Malware Meaning In Hindi – मैलवेयर क्या हैं, फैलने के कारण बचाव के तरीके

malware meaning in hindi, what is Malware Meaning In Hindi? मैलवेयर क्या होता हैं? कितने प्रकार का होता हैं? मैलवेयर किस तरह से नुकसान पहुंचाता हैं? मैलवेयर से कैसे बचे?

मैलवेयर एक तरह के सॉफ्टवेर होता हैं, जिसे malicious software या दोषपूर्ण सॉफ्टवेर कहा जाता हैं. मैलवेयर सॉफ्टवेयर का निर्माण सायबर क्रिमिनल द्वारा किये जाता हैं, जिनको हैकर कहते हैं. मैलवेयर का फार्मेशन डेटा को चोरी करने के लिए किया जाता हैं.
मैलवेयर से डेटा को चोरी करने के अनेक तरीकें हो सकते हैं. इसके लिए इसके बारें में सम्पूर्ण जाकारी लेनी होगी.
यहाँ मैं आपको बताऊंगा कि waht is malware meaning in hindi?, मैलवेयर कितने प्रकार के होते हैं? मैलवेयर कैसे फैलता हैं? और अपने सिस्टम को मैलवेयर से कैसे सुरक्षित रखा जा सकता हैं?
चलिए जानते हैं मैलवेयर के बारें में सम्पूर्ण जानकारी लेकिन शुरूआत करते हैं? मैलवेयर क्या हैं?

waht is Malware Meaning In Hindi(मैलवेयर क्या है)

मैलवेयर एक तरह एक संक्रामक सॉफ्टवेयर होते हैं जो किसी पीसी या सिस्टम को ख़राब कर देते हैं. मैलवेयर जबरदस्ती कंप्यूटर, लैपटॉप, टेबलेट या फ़ोन में गुसाए जाने वाले सॉफ्टवेयर होते हैं. मैलवेयर का निर्माण हैकर द्वारा कोडिंग या प्रोग्रामिंग करके किया जाता हैं. मैलवेयर का सही अटैक होने पर सिस्टम हैकर के वश में हो जाता हैं.
मैलवेयर को एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं. जब एनवायरनमेंट में कोई वायरस(जस्ट example कोरोना) घुस जाता हैं, तो पूरे वातावरण को गलत तरीके से प्रभावित करता हैं. ठीक इसी तरह से जब नेटवर्क लाइन में कोई वायरस प्रवेश करता हैं तो पीसी, स्मार्टफ़ोन या डिजिटल टूल्स जो नेटवर्क से जुड़े हुए हैं, बुरी तरह से प्रभावित करता हैं. जिस तरह से संक्रमण से इंसान कमजोर पड़ जाता हैं, ठीक इसी तरह से मैलवेयर से मशीने या पीसी के काम करने की दर धीमी हो जाती हैं.
ये मैलवेयर छुपके से प्रवेश करते हैं. कुछ लक्षणों के द्वारा मैलवेयर की पहचान की जा सकती हैं. लेकिन आजकल हैकर इतने शातिर हो चुके हैं, यह काम बहुत बारीकी से करते हैं इसीलिए पहले ही बचाव के कदम उठाना ठीक रहता हैं.

मैलवेयर के प्रकार

अगर मैलवेयर के प्रकार की बात करे तो टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ इनके प्रकारों में बढ़ोतरी हुई हैं. हम यहाँ दस मैलवेयर के बारें में चर्चा करेंगे.

  1. मैलवेयर वायरस

वायरस सबसे कॉमन प्रकार का मैलवेयर हैं. वायरस किसी एप्लीकेशन, सॉफ्टवेयर या सिस्टम में एक कोड के रूप में प्रवेश करते हैं.
जब इन्टरनेट सिस्टम(कंप्यूटर फ़ोन) पर फाइल डाउनलोड की जाती है, तो फाइल के कोड के साथ वायरस सिस्टम में प्रवेश करते हैं.
वायरस ठीक उसी तरीके से काम करता हैं, जिस तरह से शरीर में वायरस काम करते हैं. वायरस को काम करने के लिए या एक्टिव रहने के लिए शरीर की जरुरत पड़ती हैं.
ठीक इसी तरह सिस्टम को नुकसान पहुँचाने के लिए इन्टरनेट और होस्ट की जरुरत पड़ती हैं. जब सिस्टम पर कोई फाइल(जिसको एडिट किया जा सकता हैं) डाउनलोड की जाती हैं तो वायरस उस सिस्टम में प्रवेश कर सकते हैं.

