परी की कहानी pari story in hindi सोन परी, नन्ही परी की कहानी pari ki kahani

pari ki kahani in hindi

pari story in hindi – इस आर्टिकल में मुझे जादुई परी की कहानी, सुंदर सोनपरी की कहानी और नन्ही परी की कहानी पढना पसंद है. क्या आपको भी है? तो चलिए इस परियों की कहानियां की दुनिया में. हम आपके लिए अच्छी अच्छी, नई नई परियों की कहानियां (story of pari in hindi) लेकर आए है. इन परी की कहानियो को पढ़िए, सीखिए और आनंद लीजिए.

pari ki kahani in hindi – काली परी की कहानी

काली परी की कहानी – परियों की कहानी में यह कहानी एक ऐसी परी की है. जिसका रंग काला होता है. इस कारणों से सब उसे काली परी कह कर बुलाते हैं. लेकिन वह बहुत सुंदर दिखाई देती है. इस कारण परीलोक में उसके बराबर की दूसरी परिया उसे हेय दृष्टि से देखती है. इसीलिए वह हर समय उदासी रहती है. काली परी की एक सहेली होती है. जिसका नाम प्रियांशी परी होता है. प्रियांशी परी काली परी से बोलती है, ‘तुम उदास क्यों हो’. काली परी, ‘देखो ना मेरे काले रंग के कारण मुझसे कोई बात भी नहीं करता.’

प्रियांशी काली परी को कहती है. उदास मत हो तुम्हारा रंग काला है. लेकिन तुम बहुत सुंदर हो. प्रियांशी उसका हौसला बढ़ाने का प्रयास करती है. प्रियांशी, ‘चलो आज हम पृथ्वी लोक पर घूमने चलते हैं. इससे तुम्हारा मन भी खुश हो जाएगा.’ काली परी: ‘नहीं मेरा मन नहीं है.’ प्रियांशी: चलो ना चलते हैं. काली परी कहती है, ‘ठीक है चलो’. दोनों परिया, रानी परी से आज्ञा लेकर पृथ्वीलोक की और चली जाती है. काली परी और प्रीयंसी परी दोनों एक नदी किनारे उतरती है और पानी पीने लगती हैं. तभी उन्हें जोर से आवाज आने लगती है. वे दोनों थोड़ा दूर चल कर देखती है कि, एक राजकुमार दर्द से चीख रहा है. शायद किसी जंगली जानवर ने उस पर हमला कर दिया होगा.

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काली परी कहती है. उसके शरीर से खून बह रहा था. काली परी और प्रियांशी परी दोनों उसके पास जाती है. काली परी कहती है, ‘हमें उसकी मदद करनी चाहिए’. उसने अपनी छड़ी घुमाई और जादू से उसके सारे घाव ठीक कर दिए. राजकुमार को होश आया. राजकुमार दिखने में बहुत सुंदर एवं आकर्षक लग रहा था. राजकुमार ने काली परी को मदद के लिए आभार जताया. काली परी बहुत खुश लग रही थी. दोनों एक दूसरे को देख रहे थे. राजकुमार बोला, ‘क्या आप दोनों परीलोक से आई हो. काली परी बोली, ‘हां हम परीलोक से आए है.’

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राजकुमार बोला, आप दोनों को पृथ्वीलोक पर कोई भी सहायता चाहिए तो मुझे जरूर बोलना. इसके बाद दोनों परियां वहां से उड़ गई. उड़ते उड़ते दोनों परियां एक झोपड़ी के पास गई. वहाँ एक साधू उदास बैठा था. काली परी प्रियांशी परी को बोला, चलो साधू जी की मदद करते हैं. काली परी साधु से पूछती है, ‘क्या हुआ आप उदास क्यों हो? साधु बोला, ‘मेरी गाय और उसका बछड़ा गुम हो गए हैं.’ शाम होने को आई अभी तक घर नहीं लौटे हैं.’ काली परी कहती है, उदास मत होइए हम आपकी मदद करते हैं.’ काली परी अपनी छड़ी निकालती और बोलती है,

साधु जी की गाय और बछड़ा जहां भी है मेरे सामने आ जाए. साधु अपनी गाय और बछड़े को देखकर खुश हो जाता है. वह साधु काली परी को उसके परोपकारी गुण के कारण, वरदान देता है कि, तुम्हारा काला रंग गोरा हो जाए. तुम और भी सुंदर हो जाओ.’ देखते ही देखते काली परी का रंग गोरा हो गया. काली परी बेहद खुश हो गई. वह साधु को धन्यवाद देती है और वापस परीलोक उड़ जाती हैं.

