समझदारी का घड़ा – अकबर बीरबल की कहानी

समझदारी का घड़ा – अकबर बीरबल की हिंदी कहानी

अकबर बीरबल की हिंदी कहानियां‘ में इस कहानी का विषय हैं -समझदारी का घड़ा

एक दिन अकबर और उसके दरबारी दरबार में बैठे हुए कोई सभा कर रहे थे. तभी राजा सीलोन का दूत वहां आ पहुंचा. वह किसी विशेष काम के लिए मुग़ल दरबार में आया था.
सलाम बादशाह… मैं राजा सीलोन के देश से आया हूँ. हमारी सल्तनत में आपका स्वागत हैं – अकबर ने कहा. हमने सुना हैं – आपके दरबार में बहुत सारे बुद्धिमान दरबारी हैं और हमारे राजा ने समझदारी से भरे घड़े की गुजारिश की हैं क्या आप इस इच्छा को पूरी करेंगे.

कुछ दरबारी बोले – समझदारी से भरा हुआ घड़ा.. अब ये कहाँ से भरकर लायेंगे. ये तो बहुत ही बेहूदा गुजारिश हैं. (फुसफुसाते हुए)
किसी मंत्री ने सलाह दी की बादशाह सिलोन के राजा हमे मात देना चाहते हैं….. और वो सफल भी हो जायेंगा. कोई भी हमे नही बचा पायेंग. यहाँ तक बीरबल भी. ये तो बहुत मुश्किल गुजारिश की हैं सीलोन के राजा ने- अकबर ने कहा. खैर तुम्हारा इसके बारे मे क्या कहना हैं बीरबल.
बीरबल बोले हाँ! हम थोड़ी तो समझदारी तो भेज ही सकते हैं सीलोन के राजा के लिए. आख़िरकार उन्होंने गुजारिश की हैं तो, हमको उमकी गुजारिश पूरी करनी चाहिए.
अकबर बोले – अगर तुम ऐसा कहते हो तो ठीक है, तुम जो भी करोगे ठीक ही करोगे. मझे तुम पर पूरा यकींन हैं…. शुक्रिया जहापनाह! मुझे घड़े को भरने के लिए कुछ हफ्तों की जरुरत पड़ेगी. आप जितना चाहे वक्त ले सकते हैं- दूत ने कहा.
अकबर ने कहा बीरबल जरा ध्यान से क्योंकि तुमने जिस चुनोती को स्वीकार की हैं. उस पर हमारी भी इज्जत दाव पर लगी हैं. बीरबल ने कहा जहापनाह सब्र रखिये, सीलोन के राजा को समझदारी से भरा घड़ा जरूर मिलेगा.
उसी शाम को बीरबल ने अपने सहायक को बुलाया………. बीरबल के दिमाग में एक अजब गजब प्रकार की योजना चल रही थी.
बीरबल ने अपने सहायक से कहा की मुझे कुछ मिट्टी के घड़े चाहिए. और ध्यान रहे उन घडो की गर्दन कुछ पतली रहे.
इतना कहकर बीरबल बगीचे में चले गये, और कुछ समय में सहायक भी मिट्टी के गड़े भी लेकर आ गया. बीरबल ने उसको उन घडो को लेकर कद्दू के क्यारी में आने को कहा.


बीरबल ने एक घड़ा माँगा और घड़े के चारों और लकड़ीयां को रस्सी से लपेटकर बांध दी.
बीरबल ने उन घडो को उल्टा करके कद्दू के फूल पर रख दिया. इसी तरह सभी घडो को बांध कर उल्टा रख दिया.
सभी घडो को रखने के बाद बीरबल ने सहायक से बोला इन कद्दू के बेलों को खाद पानी देते रहना. और इसको किसी को छूने मत देना. और किसी को बताना भी मत. इतना कहकर बीरबल वहां से चल दिए.