वायरस एक तरह के मैलवेयर होते हैं, जो निम्न तरीकों से सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

वायरस कंप्यूटर फ़ोन से डॉक्यूमेंट को चुरा सकते हैं.
सिस्टम से कांटेक्ट डिटेल्स को चुरा सकते हैं.
मेल-आईडी और डेटा को चुरा सकते हैं.
DDos अटैक का कारण हो सकता हैं.(ddos अटैक सर्वर को बिजी करते हैं, जो यूजर और वेबसाइट का कनेक्शन तोड़ दते हैं).
वायरस मैलवेयर का उदहारण -: ILOVEYOU वायरस 2000. यह वायरस एक मेल के जरिये फैलाया गया था.

2. वर्म मैलवेयर

वर्म मैलवेयर वायरस की तरह ही एक मलवे होते हैं. वर्म मैलवेयर की खासियत हैं कि एक बार सिस्टम में घुसने पर यह अपने आप बढ़ता रहता हैं.
वर्म मैलवेयर दुसरे सिस्टम से फाइल को कॉपी करने पर पैदा हो सकते है. मेल के जरिए प्रवेश कर सकते हैं.
जब किसी कंप्यूटर या सिस्टम में मैलवेयर प्रवेश करता हैं, यह आटोमेटिक रूप से किसी वेबसाइट को ओपन करता हैं और इनस्टॉल करने के लिए मजबूर कर सकता हैं.

वर्म मैलवेयर आपको किस तरह से नुकसान पहुंचा सकता हैं.
मैलवेयर सिस्टम से फाइल को हटा सकता हैं या उसको एडिट कर सकता हैं.
डेटा की चोरी कर सकता हैं.
DDOS के अटैक शुरू कर सकता हैं.
बॉटनेट अटैक का कारण बन सकता हैं(बॉटनेट एक बड़े नेटवर्क पर अटैक कर सकते हैं, जिसमे कई सारे कंप्यूटर शामिल होते हैं)
वेर्म मैलवेयर के उदहारण -: SQL स्लैमर, 2003(इसने दस मिनट में हजारों Microsoft के सर्वर पर अटैक कर दिया).

  1. ट्रोजन मैलवेयर

ट्रोजन मैलवेयर, ट्रोजन हॉर्स वायरस के नाम से भी जाना जाता हैं. ट्रोजन सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन या फाइल के रूप में अटैक कर सकते हैं. जब कोई यूजर एक बार अपने सिस्टम पर इनको इनस्टॉल करता हैं तो सिस्टम पर ट्रोजन का नियंत्रण शुरू हो जाता हैं.

ट्रोजन मैलवेयर इन तरीकों से नुकसान पहुंचा सकते हैं:
सिस्टम से डेटा को डिलीट कर सकते हैं, एडिट कर सकते हैं और चोरी कर सकते हैं.
यूजर की एक्टिविटी पर नज़र रख सकते हैं.
यूजर के नेटवर्क के एक्सेस कर सकते हैं.
यूजर को सिस्टम को रिमोट कण्ट्रोल कर सकते हैं.
ट्रोजन मैलवेयर उदाहरण -: ZeuS/Zbot, 2011, इसने बैंक के सर्वर में अटैक किया था.

  1. रैंसमवेयर मैलवेयर

Ransomware Malware Meaning In Hindi? रैनसमवेयर एक एसा मैलवेयर हैं जो डेटा को हैक करने के बाद वापस छुड़ाने के लिए रिश्वत की मांग करता हैं. रैनसमवेयर गलत डाउनलोड तरीकों से डाउनलोड का परिणाम हैं.
एक बार रैनसमवेयर सिस्टम में इंस्टाल हो जाता हैं, तो हैकर एक लिए बेक डोर का निर्माण करते हैं, जो उनके काम को आसान बनाता हैं. एक बार हैकर के हाथ में यूजर की प्राइवेसी हाथ में आ जाने पर जब तक फिरौती या मांग को पूरा नहीं किया जाता हैं, तब तक छोड़ते नहीं हैं.
इसमें अक्सर क्रिप्टो-करेंसी की मांग की जाती हैं. इसलिए इसे क्रिप्टो रैनसमवेयर भी कहते हैं.
रैंसमवेयर किस तरह से नुकसान कर सकते हैं:
एन्क्रिप्शन मेसेज या प्राइवेसी को तोड़ सकते हैं.
इकोनोमिकली या आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं.

