Construction workers – Meaning, Types, Rules, कंस्ट्रक्शन वर्कर कैसे बने

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आपने किसी बिल्डिंग विनिर्माण में कुछ लोगों को काम करते हुए देखा होगा. बिल्डिंग विनिर्माण के अलावा किसी पुल विनिर्माण, रोड कंस्ट्रक्शन के लिए लोगों को काम करते देखा होगा. ये सभी construction workers या विनिर्माण मजदुर हैं.

यहाँ construction workers के बारें में जानकारी दी गयी हैं. अगर कोई कंस्ट्रक्शन वर्कर बनना चाहता हैं, तो उनके लिए यह जानकारी सहायक होगी.

विनिर्माण मजदूर क्या होते हैं(construction workers)

विनिर्माण मजदुर या कंस्ट्रक्शन वर्कर वह आदमी होता हैं जो किसी निर्माण स्थल पर एक टीम के मेम्बर के रूप में काम करता हैं.

निर्माण स्थल पर मजदूर को कई सारे काम करने पड़ सकते हैं. किये जाने वाले ये काम बहुत जटिल या अधिक कौशलिक नहीं हैं. लेकिन, इन काम को करने के लिए अधिक मेहनत या शारीरिक श्रम की जरुरत पड़ती हैं.

विनिर्माण मजदूर कई तरह के हो सकते हैं, लेकिन हम केवल तीन मुख्य प्रकार के बारें में जानेंगे.

स्किल या कुशलता के हिसाब से विनिर्माण मजदूर तीन प्रकार के हो सकते हैं.

1. स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स

2. अन-स्किल्ड या अकुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स

3. ट्रेंड या हाई-स्किल्ड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स

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स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर(skilled construction workers)

स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स

स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स में वे मजदूर आते हैं जो समय के साथ कुछ अनुभव प्राप्त कर लेते हैं.

स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स का अनुभव किसी विशेष ट्रेनिंग से नहीं आता हैं, यह एक समय का तजुर्बा होता हैं.

कंस्ट्रक्शन काम के लिए अलग अलग लेवल पर अलग अलग वर्कर्स की आवश्यकता होती हैं. कुशल वर्कर्स वह श्रेणी हैं जो इंजिनियर या विनिर्माण के लिए दुसरे मुख्य स्तर पर भूमिका निभाते हैं. मुख्य स्तर पर हाई स्किल्ड वर्कर्स भूमिका निभाते हैं.  

इंडिया में स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की बात करे तो बड़े भवनों और कंस्ट्रक्शन की साइट्स पर काम करने वाले मजदुर जब कारीगरी और अपूर्ण ट्रेनिंग की स्किल्स सीख जाते हैं तो उनको स्किल्ड या कुशल कंस्ट्रक्शन वर्कर्स में शामिल किया जाता हैं.

स्किल्ड वर्कर्स का मेहनताना नॉन-स्किल्ड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स से ज्यादा होता हैं.

विकसित देश स्किल्ड वर्कर्स को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं. इसका कारन यह हैं कि वे विनिर्माण को लेकर कोई समझौता नहीं करते हैं.

उदाहरण -: उपकरण और मशीनों को चलाने की कुशलता, कंस्ट्रक्शन के मख्य प्रोटोकॉल से परिचित वर्कर्स, मध्यम कंस्ट्रक्शन कठिनाइयों से निपटने की कुशलता. तकनिकी की लघु समझ. हाथ से काम की निपुणता.

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अन-स्किल्ड या अकुशल(un-skilled construction workers)

एक अकुशल मजदूर एक ऐसे कर्मचारी को संदर्भित करता है जिसके पास तकनीकी प्रशिक्षण की कमी होती है.

यहाँ हूँ जिस प्रशिक्षण की बात कर रहे हैं वह संदर्भित व्यापार और सम्बंधित विशेषज्ञता के बारें में हैं.

इस तरह के मजदुर साईट पर नए होते हैं. इनको लघु प्रशिक्षण की जरुरत होती हैं.

अगर अकुशल श्रमिकों की मांग की बात करें तो विकसित देशों में इनकी मांग में कमी आई हैं.

कमी का कारण ऑटोमेशन हैं.

वहीँ अगर विकासशील देशों की बात की जाए तो बड़ी संख्या में इन मजदूरों या श्रमिकों को भर्ती किया जाता हैं.

विकासशील देशों में सस्ते अकुशल मजदूर मिल जाते है.