परी की इस कहानी से सीख (moral of the story) – मदद करने से ही मदद मिलती है. हम जब किसी के लिए निस्वार्थ मदद करते है. तो वह खाली नहीं जाती. वह पुनः हमारे पास लौट कर आती है.

सोनपरी की कहानी – दुष्ट रानी परी (pari ki kahani)

दुष्ट रानी परी की कहानी – बहुत सालों पहले की बात है. एक जादुई नगरी थी. उसमें कई परियों रहती थी. उन सभी परियों की एक रानी परी थी. जो बहुत चालक और घमंडी थी. रानी परी का नाम सपना परी था. उन्हीं परियों में एक सुंदर परी सोनपरी भी थी. उस जादुई नगरी के नियम बहुत खड़े थे. वहां से कोई भी कहीं भी आ जा नहीं सकता था. सोनपरी जादुई नगरी छोड़ना चाहती थी. वह अब जादुई नगरी में बोर होने लगी थी. उसका वहां मन भी नहीं लगता था. इस कारण वह रानी परी के पास गई. लेकिन रानी परी अपने सिहांसन पर नही बैठी थी. सोनपरी अब रानी परी के बेडरूम में गई. लेकिन वहाँ भी रानी परी नही मिली. तभी सोनपरी को कुछ आवाज सुनाई दी. वह आवाज पास से एक जादुई कमरे से आ रही थी. सोनपरी वहाँ गई और देखा कि, रानी परी एक जादुई संदूक (बॉक्स) को मंत्र पढ़ कर खोल रही थी. उसने उस जादुई संदूक में कुछ रखा था. सोनपरी यह सब छुपके से देख रही थी. रानी परी क्या कर रही है. और उस संदूक में क्या रखा.

सोनपरी वहाँ से बाहर आ जाती है. रानी परी बाहर आ जाती है. अब सोनपरी उस जादुई संदूक के पास जाती है. और वही मंत्र बोलकर उसे खोलने का प्रयास करती है. लेकिन संदूक नही खुलता है. शायद वह मन्त्र का उच्चारण गलत कर रही थी. कई प्रयास करने के बाद वह भी कमरे से बाहर आ जाती है. अब सोनपरी रानी परी के पास जाती है. और रानी परी से कहती है,’मुझे इस जादुई नगरी में नहीं रहना. मैं यहां तंग आ गई हो मुझे भी बाहर जाना है. रानी परी बोलती है, ‘ठीक है कल मैं तुम्हें खुद समुद्र पार छोड़ने, तुम्हारे साथ चलूंगी. रानी परी अगले दिन और जादुई संदूक के पास जाती है. और मंत्र पढ़कर खोलने की कोशिश करती है.

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तभी जादुई बक्सा बोलता है, ‘यहां कोई आया था.’ जादुई बक्से में एक शीशा लगा हुआ था. कोई भी अनजान उसके सामने आता तो, उसकी छवि वहां बन जाती है. रानी परी ने उस शीशे को देखा तो, उसे सोनपरी की छवि दिखाई थी. रानी परी सोचने लगी कि, कही सोनपरी को पता ना चल जाए. इसलिए वह सोनपरी को मारने का प्लान बनाती है. रानी परी सोनपरी से कहती है, तुम्हे इस जादुई नगरी से बाहर जाना है ना तो चलो मै तुम्हे समुद्र किनारे छोड़ आती हूँ. वह समुंदर भी जादुई होता है. रानी परी समुंदर को बोलती है, बीच समुंदर नाव को डूबा देना. जिससे सोनपरी मर जाए. लेकिन ऐसा नहीं होता है.

