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हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें
इस पोस्ट में हम हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं , नगर नियोजन और प्रमुख स्थलों का विस्तृत के साथ अध्ययन करेंगे. पिछली पोस्ट में हमने हड़प्पा सभ्यता का इतिहास और उससे जुड़ी कई जानकारियां बताई. यदि वह पोस्ट आपने नहीं पढ़ी है. तो नीचे उसके लिंक दे रखी है. उस लिंक पर क्लिक करके, वह पोस्ट भी पढ़ सकते हैं. ताकि पूरी टॉपिक को समझने में आसानी होगी. हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है.
- नगर निर्माण प्रणाली
- सड़क निर्माण (ग्रिड पद्वति)
- भवन निर्माण
- जल निकासी
- सामाजिक जीवन (community)
- वर्ण व्यवस्था
- खान पान एवं रहन सहन
- मनोरंजन
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प्रश्न : हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें ? हड़प्पा सभ्यता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
हड़प्पा सभ्यता की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालें
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं और इनका वर्णन
हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता की कई विशेषताएं हैं जो, इसे अन्य प्राचीन सभ्यताओं से अलग करती हैं. और इन विशेषताओं को कहीं ना कहीं हिंदू धर्म में आज भी देखा जा सकता है.
- इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि, यह नगरीय सभ्यता थी. ऐसा मानना गलत नहीं होगा कि, भारत में सर्वप्रथम सुनियोजित और सुव्यवस्थित नगरीय व्यवस्था सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में पनपी थी. नगरों की व्यवस्थाएं निम्न थी.
- पके हुए ईटों के मकान, सड़कों का चौड़ा होना, सड़के समकोण पर काटती, पानी के लिए निकास व्यवस्था, सीवरेज लाइन और भी कई विशेषताएं थी. जो आज के शहरी व्यवस्था से मिलती-जुलती हैं. इसके अलावा यह नगर व्यापार प्रधान हुआ करते थे.
- सिंधु घाटी सभ्यता एक कांस्ययुगीन सभ्यता थी. यहां के लोग कांस्य से बनी चीजों का प्रयोग करते थे. खुदाई के दौरान कांस्य से बनी कई चीजें प्राप्त हुई है. जिससे पता चलता है कि, सिंधु सभ्यता के लोग कांस्य से भली-भांति ज्ञात थे यह तांबा और टीन को पिघलाकर कांसे बनाते थे.
- सिंधु घाटी सभ्यता एक आद्यऐतिहासिक सभ्यता है. आद्य ऐतिहासिक का तात्पर्य है कि, इस सभ्यता की लिखित जानकारी तो मिली है लेकिन अभी तक इस लिपि को पढ़ा नहीं गया है. इस कारण इस सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक सभ्यता कहां गया है. जब इस लिपि को पढ़ लिया जाएगा तब इसे इतिहास कहां जाएगा .
- विश्व सभ्यता युद्ध विरोधी सभ्यता थी अथार्थ यहां के लोग शांतिप्रिय थे. यहां प्रशासन सुव्यवस्थित था. और ना ही खुदाई के दौरान किसी प्रकार के हत्यार मिले. इस प्रकार कहा जा सकता है कि, सिंधु घाटी सभ्यता के लोग अमन पसंद थे. तथा यह एक युद्ध विरोधी सभ्यता थी.
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धार्मिक तथा अर्थ उनकी धार्मिक मान्यताएं थी. सिंधु वासी लिंग एवं योनि के प्रतीकों की पूजा करते थे. इसके अलावा वह वृक्ष पूजा, पशु पूजा, अग्नि कृत्य, स्नान ध्यान और जल देवता की पूजा करते थे. वहां के लोग पवित्र स्नान और जल पूजा का धार्मिक महत्व समझते थे. इसके अलावा वहां के लोग पशु बलि और नरबलि देते थे. कहीं-कहीं मातृ पूजा का उल्लेख भी मिलता है.
- सामान्य जनता जादू और टोने टोटके में विश्वास करती थी सिंधवासी परलोक में विश्वास करते थे. और भी कई धार्मिक प्रथाएं प्रचलित थी. जिन्हें आज भी हिंदू धर्म में देखा जा सकता है. लेकिन उनकी लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है. इसके कारण उनकी भाषा और विचारों को समझना मुश्किल है.
- सिंधु घाटी सभ्यता एक व्यापार प्रधान सभ्यता थी. जितने भी प्राचीन सभ्यताएं हुई है वे कृषि प्रधान थी. लेकिन सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय होने के साथ व्यापारिक प्रधान सभ्यता थी.