अगर इंडियन कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की बात की जाए तो यहाँ बड़ी मात्रा में फ्रेश वर्कर्स को भर्ती किया जाता हैं, जो कम मेहनतनामा पर मिल जाते हैं.

यहाँ सभ्य मजदुर की जिम्मेदारी होती हैं कि वह लेबर नियमावली के अनुसार अपना मेहनतनामा प्राप्त करें. 

अन-स्किल्ड या अकुशल वर्कर जब कुछ समय किस साईट पर ट्रेंड या स्किल्ड के अंडर में काम करता हैं तो वह भी सेमी-स्किल्ड वर्कर बन जाता है.

उदाहरण -: भारी वजन पत्थर, सीमेंट, मशीनों को ढोने वाले मजदुर. तार खींचने वाले काम, सफाई इत्यादि.

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ट्रेंड या हाई-स्किल्ड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स(high Construction workers)

कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की यह सबसे एडवांस श्रेणी हैं, ये वे वर्कर्स होते हैं, जिनमें कई सारी स्किल्स होती हैं. या ये वर्कर्स शारीरक श्रम के साथ साथ मानसिक बुद्धि का पूर्ण इस्तेमाल करते हैं. जब कंस्ट्रक्शन लेबर या वर्कर किसी ट्रेनिंग से निपुणता हासिल करते हैं, तो तजुर्बे के साथ साथ सम्पूर्ण ज्ञान भी प्राप्त होता हैं.

अकुशल कारीगर या वर्कर ऊंचाई से समझौता नहीं कर पाते हैं. जबकि एक ट्रेंड वर्कर न केवल ऊंचाई से काम कर पाता हैं, बल्कि उसको ऊंचाई पर किये जाने वाले कंस्ट्रक्शन की सभी सावधानियों की पूरी जानकारी होती हैं.

इसी तरह एक ट्रेंड या हाई स्किल्ड कंस्ट्रक्शन वर्कर कई स्किल्स या कलाओं में निपुण होता हैं.

हम यहाँ आगे कुछ ट्रेंड कुशल कारीगर के लिए स्किल्स की बात करेंगे. यहाँ आप कुछ हाई स्किल्ड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के उदहारण को देख लीजिये.

ट्रेंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की मजदूरी अधिक होती हैं.

उदहारण -: खतरनाक मौसम और तंग जगहों पर कुशल तरीके से काम करने की क्षमता, मशीनों को ऑपरेट के साथ साथ उनको ठीक करने की कुशलता.

एक निर्माण या कंस्ट्रक्शन का काम बहुत सीधा नहीं होकर शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण करियर का विकल्प हैं.

ऊपर आपने जाना था कि कंस्ट्रक्शन वर्कर तीन तरह एक होते हैं, साथ ही आपने यह भी जाना की एक अकुशल वर्कर कि कोई खास भूमिका नहीं रहती हैं. इसलिए कुछ स्किल्स के साथ एक बेहतर कंस्ट्रक्शन वर्कर बना जा सकता हैं.

दुसरे सभी करियर विकल्पों की तरह यहाँ भी कई सारी स्किल्स को सीखने से ही एक बेहतर और कुशल वर्कर बना जा सकता हैं.

निर्माण कार्य में कई तरह की समस्याओं का सामान भी करना पड़ सकता हैं. तो उन तमाम स्थितियों से सामना करने के लिए स्किल्स की आवश्यकता होती हैं. यहाँ कुछ स्किल्स हैं जो एक कंस्ट्रक्शन वर्कर के अन्दर होनी चाहिए.  

शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति

कंस्ट्रक्शन का काम सबसे पहले शारीरक क्षमता की मांग करता हैं. विनिर्माण स्थल या साईट पर काम करने के लिए काफी ताकत और सहन शक्ति की आवश्यकता होती है.

लगभग 50 प्रतिशत निर्माण कार्यों के लिए भारी भारोत्तोलन कार्य और शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती हैं.

निपुणता और काम में स्फूर्ति

शारीरिक शक्ति के साथ-साथ कंस्ट्रक्शन वर्कर को हाथ से आँख का समन्वय और निपुणता होनी चाहिए.

 निर्माण कार्यों में लंबे समय तक बैठने, खड़े रहने की आवश्यकता होती है। किसी भी वातावरण में दोनों हाथों और पैरों को जल्दी और सटीक रूप से स्थानांतरित करने के लिए अंग समन्वय की आवश्यकता होती है.