सोनपरी अपनी जादुई शक्ति से बचकर वापस आ जाती है. रानी परी का भांडा फोड़ने के लिए. रानी परी जादुई संदूक के पास जाती है और मंत्र पढ़कर उसे खोलने लगती है. लेकिन इस बार संदूक नहीं खुलता. रानी परी फिर से कोशिश करती है. लेकिन फिर भी बक्सा नहीं खुलता. तभी वहां पर सोनपरी आ जाती है. रानी परी चौंक जाती है. सोनपरी अपनी जादुई शक्तियों से बच कर आ गई थी. और संदूक का मंत्र भी उसी ने बदला था. अब सोनपरी, सभी परियों को बुलाती है और रानी परी की काली करतूतों का पर्दाफाश करती है. सोनपरी बक्से को खोलकर बताती है कि, उसमें सभी परियों की जादुई मनके के रखे थे. जिसमें उनकी सारी शक्तियां जुड़ी हुई थी.

रानी परी सभी परियों की शक्ति को अपनाकर शक्तिमान बनना चाहती थी. इसलिए वह हमारे जादुई मनके चोरी छुपे यहाँ इस संदूक में रख देती थी. अब रानी परी की काली करतूतों का भांडा फुट गया था. इसके बाद सभी परियों ने रानी परी सपना को जादुई नगरी से निकाल दिया. साथ ही उसकी सारी शक्तियां भी छीन ली. और बुद्धिमान और ईमानदार सोनपरी को नई रानी परी बनाया गया. सोनपरी ने कहाँ, आज से इस जादुई नगरी के सारे नियम हटाए जाते है. कहानी से सीख – किसी के बुरे कर्मों की सच्चाई कितनी भी छुपा लो एक दिन वह सामने आ ही जाती है.

pari story in hindi – शापित राजकुमार और परी

शापित राजकुमार और परी की कहानी – एक समय की बात है. परी लोक की चार परियां सौम्या परी, मीनाक्षी परी, काव्या परी और कनिष्का परी पृथ्वी लोक पर घूमने आई. कनिष्का परी उनमें से सबसे नन्ही परी थी. घूमते घूमते हुए वे सब एक नदी किनारे पहुंची. तभी मूसलाधार बारिश होने लगी. चारों और घने घने बादल छा गए. बारिश से बचने के लिए सभी परियों ने एक गुफा में शरण ली. बारिश इतनी तेज हो रही थी कि, रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.

तभी गुफा में पानी भरने लगा. सौम्या परी, जो सबसे बड़ी परी थी. उसने कहा, ‘सभी परियां एक साथ गुफा की छत पर उड़ान भरे. बारिश धीरे-धीरे कम होने लगी. चारो ओर घना अंधेरा भी हो गया था. नन्ही कनिष्का परी बोली, ‘अब हमें वापस परीलोक चलना चाहिए. वह अपने जादुई छड़ी से उड़ने वाले रथ को लाती है. सभी परियां रथ में बैठकर परीलोक जाने लगती हैं.

तभी काव्या परी कहती है, ‘मेरी जादुई छड़ी कहां रह गई. सोम्या और मीनाक्षी परी भी अपनी छड़ी, अपने पास ना पाकर बोली. अरे मेरे पास भी नही है. वे सोचती है कि, शायद गुफा से बाहर आने पर कही गिर गई होगी. वे सभी वापस उसी जगह पर आ जाते हैं. और देखते हैं कि, एक छोटा राक्षस तीनो छड़ियां लेकर भाग रहा है. सभी उस राक्षस पर टूट पड़ती है.

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लेकिन वह राक्षस एक छड़ी लेकर भाग जाता है. तभी सौम्या परी अपनी छड़ी घुमती है और बोलती है, ‘उस राक्षस के दोनों हाथ पैर बंध जाए. राक्षस अब पकड़ा जाता है. जैसे ही काव्या परी अपनी छड़ी लेने के लिए उस राक्षस के हाथ लगाती है. वह राक्षस एक राजकुमार में बदल जाता है. सभी परियां हैरान रह जाती है. वे उससे कहती है, हमारे हाथ लगाते ही तुम राक्षस से एक राजकुमार कैसे बन गए.

तब राजकुमार अपनी कहानी सुनाता है और बताता है कि, वह इस राज्य का राजकुमार है. मैं पिछले 5 सालों से राक्षस बनकर घूम रहा हूं. मैंने अपने माता-पिता को भी नहीं देखा. आज से 5 साल पहले मैं जंगल में शिकार करने के लिए निकला था. मैंने अपने तीर से एक किरण को मार दिया था. तब मुझे एक साधु ने शाप दिया था कि, मैं एक राक्षस बन जाऊ. मैंने साधू जी से बहुत क्षमा याचना की.

