Raja Mahendra Pratap Singh Biography In Hindi – राजा महेंद्र प्रताप जीवनी

राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जीवन परिचय

नाम – राजा महेंद्र प्रताप सिंह
जन्म – 1 दिसंबर 1886
जन्म स्थान – हाथरस, जिला उत्तर प्रदेश

पिता का नाम- घनश्याम सिंह जाट

माता का नाम- बलवीर कौर
राष्ट्रीयता – भारतीय
मृत्यु – 29 अप्रैल 1979 (92 वर्ष)
पहचान – क्रांतिकारी, पत्रकार, लेखक, पूर्व लोकसभा सदस्य, समाज सेवक, दान दाता।

इस आर्टिकल में हम आपको भारत के एक ऐसे क्रांतिकारी और नायक, पत्रकार के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया. लेकिन यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे वीर क्रांतिकारी को इतिहास में भुला दिया गया.

आज जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का नाम महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखने की घोषणा की तब यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। इस आर्टिकल में आप जानेंगे राजा महेंद्र प्रताप सिंह कौन थे? राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जीवन परिचय (king mahendra pratap singh in hindi) और देश की आजादी में उनका योगदान क्या रहा? इसके साथ हम उनके नीजी जीवन को भी जानगे.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह कौन थे?

किंग महेंद्र प्रताप सिंह, ब्रिटिश इंडिया के समय एक महान क्रांतिकारी, जर्नलिस्ट, राइटर और दानदाता थे। उनको आर्यन पेशवा के नाम से भी जाना जाता था। उनको आर्यन पेशवा के नाम से भी जाना जाता है। सर्वप्रथम उन्होंने ही 1915 में काबुल में अंतरिम सरकार का गठन कर एक आजाद देश की नींव रखी थी।

महेंद्र प्रताप सिंह इस सरकार के अध्यक्ष भी रहे थे। उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के भरसक प्रयास किए थे।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह जन्म और परिवार

हाथरस के राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1 दिसंबर 1886 को अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के मुरसान राजघराने में हुआ था। उनके पिता का नाम घनश्याम सिंह था. महेंद्र प्रताप सिंह घनश्याम सिंह जी की तीसरी संतान थे.
प्रताप जी का जन्म एक जाट शासन के परिवार में हुआ था।

महेंद्र प्रताप सिंह हाथरस जिले के राजा कैसे बने?

हाथरस के राजा हरनारायण सिंह की अपनी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने महेंद्र प्रताप सिंह को मात्र 3 वर्ष की आयु में गोद ले लिया था। महेंद्र प्रताप सिंह का बचपन सभी सुख-सुविधाओं से निपुण था। उन्होंने जिंद हरियाणा की राजकुमारी बालवीर कौर से विवाह किया। विवाह के समय वे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विवाह इतनी धूमधाम से हुआ था की बारात के लिए दो स्पेशल ट्रेनें चलाई गई थी। विवाह के बाद जब प्रताप जी अपने ससुराल जाते तो उन्हें 11 तोपों की सलामी भी दी जाती थी।

विवाह के उपरांत 1909 में उनकी एक बेटी हुई। इसके बाद 1913 में एक पुत्र हुआ और उनके पुत्र का नाम प्रेम रखा गया।

शिक्षा – दिक्षा

प्रताप जी की प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ की लोकल स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने मुहअमदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में एडमिशन लिया, जिसे अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कहा जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी. प्रताप जी ने अपनी बीए की डिग्री को पूरा नहीं किया था।

भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महेंद्र प्रताप सिंह का योगदान

राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भारत को आजाद कराने में अपना अहम योगदान दिया था। राजा होते हुए भी उन्होंने सन 1914 में अपना राजपाट छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। जिंद शासक के मना करने के बावजूद भी प्रताप जी ने सन 1996 कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया था। अब उनके दिल और दिमाग में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी थी। उनके अंदर भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने की प्रबल इच्छा जागृत हुई।

उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध सैनिक सहायता पाने के लिए रूस, जापान, जर्मनी, अफगानिस्तान से समझौता किया।
वर्ष 1915 में उन्होंने अफगानिस्तान के शासक से भेंट की.
उस समय यूरोपीय सेना और विदेशों की स्थिति कमजोर हो गई थी। प्रथम विश्वयुद्ध के चलते इसका फायदा उठाते हुए महेंद्र प्रताप सिंह ने काबुल(अफगानिस्तान) में 1 दिसंबर 1915 को भारत की प्रथम अस्थाई निर्वाचित सरकार की नींव रखी। इसके अध्यक्ष वे स्वयं बने थे।

जबकि मौलाना बुल्ला खान को प्रधानमंत्री तथा उबेदुल्लाह सिंधु को गृहमंत्री बनाया गया था।
इसी बीच प्रताप सिंह ने अंग्रेजो के खिलाफ जियाद घोषित कर दिया. परंतु एन वक्त पर बाहरी देशों ने कोई सहायता नहीं की। जिससे अंग्रेजों ने इस पर काबू पा लिया।

you are reading :- Raja Mahendra Pratap Singh Wikipedia in hindi

इसके बाद वे जापान की यात्रा पर निकल गए। वहां रहते हुए उन्होंने वर्ल्ड फेडरेशन नामक मासिक पत्रिका का संपादन किया जिसके माध्यम से वे भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने की कोशिश करते रहते.
1940 में जब सेकंड वर्ल्ड वॉर चल रहा था उस दौरान जापान में एग्जीक्यूटिव बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की थी।

अपने पुत्र के नाम प्रेम पर ही उन्होंने वृंदावन में प्रेम पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना की। उन्होंने इसकी स्थापना अपने राज महल में ही की थी. बाद में उन्होंने यह भूमि कॉलेज संस्था को दान में दे दी थी.