साईट पर काम करने के लिए उत्कृष्ट दृष्टि की आवश्यकता होती हैं. मामूली माप-तौल का तजुर्बा दृष्टि में होना चाहिए.

ट्रेंड वर्कर्स को दस्तावेजों को पढ़ने, करीब और दूरी पर विवरणों की जांच करने और उपकरणों को ठीक से संचालित करने की क्षमता होनी चाहिए.

बिल्डिंग और इन्जिनीयरिंग ज्ञान

कंस्ट्रक्शन काम के लिए जितना महत्वपूर्ण शारीरिक काम हैं उतना ही महत्वपूर्ण मानसिक काम होता हैं. एक कंस्ट्रक्शन वर्कर यदि बिल्डिंग का इन्जिनीरिंग ज्ञान हासिल कर लेता हैं, तो उसका स्तर दुसरे श्रमिकों(Construction workers) से अधिक हो जाता हैं.

एक रिसर्च में पाया गया कि भारतीय 36 प्रतिशत ठेकेदार अधूरे ज्ञान की वजह से विफल हो जाते हैं.

बिल्डिंग के लिए इन्जिनीरिंग वर्क के लिए यहाँ कुछ स्किल्स दी गयी हैं, जो एक ट्रेंड कुशल कारीगर को पता होनी चाहिए.

चिनाई, भूमि की नाप, इंटों और पत्थरों का समायोजन, सीमेंट कंक्रीट का अनुपात. पाइपलाइन फीटिंग, एचवीएसी, प्लास्टर, फ्रेमिंग, दीवार की बारीकी डिजाईन इत्यादि.  

 इनके अलावा कंस्ट्रक्शन में काम आने वाली विभिन्न मशीनों और उनमे अंतर जानना भी बहुत आवश्यक हैं.

मजबूत पठन और गणित कौशल

जब कोई कांट्रेक्टर किसी कंस्ट्रक्शन काम को हाथ में लेता हैं तो सबसे पहले उसको पूरी साईट की गणित ही लगानी होती हैं.

इस गणित में साईट पर लगने वाली सीमेंट, सरिया, रेत, मार्बल, लगने वाले मजदुर को शामिल करना होता हैं.

इस काम के लिए गणित का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक हैं.  

मेमोरी

जिन लोगों को बार-बार याद दिलाने की जरूरत होती है कि उन्हें कैसे काम करना है, वे कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में बहुत आगे नहीं बढ़ सकते हैं. निर्माण कंपनियां ऐसे कर्मचारियों की तलाश करती हैं जो स्वतंत्र रूप से और आत्मनिर्भर रूप से काम कर सकें.

चूंकि निर्माण कार्य में सटीकता की आवश्यकता होती है, इसलिए महत्वपूर्ण विवरण, प्रक्रियाओं को याद करने के लिए अच्छी मेमोरी एक आवश्यक विशेषता है.

संचार और व्यवहार

संचार और व्यवहार एक सामाजिक पहलु हैं, यदि साईट पर मजदूरों में कुशल व्यवहार नहीं हो तो प्रश्नों, निर्देशों और आपस में सम्वयन में ही काफी सारा समय खर्च हो जाता हैं, जो सही नहीं हैं.

तकनिकी के साथ दोस्ती

आने वाले कुछ वर्षों में कंस्ट्रक्शन का काम 10 प्रतिशत बढ़ जायेगा, जिसके चलते और अधिक मजदूर की आवश्कता होगी. इसलिए यहाँ स्कोप में होप की जा सकती हैं.

लेकिन आने वाले समय में कंस्ट्रक्शन शैली में कुछ तकनिकी का असर बढेगा, जिसके चलते कुशल कारीगरों की आवश्यकता होगी. तकनिकी में उपकरण और सॉफ्टवेयर शामिल हो सकते है.  

सीखने की इच्छा

अक्सर कंस्ट्रक्शन साईट पर ऐसा देखा जाता हैं कि वर्कर्स काम करने से मन चुराते हैं. इस तरह के वर्कर आजीवन एक वर्कर ही बनकर रह जाते हैं.

इसलिए निर्माण श्रमिकों में सीखने की इच्छा होनी चाहिए. निर्माण उद्योग नए तरीकों, उपकरणों और तकनीकों के साथ विकसित हो रहा है जो काम को आसान और अधिक प्रभावी बनाते हैं।

जो वर्कर्स नए रुझानों को सीखने में इच्छुक होते हैं, वे अपनी बाकी टीम को सिखाने में सक्षम होंगे. यहीं कला आम मजदुर को एक बड़ा कांट्रेक्टर बनाती हैं.

