमंडी खरगोश ने एक शर्त रखी कि, यदि तुमने मुझे दौड़ में हरा दिया तो मैं तुम्हें कभी परेशान नही कभी नहीं करूंगा. कछुआ सोचने लगा कि शर्त तो सही है. लेकिन मैं इसे कैसे हरा पाऊंगा. कछुआ बड़ा चालाक था. उसने दौड़ के लिए हां कह दी. कछुए को एक आईडिया आया. उसने दुसरे तालाब से एक कछुए को बुलाया, जो उसके हमशक्ल का ही था.
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उसे बुला के उससे कहा कि, कल जब मेरी और खरगोश की दौड़ होगी. तब तुम स्टार्टिंग लाइन से दौड़ना और मै पहले से ही फिनिश लाइन पर खड़ा रहूँगा. अगले दिन दौड़ शुरू हुई. खरगोश तेजी से दौड़ने लगा. जैसे ही फिनिश लाइन पर पहुंचने वाला था कि, उसने देखा कछुआ तो पहले से ही फिनिश लाइन पर आ चुका है. कछुआ बड़ी चालाकी और अपनी बुद्धिमता से दौड़ जीत गया. और उस घमंडी खरगोश का घमंड चूर चूर हो गया. उसके बाद उसने कछुए को कभी नही छेड़ा.
Moral of the short story – इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि बुद्धि हमेशा ताकत पर भारी पड़ती है.
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इस आर्टिकल में आपने खरगोश और कछुआ की कहानी पढ़ी और उससे जरुरी शिक्षा भी ली. आशा करते है. यह कहानी (rabbit and tortoise story in hindi) आपको अच्छी लगी होगी. तो नई नई कहानियां पढने के लिए सब्सक्राइब करे.