रैंसमवेयर का उदाहरण –: WannaCry, 2017: इसमें विंडो os सिस्टम पर अटैक किया था जो कॉर्पोरेट फील्ड से सम्बंधित थे.

  1. बॉट या बॉटनेट

बॉटनेट एक प्रकार का मैलवेयर है जो कोडिंग के माध्यम से डिजिटल उपकरण तक पहुंच सकता है,. इन्टरनेट से सभी लोग जुड़े हुए हैं. सभी लोग अपने फ़ोन को इन्टरनेट से जोड़ कर रखते हैं. इसे एक जाल एक रूप में समझा जा सकता हैं. इसी जाल में बोट(स्पाइडर) क्रॉल करते रहते हैं. कुछ क्रॉलर अच्छे होते हैं और कुछ बुरे. बुरे क्रॉलर किसी स्पेस या कमी की तलाश में रहते हैं. जहाँ कहीं इन क्रॉलर को ब्रोकन स्पेस मिलता हैं तो वे वहां जाकर बॉट या बॉटनेट अपना डेरा दाल देते हैं.

बॉट या बॉटनेट किस तरह से नुकसान पंहुचा सकते हैं:

DDOS अटैक कर सकते हैं.
यूजर की डिवाइस की स्क्रीन को रीड कर सकते हैं. इसके साथ यह वेबकैम और कीबोर्ड को कण्ट्रोल कर सकते हैं.

बॉट + बॉटनेट मैलवेयर का उदाहरण –: Mirai, 2016: इस बॉटनेट हमले ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स(internet of things) device को टारगेट करके हैक किया.

  1. एडवेयर मैलवेयर

जैसा की नाम से पता चलता हैं कि एडवेयर मैलवेयर ad के जरिये यूजर की डिवाइस पर अटैक कर सकता हैं. एडवेयर मैलवेयर किसी सॉफ्टवेर द्वारा जारी किये जा सकते हैं.
कुछ हैकर अपने वेब पर जबरदस्ती ad इम्प्रैशन लाने के लिए इस टेक्निक को फॉलो करते हैं. पॉप अप मेसेज के जरिये यूजर की डिवाइस में एन्टर करते हैं और ब्राउज़र को ट्रैक करते हैं. एडवेयर ब्राउज़र को ट्रैक करके डेटा को थर्ड पार्टी को सेल कर सकते हैं.
मोबाइल एडवेयर मोबाइल पर किसी एप्प को डाउनलोड करने के लिए मजबूर करते हैं.

एडवेयर किस तरह से नुकसान पहुँचा सकते हैं :

फ़ोन को vibrate के जरिये नोटिफिकेशन भेजते हैं.
मजबूरन किसी साईट पर लैंड करते हैं.
मोबाइल डेटा को थर्ड पार्टी को सेंड करते हैं.

एडवेयर उदाहरण -: फायरबॉल, 2017: 250 ब्राउज़र को एक साथ इंजेक्ट किया था.

  1. स्पाइवेयर

स्पाइसवेयर Malware Meaning In Hindi? स्पाइवेयर एक प्रकार का मैलवेयर है जो यूजर की बिना परमिशन डिवाइस में प्रवेश करता हैं. स्पाइवेयर अक्सर इन्टरनेट के जरिये डिवाइस में प्रवेश करता हैं.
यह एक तरीका का फ्रॉड हैं, जो यूजर के साथ किया जाता हैं. हैकर log-in डिटेल्स, प्राइवेसी इनफार्मेशन को कलेक्ट कर यूजर के साथ फ्रॉड किया जाता हैं.
ऊपर हमने ट्रोजन एडवेयर के बारें में बात की थी, उनको भी एक तरह से स्पाइवेयर का प्रकार माना जा सकता हैं. स्पाइवेयर भी कीबोर्ड को कण्ट्रोल कर सकता हैं.

