तापीय प्रदूषण क्या है – (thermal pollution) कारण, प्रभाव, समाधान सहित

तापीय प्रदूषण(tapiya pradushan) – Thermal Pollution

तापीय प्रदूषण(tapiya pradushan) नए युग की बढती हुई समस्या हैं. तापीय प्रदूषण(thermal pollution hindi) हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के कुछ जालों को नष्ट कर सकता हैं और जानवरों की कुछ प्रजातियों को खतरे में डाल सकता हैं.
तापीय घटना या अधिक तापमान से बचने के लिए मनुष्य प्रजाति खुद के लिए कोई हल निकाल सकती हैं, इसके लिए पंखा को बढ़ा सकती हैं, ए. सी. को हाई कर सकता हैं. लेकिन उनका क्या होगा जो तालाबों में रहते हैं, और जब अचानक से किसी फेक्ट्री से मशीनों को ठंडा करने के लिए काम में लिया गया पानी वहां छोड़ दिया जाये, तो उनकी क्या हालत होती होंगी.

इसलिए थर्मल प्रदूषण आधुनिक समाज और आने वाले समय में बहुत घातक और चिंता-शील विषय हैं. जब कभी तापीय प्रदूषण की बात आती हैं तो अक्सर इस विषय की उपेक्षा की जाती हैं. तापीय प्रदूषण(thermal pollution hindi) से पहले कार्बन उत्सर्जन, व्यक्तिगत प्रदूषण और अपशिष्ट, और कई अन्य बदलते कारकों के बारे में सोचेंगे, लेकिन इस विषय पर चर्चा नहीं करेंगे.
तापीय प्रदुषण से सम्बन्धित इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगा कि तापीय प्रदूषण क्या होता हैं?(what is thermal pollution), किन कारणों की वजह से यह फैलता हैं? इसके मानव समाज और पारिस्थितिकी पर क्या प्रभाव पड़ता हैं, इसको कैसे कम किया जाये. इन सभी विषयों की चर्चा आगे करेंगे. फिलहाल के लिए आप यह जान लीजिये कि तापीय प्रदूषण क्या होता हैं?(thermal pollution in hindi)

थर्मल प्रदूषण क्या है(what is thermal pollution)?

थर्मल प्रदूषण की परिभाषा – जब कोई उद्योग या मानव संगठन किसी जल स्रोत से जल को लेकर अपने काम के अनुसार उसको ठंडा या गर्म करके वापस उसी जल स्रोत या अन्य जल स्रोत में छोड़ देता हैं तो उस जल स्रोत का तापमान स्तर विचलित हो जाता हैं और थर्मल प्रदूषण की समस्या पैदा हो जाती हैं, इसी को तापीय प्रदूषण कहा जाता हैं.

अक्सर उद्योगों के लिए काम में लिया जाने वाला पानी प्राकृतिक जल स्रोतों से आता हैं. इसलिए जब इस पानी को वापस जल स्रोतों में छोड़ा जाता हैं तो उस पानी का ऑक्सीजन स्तर बिगड़ जाता हैं या गिर जाता हैं.
इस प्रकार ऑक्सीजन स्तर का गिरने और अचानक से तापमान में वृद्धि होने से स्थानीय पारिस्थतिकी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है.
thermal pollution meaning in hindi – thermal pollution को तापीय प्रदूषण या उष्मीय प्रदूषण भी कहा जाता हैं.

तापीय प्रदूषण के कारण

ऊष्मीय प्रदूषण के कारण – थर्मल प्रदूषण तब होता हैं जब प्राकृतिक जल स्रोत के तापमान में अचानक से वृद्धि या कमी होती हैं. आमतौर पर जब कोई पौधा या जीव इस प्रकार का जल ग्रहण करता हैं तो उसकी प्राकृतिक गति या विकास अवरोधित सकता हैं.
प्राकृतिक स्रोतों में इस प्रकार का ताप परिवर्तन मशीनों के शीतलन के लिए काम में लिए जाने वाले जल से होता हैं.  
यहाँ पर तापीय प्रदूषण के प्रमुख कारण दिए गए हैं जिनसे यह फैलता है.

