गोपाल की मौत – चुड़ैल की कहानी
भुतिया चुड़ैल कहानियां में आप पढने जा रहे हैं – गोपाल की मौत
आज पूरे 2 साल हो गए हैं आज ही कि अमावस्या को ही मैंने अपने मित्र गोपाल को अपने सामने खोया था। मैंने उसको रोका भी था, लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी। आखिर उसे अपनी जान गवानी पड़ी और मुझे भी अकेला कर गया। थोड़ा सनकी था। मेरा दोस्त गोपाल जान हथेली पर लेकर चलता था। चाहे किसी का कोई भी मामला हो। वह टांग अड़ाये बिना नहीं रहता. लेकिन दिल का बड़ा अच्छा था। लोगों की मदद दिल से करता था।
आज से 2 साल पहले की बात है….
मैं और मेरा दोस्त गोपाल हम दोनों अक्सर समय-समय पर घूमने के लिए बाहर जाया करते थे। अबकी बार हमने छुट्टी लेकर कहीं जाने का प्लान बनाया। हमने तय किया कि हम इस भीड़, प्रदूषण से कहीं दूर जंगल में चलते हैं। हम दोनों ने सारा सामान बांधा और एक कार लेकर निकल पड़े। हम दोनों एक ऐसे जंगल में गए, जहां पर जानवर का कोई नामो-निशान नहीं था। हां, छोटे-मोटे जानवर तो थे लेकिन जान को कोई खतरा हो, एसी कोई बात नहीं थी। इसलिए हम दोनों बिल्कुल निश्चिंत थे। हम तकरीबन 60 किलोमीटर आगे आ चुके थे। लेकिन हमने एक भी गाड़ी नहीं देखी। सड़क पूरी खाली थी। हमारी कार मानो हवा से बातें कर रही थी। हमने एक अच्छी घाटी पर जाकर कार को रोकी. हमने अपना सारा सामान निकाल कर घर बनाया। फिर खाना खाया और आग जलाकर शराब पीने लगे। गोपाल ने कुछ ज्यादा पी ली थी। और टाइम भी ज्यादा हो गया था। सुबह के 3:00 बज गए थे। अब हम दोनों सो गए थे। फिर हम अगले दिन दोपहर को 2:00 बजे उठे थे। गोपाल नशे के धुत में ऐसे ही सो गया था इसलिए उसको कुछ खुजली हो रही थी इसलिए उसे स्नान करना था।
मैंने बोला। चलो मैं भी नहा लेता हूं। चलो हम कहीं पानी ढूंढते हैं। हम दोनों ने अपने कपड़े एक बैग में लेकर पानी को ढूंढने के लिए निकल गए. हम काफी इधर-उधर घुमे लेकिन कहीं पानी नहीं मिला। मुझे लगा कि अब हमें पानी तो मिलने वाला नहीं है। चलो! चलते हैं. गोपाल बोला, मुझे भी ऐसा ही लगता है। हमें वापस चलना चाहिए। वैसे भी हम बहुत आगे आ गए हैं। अब हम दोनों वापस लौटने लगे। लेकिन एक समस्या हो गई… फिर हम जिस रास्ते से आए थे उसका तो हम अंदाजा ही नहीं लगा पाए। अभी अंधेरा होने वाला था।
हमने अंदाजा लगाया और मेन रोड की तरफ निकल पड़े. और थोड़ी देर बाद हम मेन रोड पर भी पहुंच गए. हम वापस घर की तरफ निकल पड़े। लेकिन हमको पता नहीं था कि हम उल्टी दिशा में जा रहे थे। थोड़ी देर बाद पानी की बोलने की आवाज आई, लेकिन अभी अंधेरा भी हो चुका था। हम किसी भी तरह अपने टेंट पर लौटना चाहते थे।
पुल के पास पहुंचे तो… वाह क्या मस्त हवा चल रही थी… ठंडी हवा…. हम ठंडी हवा में पुल की रेलिंग पर बैठ गए। तभी दूर कहीं भेड़िए की रोने की आवाज आई. हम दोनों खड़े हो गए। गोपाल ठीक मेरे सामने था.तभी आकाश में एक बड़ा काला रंग का पक्षी उड़ रहा था और बोल रहा था। मानो वह हमें यह कहना चाहता था कि यहां से चले जाओ यहाँ रुकना ठीक नहीं है।
मैंने गोपाल से कहा, यहाँ से चलते हैं। गोपाल बोला, थोड़ी देर और रुकते हैं या बहुत अच्छा मौसम है।
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तभी मेरी आंखें फटी की फटी रह गई।…. गोपाल के पीछे एक लड़की खड़ी थी। दूर से वह दिखने में सुंदर लग रही थी। पर इस तरह से अचानक देख कर मैं डर सा गया। गोपाल मुझे पूछने लगा। क्या हुआ….. इतने में वह लड़की पुल की रेलिंग पर चढ़ गई …और नीचे पानी की तरफ देखने लगी।
मैंने गोपाल से कहा देखो, वह लड़की क्या कर रही है। गोपाल ने पीछे मुड़ कर देगा। अरे वह तो आत्महत्या कर रही है। गोपाल दौड़ कर उसके पास गया, लेकिन वह पानी में कूद गई।
गोपाल अब उसको देखने लगा। मैं भी दौड़कर गोपाल के पास चला गया और उस लड़की को देखने लगा. वह लड़की चिल्ला रही थी और सहायता के लिए हमको पुकर रही थी। गोपाल ने अपना शर्ट निकाल कर मेरे मुंह पर फेंक मारा और वह भी रेलिंग पर चढ़ गया। मैंने उसको रोका उसका हाथ पकड़ा, लेकिन वह पानी में कूद गया. पानी में कूदते ही वह लड़की गायब हो गई। सोचा कि शायद लड़की पानी में डूब गई है। इसलिए गोपाल ने गहरी गहरी सांसे भरी और वह भी पानी में डूब गया। कुछ देर बाद गोपाल वापस बार आया। मैंने गोपाल को जोर से पुकार कर पूछा, क्या मिल गई क्या?