लेकिन साधू जी नही माने. मैंने उन से विनती की, ‘कृपया मुझे पहले जैसा बना दीजिए. तब साधु ने कहा कि, मैं यह शाप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन, यदि कोई परी तुम्हें हाथ लगाएगी तो, तुम वापस राजकुमार बन जाओगे. राजकुमार सभी परियों को धन्यवाद कहता है और उन्हें महल चलने का आग्रह करता है. जहां चारो परियों की खूब खातिरदारी होती है.

अच्छी परी और बुरी परी (pari story in hindi)

अच्छी परी और एक बुरी परी की कहानी – एक समय की बात है. परी लोक में रानी परी बूढ़ी हो गई थी. अब वह रानी परी का पद किसी और परी को देना चाहती थी. रानी परी बहुत दुविधा में थी कि, अगली रानी परी किसे बनाया जाए. उसके दो पुत्रियां थी. एक का नाम करिश्मा परी था. जो काफी सुंदर, बुद्धिमान और नेक ईमानदार थी. दूसरी का नाम रश्मि परी था. जो काफी सेल्फीस, घमंडी और शरारती थी. रानी परी दोनों में से ही किसी एक को भी रानी परी चुनना चाहती थी.

परन्तु उसे निर्णय लेने में कठिनाई महसूस हो रही थी. थी तो दोनों ही उसकी बेटियां. रानी परी ने निर्णय लिया दोनों के बीच वोटिंग करना. अगले दिन दरबार में रानी परी ने सभा बुलाई. जिसमे कहाँ कि, ‘करिश्मा परी और रश्मि परी में जिसके ज्यादा वोट आएंगे, उसे अगली रानी परी बनाया जाएगा.’ फिर वोटिंग होती है. लेकिन दोनों ही परियों के बराबर वोट आ जाते है. अब रानी परी को ओर दिक्कत हो जाती है.

रात में सोती हुई रानी परी सोचती है कि, ‘करिश्मा परी बेहद शांत, विनम्र और बुद्धिमान है. लेकिन मै उसे ऐसे ही रानी परी नही बना सकती. नही तो रश्मि परी नाराज हो जाएगी.’ तब रानी परी ने रश्मि परी की परीक्षा लेने की सोची. एक शाम रश्मि परी बगीचे में टहल रही थी. तभी उसे कुछ आवाज आई. वो उसके पास गई तो एक जादुई गुलाब का फूल बोल रहा था कि, ‘मुझे बचाओ, मै यहा कांटो में फंस गया हूँ.’

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रश्मि परी ने उसे अपने हाथ में लिया. गुलाब ने कहा, ‘मेरी मदद करने के लिए शुक्रिया. मै कोई मामूली गुलाब नही हूँ. तुम मुझसे जो मांगो वो मै तुम्हे दे सकता हूँ.’ रश्मि परी खुश हो गई. उसने गुलाब से कहा, ‘मै परीलोक की सबसे शक्तिशाली परी बनना चाहती हूँ.’ ऐसा कहते हुए वह गुलाब महल चली गई. वहा पर अन्य परियां भी खड़ी थी. जो आपस में बाते कर रही थी. तभी रश्मि परी को शरारत सूझी. उसने गुलाब को कहा, इन परियो को नीचे गिरा दो. परिया नीचे गिर जाती है. उन्हें पैरो में चोट भी आती है. रश्मि यही नही रूकती वह बाहर जाती है और पेड़ पर बैठे पक्षियों को भी नीचे गिरा देती है.

अगले दिन रानी परी दरबार में सभा बुलाती है. और कहती है मै घोषणा करती हूँ कि, करिश्मा परी हमारी अगली परी होगी. यह सुनकर रश्मि परी कहती है. मै क्यू नही बन सकती रानी परी. तब रानी परी कहती है, ‘तुम इसके लायक नही हो.’ वो गुलाब का फूल मेने ही दिया था. तुम्हारी ;परीक्षा लेने के लिए. तुमने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया. इस कारण तुम इसके काबिल नही हो. जो अपनी शक्तियों का प्रयोग दुसरो की सहायता के लीए करे वो ही रानी परी बनने के हकदार है.