  1. मशीनों के शीतलन के लिए

औधोगिक इकाइयों में लगातार मशीनों की गति से उनका तापमान बढ़ जाता हैं. कुछ मशीनों को सदाबहार जल निकायों के अन्दर ही स्थापित किया जाता हैं. इसके लिए बहुत अधिक मात्रा जल की आवश्कयता होती हैं.
कुछ उद्योग जैसे बिजली, विनिर्माण और औद्योगिक संयंत्रों में शीतलक एजेंट के रूप में पानी का बखूबी इस्तेमाल किया जाता हैं. उत्पादन और विनिर्माण पर आधारित औधोगिक इकाइयाँ ही तापीय प्रदुषण के सबसे बड़े स्रोत में से एक हैं.
मशीनों के बड़े बड़े प्लांट अपने आस पास के स्रोतों से पानी को खींचते हैं, एक बार काम में लेने के पश्चात् इस पानी का तापमान बढ़ जाता हैं, तो पुन: इसको उन जल निकायों में छोड़ दिया जाता हैं.
जब उच्च तापमान का पानी प्राकृतिक निकायों में प्रवेश करता हैं तो, यह एक तापीय प्रदूषण का कारण बनता हैं.

  1. मृदा अपरदन

पानी की सतह जितनी अधिक मात्रा में होगी, सूर्य की किरणों को उतना ही अधिक मात्र में ग्रहण करेगी. इसलिए मृदा अपरदन एक अन्य प्रमुख कारक है जो तापीय प्रदूषण का कारण बनता है. लगातार मिट्टी के कटाव के कारण जल निकाय का विस्तार हो जाता हैं.
मिटटी के कटने के कारण जल निकायों के उपरी सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता हैं. जिससे उनका सूर्य के प्रकाश के साथ संपर्क बढ़ जाता हैं.
उच्च तापमान जलीय बायोम के लिए घातक साबित हो सकता है क्योंकि यह अवायवीय स्थितियों(ऑक्सीजन रहित) को जन्म दे सकता है.

  1. वनों की कटाई

घने वन में स्थित पेड़-पौधे सेशे सूर्य से आने वाली रौशनी को डायरेक्ट जल स्रोतों में गिरने से रोकती हैं. जब वनों की कटाई होती है, तो ये जल निकाय सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं, इस प्रकार अधिक गर्मी को अवशोषित करते हैं और इसका तापमान बढ़ने लगता हैं. वनों की कटाई कई मुद्दो पर घातक हैं, वन-विनाश वायु-प्रदूषण, जल प्रदूषण, जरीन हाउस गैसों की उच्च सांद्रता और ग्लोबल वार्मिग के लिए भी जिम्मेदार हैं.
 

  1. गर्म सतहों से अपवाह

शहरों और औधोगिक इकाइयों से जाने वाला गन्दा कचरा एक सीवर सिस्टम के माध्यम या पाइप लाइन से जाता हैं. पाइप लाइन अक्सर सड़कों के नीचे या पार्किंग स्थलों के आस पास पाई जाती हैं.
गर्मी के मौसम के दौरान, फुटपाथ काफी गर्म हो जाता है. ब्लैक कलर की सड़कें अक्सर ज्यादा उर्जा को शोषित करती हैं. सडको के आस पास की भूमि बहुत अधिक गर्म हो जाती हैं.
इससे वहां बहने वाली पाइप लाइन भी ऊष्मा का अवशोषण करने लगती हैं, और बहने वाले अपवाह या सीवर सिस्टम को गर्म करता हैं.

  1. प्राकृतिक कारण
  1. महासागरों और समुद्रों के नीचे ज्वालामुखी, भू-तापीय वेंट और गर्म झरने जैसे प्राकृतिक कारण जल निकायों के तापमान को बढ़ाने के लिए गर्म लावा को ट्रिगर कर सकते हैं.
  2. कभी कभी तड़ित बिजली महासागरों या अन्य जल निकायों में भारी मात्रा में गर्मी भी ला सकती है. इस कारण से सम्पूर्ण जल निकाय गर्म हो सकता हैं.
  1. प्रतिधारण तालाब

प्रतिधारण तालाब थर्मल शॉक का एक अन्य कारण हो सकता है. अक्सर गांवों के इलाकों में जल निकायों के छोटे और उथले प्रकार के स्रोत होते हैं, इनकी गहराई कम होती हैं. ये सूर्य से काफी ऊर्जा को अवशोषित कर सकते हैं.

जब उस पानी को सीधे किसी नदी, झील या खाड़ी में पंप किया जाता है, तो इससे तापमान में वृद्धि होती है.
इसको इस प्रकार से समझा जा सकता हैं – जब किसी गर्म पानी से भरे टब में कोई गर्म पानी से भरा घड़ा डाला जाता हैं तो उसका तापमान कुछ डीग्री बढ़ जाता हैं.