समस्या-समाधान और निर्णय लेने का कौशल

साईट पर हर एक ईट को जोड़ने से पहले एक निर्णय लेना पड़ता हैं. इसी तरह सईट पर काई समस्याओं को सुलझाने के लिए निर्णय लेने पड़ते हैं.

प्रत्येक निर्माण श्रमिक(Construction workers) को त्वरित निर्णय लेने और समाधान सोचने में सक्षम होना चाहिए.

टीम वर्क

कंस्ट्रक्शन का काम एक टीम से ही चलता हैं, जिसमें साथियों के साथ निरंतर सहयोग की आवश्यकता होती है.

कार्य स्थल पर असहमति और अनिश्चितताओं पर समय बर्बाद करने से कोई मतलब नहीं है. जो मजदुर या वर्कर सही तरीके से बात करना और टीम को मैनेज करना जानते हैं, वे समय पर परियोंजना को पूरी करने में सक्षम होते हैं.

साईट का प्रॉफिट परियोजना पर ही निर्भर करता हैं.

ग्राहक सेवा

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने कुशल कारीगर हैं. अगर वर्कर्स समय पर काम को पूरा करके कस्टमर को खुश नहीं करते हैं तो इन स्किल्स का कोई फायदा नहीं हैं.

बिल्डिंग कोड का ज्ञान

एक निर्माण कार्यकर्ता के रूप में, आपसे बिल्डिंग कोड, सेफ्टी कोड, लेबर एग्रीमेंट, ग्रीन बिल्डिंग कोड और पर्यावरण नियमों के अनुसार काम करने की उम्मीद की जाती है। यदि आप इन नियमों से परिचित हैं, तो प्रशिक्षण अधिक सुचारू रूप से चलेगा, जिससे आप टीम के लिए एक मूल्यवान संपत्ति बन सकते हैं.

तो इन स्किल्स के जरिये कोई भी एक अच्छा कंस्ट्रक्शन वर्कर बन सकता हैं. एक कंस्ट्रक्शन वर्कर आगे चलकर एक बड़ा कांट्रेक्टर बनता हैं. इसलिए इन स्टेप्स को बिलकुल मिस नहीं करना चाहिए.

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एक कुशल कारीगर या कंस्ट्रक्शन वर्कर ही आगे चलकर एक बेहतर कांट्रेक्टर बनता हैं. एक कांट्रेक्टर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे सकता हैं, जो दुसरे वर्कर्स की आजीविका का स्रोत बन सकते हैं. बड़ी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरी कर सकते हैं. 2024 तक कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री 10 प्रतिशत बढ़ने की सम्भावना हैं.

इसलिए कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री का हिस्सा बनना एक अच्छा विचार हैं.

कंस्ट्रक्शन वर्कर्स क्या करते हैं?(what do construction workers)

कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को साईट पर शारीरिक काम को अंजाम देना होता हैं. निर्माण स्थल पर मशीनों का सञ्चालन, पत्थर, सीमेंट, इट, रेत को ढोना जैसे काम शामिल हैं. इसके साथ कांट्रेक्टर के निर्देशानुसार सीमेंट रेत को अनुपात में मिलाना भी कंस्ट्रक्शन वर्कर के काम में आता हैं.

अधिकतर मजदुर को एक कंस्ट्रक्शन मजदुर बनने के लिए किसी विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं होती हैं. लेकिन वे अपनी सीखने की क्षमता के अनुसार कुशल कारीगर या कांट्रेक्टर बन सकते हैं.  

कंस्ट्रक्शन का काम एक उच्च जोखिम वाला काम हैं. निर्माण काम में कई सारी परियोजनाओं को अंजाम दिया जाता हैं. इनमे कई खतरों का सामना करना पड़ सकता हैं. खतरे जैसे – छतों से गिरना, बिना सुरक्षा वाली मशीनरी, भारी निर्माण उपकरण, इलेक्ट्रोक्यूशन, सिलिका धूल और एस्बेस्टस की चपेट में आना.

 इन खतरों को कम करने के लिए कुछ सुरक्षा गाइडलाइन बनायीं गयी हैं. नीचे आप कंस्ट्रक्शन रूल्स की बुक को पढ़ सकते हैं. यहाँ कुछ बेसिक रूल्स हैं, जो कंस्ट्रक्शन वर्कर को पता होने चाहिए.  