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परी की कहानी (pari ki kahani) से सीख – इस परी की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि, हम कितने भी बड़े पद पर क्यों न हो. हमें सदैव अपनी शक्तियों का इस्तेमाल दुसरो की भलाई के लिए करना चाहिए.

जादुई परी की कहानी pariyon ki kahani

pariyon ki kahani में यह कहानी एक जादुई परी की कहानी – एक बार की बात है. एक गाँव में एक परिवार रहता था. उस परिवार में दो पुत्रियाँ और उनके माता पिता रहते थे. पिता बहुत परिश्रमी और ईमानदार थे. वे हर रोज कारोबार करने के लिए शहर जाते थे. उसके दो पुत्रियाँ थी. बड़ी बेटी का नाम ऐना था. और छोटी बेटी का नाम तमिना था. तमिना बेहद शालीन, बुद्धिमान और अत्यंत सुंदर थी. उसकी माँ और बड़ी बहन ऐना का उसके प्रति व्यवहार बहुत निर्दयी और कठोर था.

एक दिन पिता अचानक बीमार पड़ गए. छोटी बेटी तमिना पिता की लाडली बेटी थी. वह अपने बीमार पिता की सेवा करती थी. पिता के कई दिनों तक बीमार रहने के बाद उनकी मृत्यु हो गई. तमिना को बहुत दुःख हुआ. घर में एक ही तो था. जिससे वह अपनी बाते करती थी. माँ और उसकी बड़ी बहन ऐना कोई उससे बात नही करते थे. माँ और बहन दोनों उसे प्यार नही करते थे. हमेशा उससे घर का सारा काम करवाते थे.उस छोटी सी बच्ची की उन्होंने जान निकाल दी थी. जबकि बड़ी बेटी ऐना को लाड प्यार से उसे सर पे चढ़ा दिया था. वह बस तमिना को हुकुम दिया करती थी.

लेकिन तमिना बेहद शांत और ईमानदार थी. उसने अपने पिता से ये गुण लिए थे.उसकी माँ को उस पर थोड़ी बहुत दया भी नही आती थी. सारा घर का काम अकेले करना और सुबह जल्दी नदी किनारे जाकर पानी भरना. उसका रोजका यही काम था. एक दिन तमिना नदी किनारे पानी भर रही थी. तभी एक बूढी औरत उसके पास आई और बोली, बेटी थोडा पीने का पानी मिलेगा, बहुत जोरो की प्यास लगी है. तमिना ने कहा, क्यों नही मांजी ये लीजिए. तमिना ने उस बूढी औरत को साफ पानी पिलाया. तभी वह बूढी औरत एक खुबसूरत परी में बदल गई.

जादुई परी (की कहानी) ने तमिना से कहा, तमिना तुम्हारा व्यवहार मुझे बहुत अच्छा लगा. मै तुम्हेँ वरदान देती हूँ. जब भी तुम बोलोगी तब तुम्हारे मुहँ से सोना निकलेगा. यह कहते हुए वह खुबसूरत परी वहा से गायब हो गई. तमिना को अब तक विश्वास नही हो रहा था कि, वह एक परी से बात कर रही थी. तमिना पानी भरकर घर की और चली गई.घर पंहुचते ही उसकी खडूस माँ बोली, ‘पानी लाने में इतनी देर क्यों लगा दी. कामचोर कही की जल्दी नही आ सकती.’

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तमिना जैसे ही बोलने लगी. उसके मुहँ से सोना निकला. सोना देख कर चौंक गई. वह बोली, तमिना बेटी क्या ये असली सोना है. ऐसा कैसे हुआ तुम्हारे मुहँ से सोना कैसे निकला. यह पहली बार था जब उसकी माँ ने तमिना को बेटी कहकर पुकारा था. तमिना ने अपनी माँ को उस बूढी औरत के बारे में बताया. माँ बहुत सेल्फिस और लालची थी. उसके मन में लालच आ गया. उसने सोचा कि, ऐना भी ऐसा ही करे जैसा तमिना ने किया तो वह भी अमीर बन जाएगी. ओर मै इस नालायक तमिना को घर से निकाल दूंगी.