वह बोला नहीं मेरे दोस्त अभी नहीं मिली। एक बार और गोपाल ने गहरी सांस भरी और एक बार फिर से वह पानी के अंदर गया।
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और भगवान से प्रार्थना करने लगा। हे भगवान सब कुछ ठीक करना. तभी मैंने अपने दायी तरफ कुछ महसूस किया। मैंने अप्निआन्खे खोली और दाई तरफ देखा. तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी. मैंने देखा कि वही लड़की अभी तो पानी में थी और अभी यहां पर कैसे बैठी हैं?
मैंने गोपाल को आवाज लगाई गोपाल गोपाल यह लड़की तो यहां पर आ चुकी है। तुम भी जल्दी से ऊपर आ जाओ।
उस लड़की ने मेरी तरफ देखा!
लेकिन अबकी बार उसका चेहरा, पहले जैसा सुंदर नहीं था। वह एकदम बिल्कुल भूतिया रूप में थी। मैंने गोपाल को पुकारा गोपाल… बचाओ… यह लड़की नहीं है यह तो चुड़ैल हैं चुड़ैल। गोपाल वहीँ पर खड़ा हो गया और वह हिल भी नहीं पा रहा था। गोपाल की हाथ पैर ठंडे पड़ गए थे अब!
पहली बार किसी चुड़ैल को इतने करीब से देख कर मैंने तो पेंट में ही पेशाब कर दी।
वह लड़की मुझसे बोली, तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगी। मैं तुम्हारे दोस्त को खाऊंगी।
अब मेरी धड़कने बढ़ने लगी और मैंने गोपाल को बोला, गोपाल जल्दी पानी से बाहर आओ नहीं तो यह चुड़ैल तुम्हें खा जाएगी। अब गोपाल के हाथ पैर बिल्कुल ठंडे पड़ गए और वहीं पर खड़ा रहा और एक बार फिर चुड़ैल लड़की पुल की रेलिंग पर खड़े होकर गोपाल के ऊपर कूद गई और गोपाल को पानी के अंदर लेकर गई। और मैं ऊपर से ही चिल्लाता रहा। गोपाल… गोपाल …..गोपाल ……कुछ समय बाद पानी से खून दिखने लगा। अब मैं समझ गया था कि अब मेरा दोस्त गोपाल इस दुनिया में नहीं रहा और इस सदमे में को मैं सहन नहीं कर सका और वहीं पर बेहोश होकर गिर पड़ा। सुबह हुई तो मैंने अपने आप को चार पांच लोगों से गिरा हुआ पाया और जल्दी से उठ कर पानी की तरफ देखा। मैंने देखा तो गोपाल की लाश पानी में तैर रही थी।
मैंने गांव वालों से पूछा कि वह लड़की कौन थी…… लड़की तो नहीं है। लड़की तो कम और चुड़ैल ज्यादा लगती थी। उसी ने मेरे दोस्त को मारा है।
गांव वालों से मुझे उस लड़की के बारे में पता चला। उस लड़की का इतिहास 300 साल पुराना है. किसी राजा और मंत्री ने उस लड़की का बलात्कार कर दिया था। और यह बात धीरे-धीरे पूरे गांव में फैल गई थी। इसलिए सभी लड़कियां उसके ऊपर ताना मारती थी. उसको छेड़ा करती थी। उसके पति ने भी उसको छोड़ दिया था। फिर वह लड़की अपने मायके चली गई। मायके में भी वही समस्या रही। उसके परिवार वाले और गांव वाले उसको जीने नही दे रहे थे। फिर एक दिन वह लड़की इस पूल के ऊपर आई और उसने इसी पानी में कूदकर अपनी जान दे दी. तभी से वह लड़की सभी लोगों को जान से मार कर उनका खून पीती है।
गांव वालों ने यह भी बताया था कि यदि वह लड़की 117 लोगों का खून पी लेगी तो वह फिर से एक सुंदर स्त्री बन जाएगी। इसलिए अमावस्या की रात को जो भी दिखता, उसको मार कर उसका खून पीती थी। उस अमावस्या की रात के बाद वह लड़की फिर से वहां पर कभी नहीं दिखी। मेरा दोस्त गोपाल की मौत उसका आखिरी 117वा शिकार था।
इस भूतिया चुड़ैल की कहानी(horror stories in hindi) गोपाल की मौत से हमने क्या सिखा -यदि कोई इंसान किसी दुःख के साथ जी रहा हैं तो उसको प्रताड़ित नहीं करे. क्योंकि यह चोट उनको आत्मा पर लगती हैं. और आत्मा कभी मरती नहीं हैं.
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