1. हर समय अपना पीपीई पहनें

जब वर्कर साइट में प्रवेश करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उनके पास आवश्यक पीपीई है. साईट पर जानलेवा खतरे को कम करने के लिए पीपीई महत्वपूर्ण कदम हैं.

सर पर हेट, पैर में सेफ्टी जूते पहने गए हो. हार्ड टोपी सिर को बड़े खतरे से बचा सकते हैं.  

2. बिना इंडक्शन काम शुरू न करें

प्रत्येक साइट पर वर्कर को काम सौपा जाता हैं, और हर अगले कदम पर उनको निर्देश दियें जाते हैं. ये निर्देश जब तक किसी मजदूर को नहीं मिले उनको किसी तरह का काम शुरू नहीं करना चाहिए.

एक फ्रेशर मजदुर को कंस्ट्रक्शन का कोई अनुभव नहीं होत्ता हैं.

3. खुद को या दूसरों को जोखिम में न डालें

कथनी की तुलना में करनी ज़्यादा असरदार होती है। खासकर निर्माण स्थलों पर जहां एक गलत कदम आपको नुकसान पहुंचा सकता है।

एक गलत कदम दुसरे सभी वर्कर्स की जान को जोखिम में डाल सकता हैं. वर्कर्स अपने व्यवहार के लिए खुद जिम्मेदार हैं.

4. असुरक्षित क्षेत्रों में कभी काम न करें

सुनिश्चित करें कि आपका कार्य क्षेत्र सुरक्षित है. जानिए आपके आसपास क्या हो रहा है. एचएसई के आंकड़ों के अनुसार, कंस्ट्रक्शन में होने वाली मौतों में से 14% किसी चीज के गिरने या पलटने के कारण हुईं, और 11% किसी चलती गाड़ी (2014/15-2018/19) की चपेट में आने से हुई.

ऐसा कोई स्थान जहाँ कुछ गिरने की सम्भावना हैं तो वहां प्रवेश नहीं करें. असमर्थित खाइयों में प्रवेश न करें। अगर आपको प्रवेश करना ही हैं तो सुनिश्चित करें कि आपके पास सुरक्षित उपकरण है क्रेन लोड या अन्य खतरनाक उपकरणों के नीचे काम न करें.

5. गलती की रिपोर्ट करे

यदि आपको कोई समस्या दिखाई देती है, तो उसे अनदेखा न करें, तुरंत अपने पर्यवेक्षक को इसकी सूचना दें।

प्रबंधन को समस्या से अवगत कराने के बाद ही त्वरित कार्रवाई की जा सकती है। जितनी जल्दी समस्याओं का समाधान किया जाता है, दुर्घटना होने की संभावना उतनी ही कम होती है।

6. उपकरणों के साथ कभी भी छेड़छाड़ न करें

अगर कोई उपकरण काम नहीं कर रहा है, या सही नहीं लग रहा है, तो नियम संख्या 7 का पालन करें और इसकी रिपोर्ट करें। यदि आप प्रशिक्षित हैं या करने वाले हैं, तो किसी चीज़ को ज़बरदस्ती करने का प्रयास न करें, या किसी चीज़ में परिवर्तन न करें.

खराब उपकरणों को ठीक करने का प्रयास न करें। बिना अनुमति के उपकरण से कभी भी छेड़छाड़ न करें।

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7. सही उपकरण का प्रयोग करें

किसी भी उपकरण को काम में लेने से पहले जांच लें कि उपकरण अच्छी स्थिति में है और शुरू करने से पहले उपयोग करने के लिए सुरक्षित है।

साइट पर केवल 110v उपकरण का उपयोग करें। 240v उपकरण प्रबंधन से पूर्व प्राधिकरण के बिना सख्ती से प्रतिबंधित है और इसका उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब कोई 110v विकल्प उपलब्ध न हो और अतिरिक्त सुरक्षा सावधानी बरती जाए।

8. यदि संदेह हो तो पूछें

यदि आपको नहीं सूझ रहा हैं कि क्या करना है? या किसी काम को कैसे करना हैं? या आपको लगता है कि कुछ गलत है?

तो काम बंद करो, और पूछो। जांच करने में 5 मिनट लगते हैं, लेकिन अगर चीजें गलत हो जाती हैं तो चीजों को ठीक करना इतना आसान नहीं होता है। दुखी होने से अच्छा है कि सुरक्षा रखी जाए। कंस्ट्रक्शन साइट्स पर गलतियां जान ले सकती हैं, इसे अपने साथ न होने दे.

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