सीमेंट कैसे बनता है (फुल प्रोसेस), सीमेंट के प्रकार एवं उपयोग

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भवन बनाने में सीमेंट सबसे जरुरी चीजो में से एक है. सीमेंट भवन बनाने, ब्रिज बनाने में बहुत काम आता है. इसलिए सीमेंट की जरुरत हर समय रहती है. क्या आप जानते है सीमेंट कैसे बनता है. फक्ट्री में सीमेंट की manufacturing कैसे होती है. तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि, सीमेंट कैसे बनता है (cement kaise banta hai). सीमेंट बनाने की विधि क्या है. चलिए जानते है – खदानों से लेकर सीमेंट बनने तक का पूरा प्रोसेस.

Cement kaise banta hai यह एक सिविल इंजीनियरिंग का विषय है. यदि आप सिविल इंजिनियरिंग के स्टूडेंट है तो यह आर्टिकल आपके लिए मददगार हो सकता है. और यदि आप केवल जानकारी के लिए आए है तो आप बिल्कुल सही जगह पर रुके है. पढ़ते रहिए – cement kaise banta hai.

Cement kaise banta hai सीमेंट बनाने की विधि

सीमेंट बनाने की विधि दो प्रकार की होती है. एक नम विधि (wet process) और दूसरी शुष्क विधि (dry process). यहाँ हम सीमेंट बनाने की दोनों विधियों के बारे में विस्तार से बताने वाले है.

सीमेंट बनाने की शुष्क विधि (cement kaise banta hai)

खान खदानों से लेकर सीमेंट बनने तक का पूरे प्रोसेस के स्टेप्स निम्नलिखित है.