स्पाइवेयर किस तरह से नुकसान पहुँचा सकते हैं:

यूजर की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ कर सकता हैं.
की-स्ट्रोक्स या कीबोर्ड को लॉगइन डिटेल्स डेटा को कलेक्ट कर सकता है
पहचान की चोरी या क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी में परिणाम

स्पाइवेयर उदाहरण -: डार्कहोटल, 2014: वाईफाई के जरिये और सरकार को टारगेट किया.

  1. रूटकिट्स

रूटकिट्स एक मैलवेयर हैं जो यूजर की बिना जानकारी लम्बे समय तक डिवाइस में मौजूद रहता हैं. रूटकिट्स को छुपे रुस्तम कह सकते हैं.
इस प्रकार का मैलवेयर अक्सर फ़िशिंग(सायबर सिक्यूरिटी अटैक), गलत डाउनलोड के माध्यम से फैलता है.

रूटकिट किस तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं:

यूजर की डिवाइस को कण्ट्रोल कर सकते हैं
यूजर की एक्टिविटी को कण्ट्रोल कर सकते हैं

रूटकिट्स उदाहरण -: ज़ैसिन्लो, 2012: कई सालों तक डिवाइस में छुपा रहा था और एडवेयर के जरिये हैकिंग कर रहा था.

  1. फाइललेस मैलवेयर

what is fileless Malware Meaning In Hindi? फाइललेस मैलवेयर एक एसा मैलवेयर हैं जो यूजर की गलत एक्टिविटी के कारण हो इनेबल हो जाता हैं. यह मैलवेयर पहले से ही डाउनलोड या ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोटोकॉल के जरिये मौजूद रहता हैं. यह भी एक तरह से गुप्त रहकर यूजर की एक्टिविटी को कण्ट्रोल करता हैं. इसी कारन इसको ढूंढना मुशकिल हो जाता हैं.

फाइललेस मैलवेयर किस तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं:

डेटा की चोरी कर सकते हैं.
यूजर की एक्टिविटी को कण्ट्रोल कर सकते हैं.

फाइललेस उदाहरण -: Astaroth, 2019: ब्राजील में Windows डिवाइस को कण्ट्रोल में लिया था.

  1. Malvertising(malware Advertising)

ऊपर मैने आपको एडवेयर के बारें में बताया था. एडवेयर किसी डिवाइस के यूजर को जबरदस्ती किसी वेबसाइट पर redirect करने की कोशीश करता हैं. malware-Advertising उन वेबसाइट पर लगे हुए ad होते हैं. जब कोई यूजर उन ad पर क्लिक करते हैं तो Malvertising का शिकार हो जाते हैं.
इस तरह से एडवेयर और Malvertising दोनों मिलकर काम करते हैं.

Malvertising किस तरह से नुकसान पहुँचा सकते हैं.
Malvertising डेटा चोरी कर सकते हैं.
क्रेडिट कार्ड में फ्रॉड कर सकते हैं.

Malvertising का उदाहरण –: मीडिया, 2016: मीडिया की साइट्स पर जबरदस्ती अटैक किया.

मैलवेयर कैसे फैलता है?

  • ऊपर मैने आपको दस अलग अलग तरीकों में मैलवेयर के बारें में बताया. चलिए अब जानते हैं कि मैलवेयर कैसे इंजेक्ट किया जाता है? या हैकर कैसे अटैक करते हैं? और मैलवेयर कैसे डिलीवर किया जाता है? जब कभी कोई यूजर इन्टरनेट से कनेक्ट हो जाता हैं, तो वह असुरक्षित हो जाता हैं. हैकर मुख्य दो तरीकों से सिस्टम तक पहुँच सकते हैं. पहला – मेल और दूसरा इन्टरनेट.
  • मैलवेयर इन्टरनेट के किसी भी कोने से प्रवेश कर सकता हैं. मैलवेयर यूजर की एक्टिविटी के जरिये ही डिवाइस में प्रवेश करता हैं. इसके अलावा मैलवेयर को किसी दुसरे डिवाइस से लिया जा सकता हैं, जो इन्टरनेट के जरिये किसी तरह से जुड़ा हुआ हैं.
  • गलत या क्रैक एप्प को इनस्टॉल करने से भी हैकर और मैलवेयर का अटैक हो सकता हैं.
  • ई-मेल मैलवेयर के इंजेक्ट होने का मुख्य कारण हैं. स्पैम फोल्डर में रखी हुई मेल मैलवेयर को आमंत्रित कर सकती हैं.
  • अन-ऑफिसियल वेबसाइट भी मैलवेयर को इंजेक्ट कर सकती हैं.
  • नेटवर्क में किसी रूप से अगर कही कमी दिखती हैं तो मैलवेयर अटैक कर देते हैं. हैकर इसके लिए नेटवर्क में किसी छेद की तलाश करते हैं.