  1. घरेलू सीवेज

दैनिक कार्यों जैसे नहाने के लिए हीटर का पानी या घरेलू सीवेज के कचरे को उपचार किए बिना नदियों, झीलों, नहरों या नालों में छोड़ दिया जाता है.
इस प्रकार प्राप्त पानी के तापमान में वृद्धि के साथ, घुलित ऑक्सीजन (डीओ) कम हो जाती है, और ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है, जिससे अवायवीय(वायु की कमी) स्थिति पैदा हो जाती है.

थर्मल प्रदूषण के प्रभाव(tapiya praduushan)

हमारा पर्यावरण तापमान के प्रति अत्यधिक सवेंदनशील हैं. मात्र एक डिग्री का तापमान बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता हैं. हालाँकि प्राकृतिक कारण से जब पर्यावरण या पारिस्थितिकी प्रभावित होता हैं तो प्रकृति स्वत: ही उसका संतुलन कर देती हैं.
लेकिन जब बात आती हैं मानवीय कारको की तब मानव का प्रत्येक छोटा कदम भी बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता हैं.
जल, वायु, भूमि प्रदूषण को बढ़ाने के लिए मानव सबसे बड़ा प्रदूषक हैं.
जब तापीय प्रदूषण के प्रभावों की बात आती है तो सभी प्रकार की विचारधाराएँ नकारात्मक पक्ष की तरफ झुकती हैं.
तापीय प्रदूषण से मानव समाज भी प्रभावित होता हैं और इससे ज्यादा जलीय पारिस्थतिकी तंत्र प्रभावित होता हैं. क्योंकि तापीय प्रदूषण का सीधा संबंध जल स्रोतों से होता हैं.
यहाँ पर तापीय प्रदूषण के कुछ प्रभाव दिए गए हैं, जो मानवीय क्रियाओं के फलस्वरूप पनपे हैं.

  1. डीओ (घुलित ऑक्सीजन) के स्तर में कमी

गर्म तापमान का पानी डीओ (डिसोल्व्ड ऑक्सीजन) के स्तर को कम कर देता है. गर्म पानी में ठंडे पानी की तुलना में अपेक्षाकृत कम ऑक्सीजन होती है. डीओ में कमी पौधों और जानवरों जैसे मछली, उभयचर और कोपपोड के लिए घुटन पैदा कर सकती है, जो अवायवीय स्थितियों को जन्म दे सकती है.
जब पानी के तापमान में वृद्धि होती हैं तो उस जल स्रोत की सतह पर शैवाल पैदा हो जाता हैं, इसकी मात्र बहुत ही अधिक होती हैं. लम्बी अवधि तक रहने पर यह शैवाल पानी से पूरी ऑक्सीजन को सोख लेती हैं.
इसके परिणामस्वरूप दुसरे जीवों के लिए ऑक्सीजन की हो जाती हैं.

  1. विषाक्त पदार्थों में वृद्धि

उद्योगों के गर्म जल के साथ साथ बहुत सारे हानिकारक रसायन भी जल स्रोतों में शामिल हो जाते हैं. इन हानिकारक रसायन में आयन, केमिकल, विकिरण हो सकती हैं. जो स्थानीय पारिस्थितिकी पर कठोर और असहनीय प्रभाव डाल सकते हैं और उन्हें विभिन्न रोगों के लिए अतिसंवेदनशील बना सकते हैं.

  1. जैव विविधता की हानि

पानी में जैविक गतिविधि में लघु परिवर्तन से जैव विविधता का महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है. पर्यावरण में परिवर्तन के कारण जीवों की कुछ प्रजातियाँ अपना आधार किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर सकती हैं, जबकि बड़ी संख्या में ऐसी प्रजातियाँ हो सकती हैं जो गर्म पानी के कारण स्थानांतरित हो सकती हैं.
कुछ प्रजातियाँ तापमान को सहन करने में असमर्थ होती हैं. जिसके कारण वह प्रजाति सदैव के लिए समाप्त हो सकती हैं.

  1. पारिस्थितिक प्रभाव

अचानक थर्मल शॉक के परिणामस्वरूप मछलियों, कीड़ों, पौधों या उभयचरों की सामूहिक हत्या हो सकती है. गर्म पानी कुछ प्रजातियों के लिए अनुकूल साबित हो सकता है, जबकि अन्य प्रजातियों के लिए यह घातक हो सकता है.  
कई जलीय प्रजातियां छोटे तापमान परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होती हैं जैसे कि एक डिग्री सेल्सियस जो जीवों के चयापचय में महत्वपूर्ण परिवर्तन और अन्य प्रतिकूल सेलुलर जीव विज्ञान प्रभावों का कारण बन सकता है.