महेंद्र प्रताप सिंह, एक महान समाजसेवी और दानदाता भी थे। आज जहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मौजूद है, वहां की जमीन प्रताप जी ने ही दान की थी। इसके अलावा वृंदावन में स्थित अपनी 80 एकड़ भूमि को आर्य समाज प्रतिनिधि को दान में दी थी।

9 अगस्त 1946 को वे इंडिया लौटे. भारत आकर उन्होंने सर्वप्रथम गांधी जी से भेंट की। यहां उन्होंने पंचायती राज्य के गठन पर जोर दिया। प्रताप जी स्वतंत्रता सेनानी और अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष थे।
इस प्रकार स्वतंत्रता के बाद भी प्रताप जी का संघर्ष चलता रहा.

लोकसभा के सदस्य के रूप में

1957 में द्वितीय लोकसभा चुनाव में प्रताप जी ने अटल बिहारी बाजपेई जी को टक्कर देते हुए उन्होंने अपनी जगह बनाई थी। प्रताप जी 1957-1962 तक लोकसभा सदस्य रहे थे। उन्होंने मथुरा से चुनाव लड़ा था।

मृत्यु

29 अप्रैल 1979 को महेंद्र प्रताप सिंह का निधन हो गया था। इस समय उनकी आयु 92 वर्ष थी। अपने जीवन काल में उन्होंने जो योगदान दिया वह अमूल्य है।

पुरस्कार और सम्मान

नोबेल प्राइज के लिए नामांकित – राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी को सन 1932 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

महेंद्र प्रताप सिंह जी को भारत में आर्यन पेशवा के नाम से भी जाना जाता है।
यह बड़ी दुख की बात है कि ऐसे महानायक को भारत के इतिहास में कहीं पर भी स्थान नहीं दिया गया। आज जब प्रधानमंत्री ने उनके नाम की राज्यस्तरीय यूनिवर्सिटी की घोषणा की तो मानो यह दिवंगत आत्मा पुनः जागृत हो गई।

महेंद्र प्रताप सिंह का जीवन घटनाचक्र(संक्षेप में)

  • इनका जन्म 1886 में उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुआ था।
  • ये एक महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी स्वतंत्र लेखक और समाज सेवक के रूप में जाने जाते हैं।
  • इन्होने सन 1909 में वृंदावन के अपने निजी आवास को तकनीकी स्कूल के रूप में स्थापना की थी। इसका नाम प्रेम विद्यालय रखा गया था। इसे देश की प्रथम पॉलिटेक्निक कॉलेज माना जाता है।
  • राजा महेंद्र प्रताप ने लघु कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा दिया था।
  • सन 1913 में इन्होंने साउथ अफ्रीका में गांधी जी के साथ आंदोलन में भाग लिया था।
  • 1915 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान काबुल अफगान में अस्थाई भारत सरकार का गठन किया था।
  • 1919 में उन्होंने रूस के व्लादीमीर लेनिन से भेंट की।
  • सन 1925 में वे तिब्बत गए और वहां दलाई लामा से भेंट की।
  • 1929 में बर्लिन में इन्होंने वर्ल्ड फेडरेशन की स्थापना की।
  • 1932 में उन्हें नोबेल प्राइज के लिए नामांकित किया गया था।
  • वर्ष 1957 से 1962 तक के मथुरा से लोकसभा मथुरा के लोकसभा सांसद रहे.
  • 1979 को 92 वर्ष की आयु में महेंद्र प्रताप सिंह का निधन हो गया.

अन्तिम शब्द…Raja Mahendra Pratap Singh Biography In Hindi

इसे भी पढ़े -: Biogrphy Of Bahadur Bhagat Singh

आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा। इस आर्टिकल के माध्यम से आपने अपरिचित क्रांतिकारी नायक राजा महेंद्र प्रताप सिंह के जीवन(Raja Mahendra Pratap Singh Biography In Hindi) के बारे में विस्तार से जाना. हमारे इतिहास के इन छुपे हुए तथ्यों के बारें में आप क्या राय रखते हैं, कमेंट बॉक्स में इनका उल्लेख जरूर करें.

2 thoughts on “Raja Mahendra Pratap Singh Biography In Hindi – राजा महेंद्र प्रताप जीवनी”

  1. सन 1913 में इन्होंने साउथ अफ्रीका में गांधी जी के साथ आंदोलन में भाग लिया था।
    प्रताप जी ने सन 1996 कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया था
    कृपया ये दो तथ्य चेक करें

    Reply
    • शुक्रिया पंकज-जी हम आपके कहे अनुसार तथ्यों को जरूर चेक करेंगे.

      Reply

Leave a Comment