मैलवेयर की पहचान कैसे करे?

  • कुछ मैलवेयर की पहचान करना मुश्किल हैं, लेकिन कुछ तरीकों और गतिविधियों से महसूस किया जा सकता हैं कि, मैलवेयर का अटैक हुआ हैं. यहाँ मैं आपको कुछ पॉइंट्स बता रहा हूँ, जिनसे जरिये मैलवेयर का पता लगा सकते हैं.
  • सिस्टम की स्पीड सुस्त, इंटीरियर डेमेज, या सिस्टम का आटोमेटिक होना, स्पेस का फुल हो जाना, आटोमेटिक ईमेल का सेंड होना, या पॉप-अप मेसेज का लोड होना.
  • जब मैलवेयर किसी सिस्टम पर अटैक करता हैं, तो ऑपरेटिंग सिस्टम की स्पीड कम हो जाती हैं. मैलवेयर के अटैक के बाद सिस्टम ऑफलाइन हो या इन्टरनेट से जुड़ा होने की स्थिति में सिस्टम को प्रभावित कर सकता हैं.
  • अगर बिना हाई-प्रोफोर्मांस-प्रोग्राम को चलाये CPU की स्पीड बहुत अधिक हो सकती हैं, तो भी यह मैलवेयर के अटैक का संकेत हो सकता हैं. CPU कूलर की स्पीड बॉटनेट से जुड़े होने का संकेत हो सकता हैं.
  • डेस्कटॉप, स्मार्टफ़ोन की स्क्रीन पर बहुत ज्यादा AD दीखते हैं, तो समझ लिजिए की एडवेयर का हमला हो चूका हैं. या बार बार पॉप अप मेसेज या नोटिफिकेशन भेजता हैं तो यह भी एडवेयर का कारण हो सकता हैं.
  • अगर कोई AD फ्री में रिवॉर्ड देने को कहता हैं, तो यह बहुत भारी पड़ सकता हैं. फ्री रिवॉर्ड AD मैलवेयर का ही कारण होता हैं.
  • डेस्कटॉप की स्क्रीन पर एक रेड ब्लू लाइन स्क्रेच करती हुई दिखाई देती हैं, तो यह भी मैलवेयर के अटैक का कारण हो सकता हैं.
  • अगर अचानक इन्टरनेट की स्पीड बहुत अधिक बढ़ जाये तो यह एक ट्रोजन के अटैक का कारण हो सकता हैं.
  • ट्रोजन सर्वर के द्वारा अटैक करता हैं, क्योंकि इसके द्वारा ही रैंसमवेयर मैलवेयर जल्दी से कोई एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर को डाउनलोड कर सकता हैं.
  • इन्टरनेट के खर्च होने की स्पीड बढ़ जाये तो या बैकग्राउंड में डाउनलोड होने वाले एप्लीकेशन के कारण होता हैं. यह एप्लीकेशन मैलवेयर के कारण डाउनलोड होते हैं.
  • ब्राउज़र की सेटिंग बदल जाती हैं, या डेस्कटॉप का होम-पेज बदल जाता हैं या नए टूलबार, एक्सटेंशन या प्लगइन्स इंस्टॉल होते हैं, तो यह किसी प्रकार का मैलवेयर अटैक हो सकता है. इसका कारण अवैध एप्लीकेशन डाउनलोड करना हो सकता हैं.
  • सिस्टम में इंस्टाल एंटी-वायरस काम करना बंद कर देते हैं और आप इसको चालू नहीं कर सकते हैं तो यह फाइललेस मैलवेयर के अटैक का कारण हो सकता हैं.
  • अगर कोई यूजर अपने सिस्टम की कुछ फाइल्स को एक्सेस नहीं कर पाता हैं, तो रैंसमवेयर अटैक का कारण हो सकता है.