- सभ्यता का विस्तार काफी बड़े क्षेत्र में था. करीब 1300000 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी. जितनी बड़ी मिश्र और नील सभ्यता मिलाकर थी, उससे कई गुना बड़ी सिंधु घाटी सभ्यता थी.
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कला एवं संस्कृति में निपुण थे. वहां के लोगों को मूर्ति कला, बर्तन कला, धातु कला, चित्रकला, लिपि ज्ञान, माप तौल, भवन निर्माण आदि कलाओं का ज्ञान था उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि, सिंधु वासी कला प्रेमी थे.
हड़प्पा सभ्यता की नगर नियोजन का वर्णन करें (विशेषताएं)
प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें?
- नगर नियोजन इस सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता है. हड़प्पा सभ्यता की सुनियोजित नगरीय व्यवस्था भारत के इतिहास में ही नहीं बल्कि विश्व के इतिहास में भी प्रसिद्ध है माना जाता है कि, भारत में सुनियोजित नगरीय सभ्यता का प्रारंभ यहीं से हुआ होगा.
- हड़प्पा सभ्यता में जो, नगरीय व्यवस्था शहरी स्वरूप देखने को मिलती है. ऐसी व्यवस्था किसी अन्य प्राचीन सभ्यता में देखने को नहीं मिलती. इस सभ्यता का नगर नियोजन ग्रीड पद्धति पर आधारित था.
ग्रीड पद्धति पर आधारित
- ग्रीड पद्धति वह पद्धति जिसमें सड़कें सीधी होती है एवं एक दूसरे को समकोण पर काटती है. और किनारे-किनारे और घर बनते हैं देखने में यह किसी शतरंज की तरह लगता है. शहर को दो अलग अलग भागों में विभाजित किया गया था. एक पूर्वी नगर और दूसरा पश्चिमी नगर. मुख्यतः पश्चिमी नगर दुर्ग कहलाते थे. वे थोड़ी ऊंचाई पर बनाए जाते थे.
- जबकि पूर्वी नगर थोड़ी नीचे होते थे. जिस कारण उन्हें निम्न नगर कहा जाता था. संभवतः पश्चिमी नगर में अमीर लोग रहते थे. वहां बड़े-बड़े महल एवं घर थे. जबकि पूर्वी नगर किसान या आमजन के लिए होते थे.
- पूर्वी नगर के लिए चारों तरफ कोई सुरक्षा दीवार नहीं होती थी. जबकि पश्चिमी नगर में चारों ओर सुरक्षा दिवार होती थी. जिस कारण उन्हें दुर्ग कहा जाता था. लेकिन इसी सभ्यता के एक स्थल धोलावीरा गुजरात से नगर तीन भागों में विभाजित मिला है.
सड़क और नालियों की व्यवस्था
- सड़के भी दो प्रकार की थी. एक मुख्य सड़क जो अत्यधिक चौड़ी (लगभग 10) मीटर होती तथा एक गली की सड़क जो कम चौड़ी (लगभग 3) मीटर होती थी. इसकी एक और विशेषता है कि, घरों के मुख्य दरवाजे मुख्य सड़क पर नहीं खोले जाते थे बल्कि गली की सड़कों की ओर खोलें जाते थे.
- लेकिन लोथल (गुजरात) एक ऐसा स्थल है. जहां घरों के मुख्य दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुले मिले हैं. पीने की जल की व्यवस्था के लिए हर घरों में एक कुआं था. उन को पीने के पानी की व्यवस्था होती थी. वही जल निकासी के लिए नालियां बनाई गई थी. यह भी इस सभ्यता की एक बड़ी विशेषता है कि, यहां जल निकासी के लिए सुव्यवस्थित नालियां बनाई गई थी.
- घरों के पास छोटी नालिया थी. जो मुख्य सड़क के पास बड़ी नाली से मिलती और इन के माध्यम से शहर से दूर गंदगी चली जाती थी. धोलावीरा एक ऐसा स्थल है. जहां लकड़ी से बनी नालियां प्राप्त हुई है. जो ज्यादा सुनियोजित थी.
भवन निर्माण (हड़प्पा सभ्यता की विशेषता)
- यहां के घरों की एक विशेषता थी. उनके दरवाजे और खिड़कियां मुख्य सड़क की ओर नहीं खुलते थे. सामान्यतः निम्न वर्ग के मकान छोटे होते थे. जबकि उच्च वर्ग के बड़े होते थे. खुदाई के दौरान घरों में सीढ़ियों के अवशेष भी मिले हैं.