माँ ने ऐना को बुलाया और कहा, कल नदी किनारे पानी भरने तुम जाओगी. वहा एक बढ़ी औरत को पानी पिलाना. ऐना अपनी माँ से कहती है, मै यह काम क्यों करू यह काम ती इस तमिना का है. मुझसे सुबह जल्दी नही उठा जाता इसलिए मै नही जाउंगी. तब माँ बोलती है जैसा कहा है वैसा कर. मुझे अमीर होना है. अगली सुबह ऐना नदी किनारे पानी भरने गई. अभी वह कच्ची नींद में ही थी और बडबडा रही थी कि, ‘माँ ने यह मुझे कैसा फालतू काम दे दिया. उस तमिना की तो खेर नही, घर जाकर उसकी बहुत पिटाई करुँगी.’

ऐना पानी का घड़ा भर रही थी. तभी वहा एक सुंदर राजकुमारी आई. राजकुमारी ऐना से बोली, क्या मुझे थोडा पीने का पानी मिल सकता है. ऐना मुहँ बिगड़ते हुए गुस्से में बोली, ‘मै तुम्हारी नौकर नही हूँ समझी! यदि तुम्हे प्यास लगी है तो तुम खुद क्यों नही पी लेती. तुम्हारे हाथ नही है क्या.’ ऐना के इतना कहते ही वह राजकुमारी एक परी बन गई. और बोली, तुम्हारे जैसी घटिया लड़की मैंने आज तक नही देखी. तुम अमीर बनने लायक तो बिल्कुल नही हो. जाओ मै तुम्हे श्राप देती हूँ कि, तुम जब भी बोलोगी, तुम्हारे मुहँ से सांप बिच्छू निकलेगे. इतना कहकर परी वहा से चली गई.

ऐना को कुछ समझ नही आया और वह सोचते सोचते घर की ओर निकली गई. घर पर माँ ऐना का बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रही थी.जैसे ही माँ ने ऐना को दूर से आते देखा. उसने तमिना को कहा, अब तुम्हारी यहाँ कोई जगह नही है. यह कहकर तमिना को घर से बाहर निकाल दिया. तमिना रोते हुए बाहर चली गई. अब ऐना घर पहुंची. माँ ने ऐना से पूछा, बूढी औरत ने तुम्हे क्या कहा. जैसे ही ऐना बोली उसके मुहँ से सांप और बिच्छू निकले. यह देखकर माँ डर गई. घर सांप और बिच्छुओ से भर गया था.

इस तरह उस दुष्ट माँ और घमंडी ऐना को बुरे कर्मो का सबक मिला. आप सोच रहे होंगे कि, फिर तमिना का क्या हुआ. तमिना के घर से बाहर निकलने के बाद, वह एक पेड़ के नीचे बैठकर रो रही थी. तभी वहा एक राजकुमार आया. उसने तमिना से रोने का कारण पूछा. जैसे ही तमिना बोली उसके मुहँ से सोना निकला. राजकुमार बड़ा प्रसन्न हुआ. वह तमिना की मधुर वाणी और सुंदरता पर मोहित हो गया. वह तमिना को अपने महल ले गया.उसके बाद राजकुमार और तमिना की शादी हो गई.

moral of the story – परी की इस कहानी से हमें यस सीख मिलती है कि, विनम्रता का गुण, एक ऐसा गुण है जिसे अपनान बेहद कठिन है लेकिन इसका फल बहुत मीठा होता है.

नन्ही परी की कहानी (pariyon ki kahaniyan)

परियों की कहानियां में यह एक नन्ही परी की कहानी है. एक समय की बात है. हिमालय की बर्फीली वादियों में पहाड़ो के उपर परीलोक की जादुई नगरी थी. परीलोक का इंसानों से कोई नाता नही था. वहा बेहद सुंदर सुंदर जादुई परियां रहती थी. वहा परियों में एक नन्ही परी भी थी. जिसका नाम मिनी परी था. मिनी परी बचपन से ही बहुत शरारती और नटखट थी. जैसे जैसे वह बड़ी होती गई. उसकी शरारते बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. और वह बहुत ज्यादा जिद्दी भी बन गई थी.