  • Mining
  • Crushing
  • Stacking and Reclaiming
  • Grinding
  • Preheating
  • Burning in kiln
  • Cooling
  • Finish Grinding
  • Packing
  1. Mining (खनन) – सीमेंट बनाने में मुख्य चार घटक आवश्यक होते है. लाइम स्टोन (चुना पत्थर), सिलिका, जिप्सम, लाल मृदा. यह चारो प्राक्रतिक चीजे है. इन्हें पहाड़ो से और जमीन के नीचे से खनन करके निकाला जाता है. पहाड़ो में ब्लास्टिंग की जाती है. ब्लास्टिंग के कारण बड़े बड़े टुकड़ो को छोटे छोटे पत्थरों में टूट जाते है. खनन से प्राप्त पदार्थ को कच्चा माल कहा जाता है. इन कच्चे माल को फेक्ट्रीयों में पहुँचाया जाता है.
  2. Curshing – crusher machine की मदद से बड़े बड़े लाइम स्टोन के टूटे पत्थरों को बारीक़ किया जाता है. कर्षर से निकले लाइम स्टोन के बारीक़ टुकड़ो को stacking करने भेज दिया जाता है.
  3. Stacking and Reclaiming – तैयार माल को stackar मशीन से गुजरा जाता है. stacker मशीन बारीक़ टुकड़ो को एकदम महीन चूर्ण जैसा बना देता है. बाद में इसे reclaiming कर दिया जाता है.
  4. Grinding (ग्राइंडिंग) – तैयार रॉ मटेरियल को ग्राइंडिंग मशीन के जरिए ग्राइंड किया जाता है. ग्राइंडिंग मशीन एक रोलर मील होती है. जिसमे तीन रोलर्स लगे होते है. इन रोलर्स की मदद से रॉ मटेरियल की ग्राइंडिंग होती है. पूरी तरह से तैयार मटेरियल को अलग कर लिया जाता है, और शेष बचे मटेरियल को पुनः इस मशीन से गुजरा जाता है.
  5. Pre-Heater – अब रॉ मटेरियल को pre-heater से गुजारा जाता है. pre-heater में कई स्टेप्स से रॉ मटेरियल को गुजरा जाता है. जहाँ पर सभी का तापमान अलग अलग होता है. pre-heater के नीचे से गर्म हवा आती है जबकि उपर से मटेरियल को गुमय जाता है. इससे अच्छे से हीटिंग होती है. pre-heater में calciner लगा होता है. जो उच्च तापमान पर रॉ मटेरियल की जाँच करता है.
  6. Burning in kiln – इसके बाद रॉ मटेरियल kiln में जाता है. किलन को रोटरी किलन कहा जाता है. यह एक घुमने वाली भट्टी होती है. जो कि कूलर से जुडी होती है. इसमें मटेरियल को गर्म किया जाता है. इस भट्टी का तापमान लगभग 1300 से 1400 डिग्री सेल्सियस तक होता है. भट्टी में बर्न हुआ मटेरियल कूलर की तरफ जाता है. इसे इतने उच्च तापमान पर इसलिए बर्न किया जाता है ताकि मटेरियल में उपस्थित रासायनिक बंध टूट जाए. और एक नया पदार्थ बने. जो पानी के साथ मिलाने पर कठोर हो जाए.
  7. Cooling process – किलन या भट्टी से निकले मटेरियल को ठंडा करने के लिए कूलर से गुजारा जाता है. इस कूलर में स्टेनलेस स्टील की बनी प्लेट्स होती है. जो अपने स्थान पर आगे पीछे होती रहती है. जिससे मटेरियल आगे बढ़ता है और नीचे से ठंडी हवा से उसे ठंडा किया जाता है. कूलर के एंड में एक बड़ा हैमर लगा होता है. जो बड़े क्लिंकर को बारीक़ कर देता है.
  8. Finish Grinding – कुलिंग प्रोसेस के बाद क्लिंकर को एक बार फिर ग्राइंडिंग के लिए भेज दिया जाता है. यहाँ पर क्लिंकर के साथ जिप्सम मिलाकर कर ग्राइंड किया जाता है. फिनिश ग्राइंडिंग के लिए बॉल मील का इस्तेमाल किया जाता है. इससे बना माल तैयार माल होता है. तैयार प्रोडक्ट को पैकिंग प्रोसेस के लिए भेज दिया जाता है.
  9. पैकिंग प्रोसेस – यह सीमेंट (cement) बनाने की अंतिम चरण है. यहाँ तैयार सीमेंट को बैग में पैक किया जाता है. जिसे अलग अलग कंपनियों में भेजा जाता है. इस विधि द्वारा सबसे अच्छा सीमेंट बनाया जाता है.

सीमेंट बनाने की नम विधि (Wet process)

सीमेंट बनाने की नम विधि में मुख्य तीन स्टेप्स होते है.

  • कच्चे माल का घोल बनाना
  • घोल से सीमेंट के क्लिंकर बनाना
  • क्लिंकर का चूर्ण बनाना (cement)

सीमेंट बनाने में आवश्यक कच्चे माल को खनन प्रक्रिया द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है. जिसके बाद crusher मशीन की सहायता से चुना पत्थर, सिलिका, लाल मृदा को पीस लिया जाता है.