- इससे पता चलता है कि, घर दो मंजिल के हुए होंगे.इस सभ्यता से कच्ची ईंट और पक्की ईंट दोनों का प्रमाण मिलता है. सामान्यता कच्ची ईंटों से सुरक्षा दीवार और सड़के बनाई जाती थी. जबकि पक्की ईंटों से भवन इत्यादि बनाए जाते थे. और यह ईटें निश्चित अनुपात (4:2:1) में मिलती हैं. अधिकांश घरों के दरवाजे तीन या चार फुट चौड़े होते थे.
घरों में अलमारियां भी बनाई जाती थी. मुख्य दरवाजे के बाद खुला आंगन था. जिसके एक कोने मे रसोई थी. और उसके पास एक सुनाना कर और शौचालय भी थे.इस सभ्यता से सामूहिक भवन मिले हैं.
- सामूहिक भवन जहां समाज के लोग या शहर के लोग समारोह या उत्सव में भाग लेते थे. जैसे मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानगर तथा विशाल अन्नानगर जहां, अन भंडार किया जाता. इस प्रकार, सिंधु घाटी सभ्यता के लोग आधुनिक शहरीकरण से परिचित थे.
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल (नगर)
प्रश्न – हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगरों की विशेषताएं बताएं?
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या है ?
अब तक हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल खोजे जा चुके हैं. लेकिन हम बात करेंगे केवल महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में तथा उनसे जुड़े हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानेंगे. हडप्पा सभ्यता या सिन्धुघाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल 1. महान हडप्पा नगर 2. कालीबंगा 3. राखीगढ़ी 4. मोहनजोदड़ो 5. लोथल 6. रंगपुर 7. सुरकोटड़ा 8. चन्हूदरो 9. रोपड़ और अन्य
हड़प्पा नगर की विशेषता
- इस सभ्यता का सर्वप्रथम खोजा गया स्थल था. वर्तमान में यह पाकिस्तान के जिला मोटेगिरी में स्थित है. यह रवि नदी के किनारे है. इसकी खोज सन 1921 में राय बहादुर दयाराम साहनी एवं उनके साथी द्वारा की गई थी. इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु – यहां खोज के दौरान विशाल अन्न के भंडार मिले, दर्पण, r37 कब्रिस्तान और श्रमिक आवास के अवशेष मिले हैं.
मोहनजोदड़ो की विशेषताएं
- यह इस सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है. विद्वानों का कहना है कि, सम्मिलित रूप से मोहनजोदड़ो और हड़प्पा दोनों ही इस सभ्यता की राजधानी रही होंगी. मोहनजोदड़ो वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत जिला लरकाना तथा सिंधु नदी के निकट स्थित है.
- इसकी खोज सन 1922 में राखलदास बनर्जी के द्वारा की गई थी. इस स्थान से विशाल स्नानागार के अवशेष मिले, कांसे की बनी नर्तकी की मूर्ति मिली. इसके अलावा भी यहां पुरोहित की मूर्ति, महाविद्यालय के अवशेष और एक सिंगी पशु अंकित मुद्राएं मिली.
लोथल
- वर्तमान में गुजरात में भोगवा नदी के किनारे स्थित है सन 1957 में रंगनाथ राव द्वारा इसकी खोज की गई थी.
- लोथल इस सभ्यता का बंदरगाह या गोदीवाड़ा था. जहां से समुद्र मार्ग द्वारा व्यापार किया जाता था यहां से चावल, अग्नि कुंड, हाथी दांत, मिट्टी से बनी घोड़े की मूर्ति और तीन युगल समाधिया के अवशेष मिले हैं.
रंगपुर
- यह स्थल गुजरात के अहमदाबाद नगर में भादर नदी के किनारे मिला है. सर्वप्रथम इस स्थल की खोज एस आर राव द्वारा की गई थी. यहां से धान की भूसी, ज्वार और बाजरा के अवशेष मिले हैं.
सुरकोटड़ा
- यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले में सरस्वती नदी के किनारे स्थित मिला है. यहां से कलश शवधान के अवशेष, घोड़े की हड्डी तथा तराजू के अवशेष मिले हैं.
- इसकी खोज जगतपति जोशी ने की थी.
कालीबंगा सभ्यता की विशेषता
- कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के निकट स्थित है.
- सर्वप्रथम इसकी खोज अमलानंद घोष द्वारा की गई थी. कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ होता है- काले रंग की चूड़ियां. क्योंकि यहां काले रंग की चूड़ियों के अवशेष मिले हैं. इस कारण से कालीबंगा कहा गया.
- यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां जूते हुए खेतों के प्रमाण मिले हैं. यहां अग्नि के हवन कुंड के अवशेष मिले हैं. इसके अलावा यहां भूकंप के प्रमाण भी मिले हैं.
राखीगढ़ी
- वर्तमान में राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में घग्गर नदी के किनारे स्थित है.