मैलवेयर के नुकसान क्या हैं?

  • मैलवेयर किसी भी सिस्टम पर अटैक कर सकता हैं, मैलवेयर के अटैक होने का अर्थ हैं कि वह सब उस सिस्टम को हैंडल कर सकता हैं या जानकरी को चुरा सकता हैं.
  • मैलवेयर कंप्यूटर और नेटवर्क को पूरी तरह से खुद के कण्ट्रोल में ले सकते हैं.
  • ट्रोजन मैलवेयर सिस्टम से फाइल्स को डिलीट भी कर सकता हैं.
  • मैलवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम को फ़ैल कर सकता हैं.
  • एंटीवायरस या एंटी मैलवेयर के बावजूद भी मैलवेयर सिस्टम पर मौजूद रह सकता हैं, या प्रवेश कर सकता हैं.नेटवर्क के माध्यम से जब किसी वेबसाइट में मैलवेयर प्रवेश करता हैं तो बोट
  • वेबसाइट के ट्रैफिक में भारी वर्द्धि हो जाती हैं. यह वेबसाइट और यूजर दोनों के लिए खतरा पैदा कर सकता हैं.
  • मैलवेयर सिस्टम में मौजूद हार्डवेयर को फ़ैल कर सकता हैं. कभी कभी यह इतना खतरनाक हो जाता हैं कि सिस्टम को बूट या रिस्टोर करने में भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं.
  • मैलवेयर का सबसे बड़ा नुकसान यह हैं कि यूजर की सारी जानकारी हो हैक कर सकता हैं, प्राइवेसी को पब्लिक कर सकता हैं, डेटा को चुरा कर बेच सकता हैं.
  • मैलवेयर सरकार, बिजनेस और बैंक के सर्वर में घुस कर अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता हैं.
  • अभी आप मैलवेयर के बारें में बहुत कुछ जान चुके होंगे, चलिए अब जानते हैं कि मैलवेयर से कैसे बचा जाना चाहिए और कैसे हटाया जाना चाहिए या मैलवेयर को कैसे रोका जाना चाहिए.

मैलवेयर कैसे कैसे बचे?

  • चलिए अब हम जानते हैं कि मैलवेयर से कैसे बचे और कैसे उनको सिस्टम से ख़त्म किया जाना चाहिए. मैलवेयर का पता चलने पर सबसे पहले यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए की मैलवेयर के अटैक का कारण क्या हैं?
  • मैलवेयर से बचने के लिए एक से अधिक डिवाइस का इस्तेमाल करें, जिनमे अलग अलग खातों का इस्तेमाल करें. डॉक्यूमेंट, बायोमेट्रिक, कोड, स्कैन फाइल को मुख्य सिस्टम में नहीं रखे. मुख्य सिस्टम से मेरा तात्पर्य उस डिवाइस से हैं जिसका उपयोग आम कामों के लिए किया जाता हैं.
  • डबल वेरिफिकेशन का प्रयोग करें. गूगल डबल VERFICATION या OTP वेरिफिकेशन का आप्शन देता हैं. ऐसा करने से कोई आसानी से लोग-इन नहीं किया जा सकता हैं.
  • गलत साइट्स में प्रवेश करने से बचे, किसी साईट पर लोग-इन या अकाउंट बनाने से पहले दो तीन बार सोचे. अपनी प्राइवेसी या लोग-इन के वक्त सोच समझ कर ही परमिशन दे.
  • गलत AD और लालच देने वाले साईट पर कभी भी प्रवेश नहीं करें.
  • अपने सिस्टम को हमेशा अपडेट रखे. एप्लीकेशन, सॉफ्टवेयर को ऑटो अपडेट करे और नए अपडेट को इनस्टॉल करते रहे.
  • अपने लिए एक अच्छा सा एंटी-वायरस ले. एंटी-वायरस आपकी डिवाइस पर होने वाले खतरों के खिलाफ निगरानी रखता हैं.
  • फाइल्स सिस्टम या फोन का बैकअप जरूर लें. बैकअप लेने से सिस्टम को रिस्टोर के बाद सुरक्षित फाइल को वापस इनस्टॉल किया जा सकता हैं.

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कंप्यूटर या फ़ोन से मैलवेयर कैसे निकाले?