माली सहायक ने उन कद्दुओ और घडो का खूब ख्याल रखा.
कुछ हफ्तों बाद अकबर ने बीरबल से पूछा … बीरबल कुछ काम को आगे बढाया की नही. तुम्हारी तरफ से कोई समाचार भी नही आया.
जहापनाह काम लगभग समाप्त हो ही गया – ऐसा बीरबल ने कहा.
मैं ये देखने के लिए बहुत ही उत्साहित हूँ – ऐसा बादशाह ने कहा. लेकिन तुम घड़े को समझदारी से कैसे भरोगे. अब मुझे दो हफ्ते और चाहिए. फिर काम पूरा हो जायेंगा. फीर हम सीलोन के दूत को बुला कर समझदारी के घड़े दे सकते हैं.
उम्मीद करता हूँ हमारी इज्जत पर कोई दाग नहीं लगेगा -अकबर ने कहा. ऐसा बिकुल नहीं होगा जहापनाह – बीरबल ने कहा.
दो हफ़्ते बाद……..
सभी दरबार में इक्कठे हुए. भीड़ में फुसफुसाहट और हंसी सुनाई दे रही थी. सभी दरबारियों की नज़र बीरबल पर थी. सभी ये सोच रहे थे कि आखिर बीरबल ने क्या किया होगा…समझदारी के घड़े को भरने के लिए. कोई मंत्री बोल रहा था की मुझे नही लगता की बीरबल इस चुनौती को पूरा कर पाया होगा. मुझे भी ऐसा ही लगता है. ऐसा कर पाना किसी के लिए भी नामुमकिन हैं. अरे वो बीरबल हैं. जरूर उसने कोई न कोई रास्ता निकल ही दिया होगा – बुढा मंत्री बोला. सभी इस चुनौती और इसके परिणाम के बारे में बातें कर रहे थे.
बीरबल और दूत दोनों दरबार में हाजिर होते हैं.
समझदारी से भरे घड़े को दिखाने के लिए क्या तुम तैयार हो बीरबल- बादशाह अकबर ने कहा. जी हाँ जहापनाह – अकबर ने कहा.
बीरबल ने दो तली बजाई, सभी दरवाजे की तरफ देखते हैं. बीरबल का सहायक घड़े को थाली में रखकर हाजिर होता हैं.
ये लीजिये जहापनाह आपके सामने समझदारी से भरा घड़ा हाजिर हैं. घड़े को ऊपर से कपडे से ढका हुआ था ताकि कोई अन्दर से देख न सके की अन्दर क्या भरा हुआ था.
दरबारी चिल्लाने लगे – ऐसा कैसे हो सकता हैं, ऐसा हो ही नही सकता, ये नामुमकिन हैं. शांत हो जाओ – अकबर ने कहा.
इस घड़े को तुम अपने राजा के पास ले जाओ. लेकिन याद रहे तुम्हें ये सारे घड़े खाली करके लौटाने होंगे, वो भी बिना कोई नुकसान पहुंचाए. और आप समझदारी के फल को बाहर निकालने चाहते हो तो उसे भी कोई खरोच नही आनी चाहिए.
क्या मैं इसे देख सकता हूँ- दूत ने कहा. हा जरूर अब ये आपका ही हैं – बीरबल ने कहा.

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दूत उस घड़े के अन्दर देखता हैं और चोंक जाता हैं. उसने घड़े के अन्दर एक कद्दू देखा. दूत कुछ बोले उसके पहले बीरबल बोले एसे हमारे पास पांच घड़े हैं. अगर तुम्हारे राजा को और समझदारी चाहिए तो हम और दे देंगे. तुम्हारे सामने कोई खड़ा हो सकता हैं भला. तुम लाखो में एक हो बीरबल.
दूत घड़ा लेकर चला जाता हैं. बीरबल मैं बहुत ज्यादा उत्साहित हूँ. तुमने कहा तुम्हारे पास और पांच घड़े हैं जरा हमे भी दिखाओ – अकबर ने कहा. बीरबल ने दूसरा घड़ा मंगाया. सहायक दूसरा घड़ा भी ले आया. अकबर देखकर जोर जोर से हंसने लगा. बिलकुल ….यही हैं समझदारी का फल. सीलोन के राजा देखकर जरूर समझदार बन जायेंगे. इसके बाद सभी को दरबार में उस फल को दिखाया. सभी ने बीरबल की वाहवाही की. बीरबल तुम मेरे सबसे अच्छे दरबारी हो, तुम्हारे आगे सभी चाय कम पानी हैं.

इस अकबर बीरबल के किस्से(akbar birbal kahaniya) समझदारी से भरा घड़ा, से हमने क्या सिखा – विपरीत परिस्थति में भी जो विवेक से काम लेता हैं, अंत में वही विजय होता हैं.

अकबर की नज़र में सबसे बड़ा मुर्ख – बीरबल का जवाब

तो यह थी एक और अकबर बीरबल की हिंदी कहानियां‘ की रोचक और मजेदार कहानी. एसे ही और दूसरी हिंदी कहानियां को सबसे पहले अपनी मेल में प्राप्त करने के लिए हमारे हिंदी कहानियां के पेज को subscribe करे.

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