- सर्वप्रथम इसकी खोज सूरजभान द्वारा की गई थी. यह स्थल भारत में मिला हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है. इसके अलावा यहां तांबे का बने उपकरण भी मिले हैं.
- बनावली – यह स्थल भी हरियाणा के हिसार जिले में सरस्वती नदी (वर्तमान विलुप्त) के किनारे स्थित है. यहां से मिट्टी का बना हल खिलौनों के रूप में प्राप्त हुआ.
चन्हूदरो
- यह स्थल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के किनारे स्थित है.
- सर्वप्रथम इस स्थल की खोज अर्नेस्ट मेंके और प्रोफ़ेसर मजूमदार द्वारा की गई थी. यह भी एक महत्वपूर्ण स्थल है.
- यहां से मनके बनाने के कारखाने के अवशेष मिले. तथा महिलाओं द्वारा प्रयोग किए जाने वाले श्रृंगार प्रसाधन जैसे लिपस्टिक, पाउडर, काजल, कंघा आदि के अवशेष भी मिले. इसके अलावा बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के निशान भी यहीं से मिले हैं.
धोलावीरा सभ्यता की विशेषता
- धोलावीरा का शाब्दिक मतलब सफ़ेद कुआँ होता है. धोलावीरा नगर हड़प्पा सभ्यता का सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है.
- धोलावीरा कच्छ के भचाऊ में मसार और मानहर नदियों के बीच पनपा था.
- हाल ही में यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज पैलेस में शामिल किया है. यह इंडिया का 40 वा विश्व विरासत स्थल बन गया है.
- जगतपति जोशी ने 1968 में इसकी खोज की थी.
- हड़प्पा सभ्यता के अन्य नगर दो भागो में बंटे थे जबकि धोलावीरा तीन भागो में बंटा था.
रोपड़
- यह स्थल पंजाब के रूपनगर जिले में सतलुज नदी के किनारे मिले हैं. सर्वप्रथम इसकी खोज यज्ञदत्त शर्मा द्वारा की गई थी. यहां से मिले उपकरणों में से तांबे की बनी कुल्हाड़ी महत्वपूर्ण है.
हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक जीवन
हड़प्पा सभ्यता से उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इतिहासकारों ने वहां के सामाजिक जीवन की कल्पना की. समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार होती थी. संभवत परिवार मातृसत्तात्मक होते थे. यानी कि माताओं का स्थान परिवार में अहम होता था. वहां के लोग देवी पूजा के महत्व को समझते थे.
वर्ण व्यवस्था एवं प्रशासन
प्रश्न – हड़प्पा सभ्यता की वर्ण व्यवस्था और प्रशासन की विशेषता का वर्णन करे?
- किसी प्रकार की लिखित जानकारी नहीं मिलने के कारण यहां वर्ण व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं मिलता. विद्वानों का मानना है कि, संभवत यहां कई वर्ग हुए होंगे. जो व्यवसाय पर आधारित थे. जैसे एक पुरोहित वर्ग, व्यापारी वर्ग, श्रमिक वर्ग और शिल्पी वर्ग रहे होंगे.
- वहां की सामाजिक जीवन शैली एवं प्रशासन सुव्यवस्थित रही होंगी. क्योंकि यहां किसी प्रकार के युद्ध के प्रमाण नहीं मिले हैं. तो ऐसा कहा जा सकता है कि, हड़प्पा सभ्यता के लोग शांतिप्रिय थे. वे उत्सव, समारोह में सामूहिक रूप से भाग लेते थे. क्योंकि यहां सामूहिक भवनों के प्रमाण मिलते हैं.
खान-पान
- वहां के लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों ही थे. कई स्थलों पर मछली के मांस और अन्य पशुओं के मांस के अवशेष मिले हैं. आभूषणों का प्रयोग महिलाओं महिलाएं और पुरुष दोनों में ही प्रचलित था. उच्च वर्ग के लोग सोने-चांदी के आभूषण पहना करते थे. जबकि निम्न वर्ग के लोग हाथी दांत और मिट्टी के बने आभूषणों, मनके आदि का प्रयोग करते थे.
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रहन सहन
- इस सभ्यता के लोग सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे. यहां कपास के अवशेष भी मिले हैं. जो अन्य किसी सभ्यता में अब तक नहीं मिले हैं. इस सभ्यता के लोग मनोरंजन के साधन के रूप में नृत्य-गान, शिकार करना, पशुओं को लड़ाना और पासे से खेलना आदि के बारे में परिचित थे.
हड़प्पा सभ्यता से सम्बंधित प्रमुख प्रश्न
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हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता pdf
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