  1. कच्चे माल का घोल बनाना – crusher द्वारा पिसे हुए कच्चे माल का एक घोल बनाया जाता है. साथ ही अलग से क्ले का एक घोल बनाया जाता है. अब क्ले और पिसे हुए कच्चे माल को उचित अनुपात में मिलाकर घोल बना लिया जाता है. इस घोल में 30-40% पानी डाला जाता है.
  2. अब इस कच्चे माल से बने घोल को घूर्णी गर्म भट्टी में बर्न करने के लिए भेजा जाता है. इसका लगभग तीन मीटर होता है. तथा इसकी लम्बाई 90-120 मीटर होती है. और यह एक ढल पर लगी होती है. जिससे मटेरियल आसानी से आगे बढ़ता जाए. जब रॉ मटेरियल को भट्टी में डाला जाता है तब भट्टी का तापमान लगभग 250-750 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है. गर्म होने के कारण घोल पपड़ी में बदल जाता है.
  3. ढलान के कारण मटेरियल आगे बढ़ता रहता है. जहाँ का तापमान 700-1200 डिग्री सेल्सियस होता है. यहाँ पर रॉ मटेरियल का केल्सिनेशन किया जाता है. इस कारण पपड़ी अब मोटे कणों में बदल जाती है.
  4. अब मटेरियल भट्टी के सबसे नीचे वाले सिरे पर पहुँचता है. यहाँ पर भट्टी का तापमान 1500-1700 डिग्री सेल्सियस होता है. अब मटेरियल क्लिंकर में प्रवेश करता है. इसके बाद मोटे कण क्लिंकर में बदल जाता है. अब क्लिंकर से प्राप्त मटेरियल को ठंडा किया जाता है.
  5. क्लिंकर से प्राप्त मेटेरियल को बॉल मील से गुजरा जाता है. जहाँ इसे जिप्सम के साथ ग्राइंड किया जाता है.
  6. ग्राइंड करने के बाद तैयार सीमेंट को और बारीक़ चूर्ण में बदलने के लिए ट्यूब मील से गुजारा जाता है. इस तरह नम विधि (wet process) द्वारा सीमेंट बनाया जाता है.

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सीमेंट निर्माण के मुख्य घटक/ अवयव

  1. Lime Stone – सीमेंट बनाने में मुख्यत लाइम स्टोन का उपयोग किया जाता है. इसे चुना पत्थर भी कहा जाता है. यह सीमेंट में स्ट्रेंथ, हार्डनेस और साउंडनेस बनाने में काम आती है. सीमेंट बनाने में लाइम स्टोन 62 से 67% मिलाया जाता है.
  2. Silica (सिलिका) – सिलिका का सीमेंट को मुख्य रूप से स्ट्रेंथ बढाती है. लेकिन सीमेंट में ज्यादा सिलिका का प्रयोग करने से सीमेंट की सेटिंग प्रोसेस (जमने की प्रक्रिया) मुश्किल होती है. इसलिए सीमेंट में सिलिका की मात्रा 17-25% राखी जाता है.
  3. Alumina – एलुमिना, सीमेंट के तुरंत जमने के लिए काम में लिया जाता है. सीमेंट में इसकी मात्रा 3-8% होती है.
  4. आयरन ऑक्साइड – इसका प्रयोग सीमेंट की शक्ति और हार्डनेस बढ़ाने के लिए किया जाता है. साथ ही यह सीमेंट को कलर देता है. सीमेंट में आयरन ऑक्साइड की मात्रा 5-6% मिलाया जाता है.
  5. जिप्सम – सीमेंट में जिप्सम का प्रयोग बहुत उपयोगी होता है. यह सीमेंट को अधिक देर तक न जमने के लिए काम में लिया जाता है. मतलब कि जिप्सम, सीमेंट की सेटिंग प्रोसेस की टाइमिंग को बढ़ाने के काम आता है.
Raw Matrial फ़ॉर्मूलाQuantity
Lime stone (चुना पत्थर)CaO62-67%
Silika (सिलिका)SiO217-25%
Alumina (एलुमिना)Al2O33-8%
Gypsum (जिप्सम)CaSo4.2H2O3-4%
Iron OxideFe2O35-6%
MagnesiaMgO1-3%
Sulfher (सल्फर)SO31%
AlkaliesNa2O/ K2O1%
Raw material of cement

सीमेंट के प्रकार (Types of cement)

अलग अलग टाइप के सीमेंट के कई प्रकार है. जो निम्नलिखित है.