एक बार मालूम पड़ जाने पर सिस्टम को इन्टरनेट से डिस-कनेक्ट करना चाहिए, और सेफ मोड में इंटर करना चाहिए. सेफ मोड में फ़ोन की डिफ़ॉल्ट सेटिंग से और कंप्यूटर के Select Virus & threat protection > Scan options में जाकर सिस्टम को स्कैन करें.
स्कैन होने पर अगर कोई मैलवेयर डिटेक्ट हो तो उसको डिलीट किया जाना चाहिए. यहाँ एक सम्भावना हो सकती हैं, कि आप अपने सिस्टम से वायरस या मैलवेयर डिलीट करने में असर्मथ होते हैं. तो आपको एक एंटी वायरस को खरीद लेना चाहिए.
मैलवेयर बहुत स्ट्रोंग होते हैं, इसलिए अपने सिस्टम में एक एंटी-मैलवेयर जरूर रखना चाहिए.

चलिए अब मैलवेयर(Malware Meaning In Hindi) के बारें में कुछ कॉमन प्रशन के बारें में जानते हैं.

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कंप्यूटर मैलवेयर क्या हैं?

मैलवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर हैं, जो किसी कंप्यूटर या सिस्टम को नुकसान पहुँचाने एक लिए बनाया जाता हैं. यह सॉफ्टवेयर कोड हो सकता हैं, या कोई क्रैक सॉफ्टवेयर हो सकता हैं.
सामान्य मैलवेयर मुख्य तौर पर वायरस, वर्म्स, ट्रोजन वायरस, स्पाईवेयर, एडवेयर और रैंसमवेयर प्रकार के होते हैं.

एंटी मालवेयर का क्या अर्थ है?

एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर (AV सॉफ़्टवेयर), जिसे एंटी-मैलवेयर के रूप में भी जाना जाता है, एक कंप्यूटर या स्मार्टफ़ोन एप्लीकेशन प्रोग्राम है जिसका उपयोग मैलवेयर को रोकने, पता लगाने और हटाने के लिए किया जाता है.

एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर में क्या अंतर है?

एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर दोनों में मुख्य अंतर यह हैं कि एंटी मैलवेयर नए मैलवेयर की खोज करता हैं, और उनको नष्ट कर सकता हैं जबकि एंटीवायरस पहले से मौजूद वायरस और मैलवेयर को ख़त्म करने का काम करता हैं. अगर कोई नया वायरस पहली बार लांच होता हैं तो एंटीवायरस उसको डिटेक्ट नहीं कर पायेगा, लेकिन ऊपर बताये गए वायरस को एंटीवायरस डिटेक्ट कर सकता हैं. इसलिए अगर अपने सिस्टम को पूरी तरह से सुरक्षित करना हो तो एंटी वायरस और एंटी मैलवेयर को दोनों को साथ में उपयोग करना चाहिये.

यदि आपके पीसी में मैलवेयर है तो आप क्या करते हैं?

अपने डेस्कटॉप में किसी वायरस स्कैनर को डाउनलोड करें. इसके बाद अपने सिस्टम को इन्टरनेट से डिसकनेक्ट करें. सेफ मोड को ऑन करें. टेम्प फाइल को डिलीट करें.
स्कैनर को रन करें, मैलवेयर को डिलीट करें, या डिलीट करने एक लिए किसी एंटी वायरस इनस्टॉल करें.

मैलवेयर और फ़िशिंग में क्या अंतर हैं?

फ़िशिंग एक तरह से एक वेबसाइट या एप्लीकेशन होती हैं, जो यूजर को एक अपनी जानकारी भरने के लिए कहती हैं. फ़िशिंग में यूजर उस वेबसाइट पर भरोसा कर लेता हैं और अपनी जानकारी भर देता हैं, जबकि मैलवेयर चोरी से छुपकर सिस्टम में प्रवेश करते हैं.

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आपने क्या सीखा “Malware Meaning In Hindi”…

Malware Meaning In Hindi – मैलवेयर क्या हैं, फैलने के कारण बचाव के तरीके और कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारें मे मैंने बताया हैं, अगर आपको एंटीवायरस खरीदना हैं और आप कोई सुझाव चाहते हैं, तो कमेंट कर सकते हैं.

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