मिनी हर बात पर अपनी माँ से जिद्द पूरी करवाती. मिनी की वजह से उसकी माँ अप्सरा परी चिंतित थी. परीलोक की दूसरी परियां भी उससे बहुत परेशान थी. क्योंकि वह किसी की भी नही सुनती. मिनी के पंख निकाल आने के बाद तो उसको रोकना नामुनकिन वह कही भी बिना पूछे निकाल जाती थी. एक दिन मिनी परी माँ से अनुमति लिए बिना परीलोक से बाहर चली गई. वही हिमालय के पहाड़ो के नीचे एक छोटा सा गाँव था. मिनी वहा चली गई.

मिनी ने वहा पर इंसानों को पहली बार देखा. वह अपनी जादुई शक्तियों से गाँव वालो परेशान किया करती थी. वह गाँव वालो को बेफिजूल शताती. कभी किसानो को कभी पानी भरने जा रही महिलाओ को तो कभी उनके पालतू पशुओ को शताती. अभी मिनी नन्ही थी इस कारण उसे दुनियदारी के बारे में ज्यादा पता नही था. मिनी उन्हें शताती और जोर जोर से हँसने लगती. गाँव वालो को समझ नही आता था कि, आखिर ये कौन कर रहा है.

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एक दिन सभी गाँव वाले पहाड़ पर रहने वाले साधू के पास गए और उन्हें अपनी व्यथा बताई. वह साधू पहाड़ी के उपर स्थित परीलोक से परिचित था. उसे समझ में आ गया कि सारी शरारत कौन कर रहा है. वह साधू उन सभी गाँव वालो को लेकर परीलोक गया. और परियों की रानी को उनकी परेशानी बताई. रानी परी ने कहा, हम में से कौन कर सकता है? दूसरी सभी परियों ने मिनी परी की ओर इशारा किया. तब रानी परी ने मिनी की माँ यानी अप्सरा परी को बुलाया और कहा, अपनी बेटी का ध्यान रखा करो.

मिनी की मम्मी ने उसे बहुत समझाया कि, अपनी जादुई शक्तियों से किसी को नुकसान मत पहुचना. लेकिन मिनी रही जिद्दी लड़की. कुछ दिनों बाद वह फिर से गाँव गई. और अपनी जादुई शक्तियों से लोगो, जानवरों को छेड़ने लगी. मिनी को कई बार समझाने के बाद भी मिनी नही समझी. तब अप्सरा ने मिनी को सबक सिखाने की सोची. एक दिन मिनी एक बिल्ली को शता रही थी. कभी बिल्ली को पेड़ के उपर चढ़ा देती कभी उसे पेड़ से नीचे गिरा देती. तो कभी उसे पानी में गिरा देती. और उसे देखकर जोर जोर से हसने लगती.

थोड़े समय बाद मिनी थक गई. उसने सोचा अब मुझे वापस परीलोक जाना चाहिए. जब वो परीलोक पंहुची तो उसने देखा कि उसकी माँ बहुत बीमार है. उसके शरीर पर चोट के निशान है. मिनी अपनी माँ के पास गई और बोली माँ ये कैसे हुआ. तब माँ ने कहा कि, तुम जिस बिल्ली को शता रही थी वह मै ही थी. मिनी जोर जोर से रोने लगी. उसने माँ से माफ़ी मांगी. तब माँ ने मिनी को कहा, तुम अपनी जादुई शक्तियों से कभी दुसरो को परेशान मत करना. क्योंकि इस दुनिया हर जीव ख़ुशी से रहना चाहता है. मिनी अब माँ की बात को समझ गई थी. उसने अपनी माँ से वादा किया कि, अब से आपकी हर बात मानेगी कभी दुसरो को शताएगी नही. इसी बात पर दोनों माँ बेटी आपस में गले लग गए.

इस पोस्ट (परियों की कहानियां) में आपने काली परी की कहानी, सोनपरी की कहानी, रानीपरी की कहानी, नन्ही परी कहानी पढ़ी. आशा करते है कि, यह आर्टिकल (pari story in hindi) आपको अच्छा लगा होगा और आपने कुछ नया सीखा होगा. आपकी फ़ेवरेट परी कौनसी है? कोमेंट बॉक्स में जरुर बताए.

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