  1. Rapid Hardning Cement (RHC)
  2. Extra Rapid Hardning Cement (ERHC)
  3. Quick Setting Cement (जिप्सम फ्री सीमेंट)
  4. Low Heat Cement (LHC)
  5. Sulphate Resisting Cement (SRC)
  6. Portland Pozzolana Cement (PPC)
  7. Ordinary Portland Cement (OPC)

ग्रेड के आधार पर सीमेंट के प्रकार

सीमेंट के ग्रेड के आधार पर तीन प्रकार होते है. सीमेंट में ग्रेड क्या दर्शाता है? सीमेंट में ग्रेड उसकी उच्चतम क्वालिटी को दर्शाता है. ग्रेड जितना ज्यादा होगा, वह उतना ही ज्यादा मजबूत होगा. कहने का मतलब है कि, जमने के बाद उसकी मजबूती अधिक रहती है. 33 ग्रेड का सीमेंट सबसे लो क्वालिटी का होता है. उससे अधिक 43 ग्रेड सीमेंट होता है. इसका प्रयोग अधिकतर भवन निर्माण में होता है. जबकि 53 ग्रेड का सीमेंट उच्चतम क्वालिटी का होता है. इसका उपयोग बड़े ब्रिज और बिलडिंग बनाने में किया जाता है.

  • 33 ग्रेड सीमेंट
  • 43 ग्रेड सीमेंट
  • 53 ग्रेड सीमेंट

43 और 53 ग्रेड सीमेंट के बीच का अंतर और उपयोग

Cement Kya Hai? सीमेंट की परिभाषा

सीमेंट लाइम स्टोन, जिप्सम, आयरन ऑक्साइड, क्ले आदि कई खनिज तत्वों को मिश्रण होता है. सीमेंट का उपयोग दो चीजो को जोड़ने के लिए किया जाता है. जैसे दो ईंटो को जोड़ने में आदि.

सीमेंट का मुख्य घटक कौन सा है?

सीमेंट के घटक – cement बनाने में वैसे तो कई घटकों का इस्तेमाल होता है. जिनके बारे उपर बात की है. लेकिन मुख्य घटक/ अवयव लाइम स्टोन, क्ले, सिलिका, लाल मृदा होते है. इनका इस्तेमाल सीमेंट बनाने में होता है.

सीमेंट में जिप्सम क्यों मिलाया जाता है?

सीमेंट में जिप्सम इसलिए मिलाया जाता ताकि, सीमेंट की सेटिंग प्रोसेस यानी जमने की टाइमिंग को बढाया जा सके. क्या हो यदि सीमेंट में जिप्सम नही मिलाया जाए? जिप्सम फ्री सीमेंट बनाने से सीमेंट पानी के सम्पर्क में आते ही जम जाएगा. इस प्रकार के सीमेंट को जिप्सम फ्री सीमेंट कहते है.

सीमेंट कितने प्रकार के होते है?

मुख्यरूप से सीमेंट के निम्न प्रकार होते है. Rapid Hardning Cement (RHC), Extra Rapid Hardning Cement (ERHC), Quick Setting Cement (जिप्सम फ्री सीमेंट), Low Heat Cement (LHC), Sulphate Resisting Cement (SRC), Portland Pozzolana Cement (PPC), Ordinary Portland Cement (OPC)

सीमेंट का इतिहास क्या है?

सीमेंट की खोज जोसेफ अस्पिदीन (Joseph Aspidin) ने की थी. भारत में पहला सीमेंट कारखाना साल 1904 में गुजरात के पोरबंदर में स्थापित किया था. लेकिन पहला सीमेंट उत्पादन कारखाना मद्रास में स्थापित हुआ था.

दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना कि सीमेंट कैसे बनता है cement kaise banta hai, सीमेंट क्या है? इसकी परिभाषा, सीमेंट के कितने प्रकार होते है, Types of cement, सीमेंट के क्या उपयोग होते है, सीमेंट में कौनसे अवयव या घटक मिलाए जाते है. आशा करते है यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा. इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें. धन्यवाद!

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