  1. प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकता हैं

जलीय जीव या पारिस्थितिकी का कोई अन्य अंग जिसको प्रजनन के लिए एक उपयुक्त वातावरण होना चाहिए. एसी स्थिति में तापीय स्थिति समुद्री वन्यजीवों के प्रजनन में एक महत्वपूर्ण रुकावट बन सकता हैं. इस स्थिति से पैदा हुए नये जीव भी अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं, इसमें कुछ दोष हो सकते हैं जो आने वाली अनेक पीढ़ियों क प्रभावित कर सकते हैं.
कुछ अंडे देने वाले जीव जिनके अंडे की हीट कैपेसिटी बढ़ जाने पर जल्दी ही वे फूट जाते हैं, और एक अविकसित रूप में वातावरण में आ जाते हैं.

  1. एंजाइम दर को बढ़ाता है

ऊष्मीय या तापीय प्रदूषण जीवों की चयापचय दर को बढ़ाता है. गर्म वातावरण सभी जीवों के लिए उपयुक्त नहीं रहता हैं. जब वातावरण में कुछ परिवर्तन आता हैं तो कुछ जीव आवश्यकता से अधिक भोजन का निर्माण और उपभोग करने लगते हैं. इसके कारण प्राकृतिक गति बाधित होती हैं.

  1. प्रवास

गर्म पानी जीवों की विशेष प्रजातियों को एक उपयुक्त वातावरण में स्थानांतरित करने का कारण बन सकता है. जब किसी किसी जीव को महसुस होगा की कोई वातावरण उसकी सेहत के लिए उपयुक्त नहीं हैं, तो वह अपने मूल स्थान को छोड़कर वहां जा सकता हैं उसकी आवश्यकता पूरी हो सके.
इससे उन प्रजातियों को नुकसान हो सकता है जो अपने दैनिक भोजन के लिए उन पर निर्भर हैं क्योंकि उनकी खाद्य श्रृंखला एक दुसरे पर बंधित होती है.

थर्मल प्रदूषण के समाधान

भविष्य में जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके हानिकारक प्रभावों के लिए तापीय प्रदूषण के समाधान की आवश्यकता है. यहाँ पर तापीय प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ तरीके दिए गए हैं.

  1. शहरी सीवेज का उचित निपटन

शहरों से आने वाले सीवेज को पहले किसी दूसरे स्रोत में इक्कठा करना चाहिए, एक बार जब उनका तापमान नियंत्रण में आ जाये तो फिर उनको आगे प्रवाहित किया जान चाहिए.

  1. शीतलक तालाब

अगर निकलने वाला जल ठंडा है तो उसके लिए लम्बी सतह वाले तालाब बनाये जाने चाहिए, ताकि वह सूर्य की गर्मी से शीघ्र से शीघ्र गर्म हो सके. और यदि जल गर्म है तो छायादार जगह पर गहराई में तालाब बनाये जाने चाहिए, भूमि द्वारा या वाष्पीकरण से इस जल का शीतलन हो सकें.

  1. कूलिंग टावर्स

जल स्रोतों से पानी को ठंडा करने के लिए उपयोग करने के बाद, इसे बाद में कंडेनसर से गुजरने के बाद जल निकाय में वापस कर दिया जाता है, जिसे शीतलन प्रक्रिया कहा जाता है.
इसलिए कूलिंग टावर डिजाइन किए जाते हैं.
डी-शीतलन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए और पानी के तापमान को नियंत्रित करने के लिए कूलिंग टावरों का उपयोग मुख्य रूप से ऊष्मीय प्रदूषण की समस्याओं को खत्म करने के लिए अपशिष्ट गर्मी को नष्ट करने के लिए किया जाता है.

  1. कृत्रिम झील

कृत्रिम झीलें मानव निर्मित जल निकाय होते हैं जो एक संभावित विकल्प प्रदान करते हैं. गर्म किए गए अपशिष्टों को एक छोर पर झील में छोड़ा जा सकता है, और दूसरे छोर से ठंडा करने के उद्देश्य से पानी निकाला जा सकता है. गर्मी अंततः वाष्पीकरण के माध्यम से समाप्त हो जाती है.

  1. जल पुनर्चक्रण

उद्योगों से निकलने वाला जल पुनचक्रित हो सकता हैं. यदि उद्योग के लिए जल स्रोत से पानी लिया जाये तो वापस जल को पुनचक्रित वापस काम में लिया जाना चाहिए या उसको कृत्रिम जल स्रोतों में डाला जाना चाहिए. जब जल नार्मल तापमान पर स्थिर हो जाये तब उनको पुन जल स्रोतों में छोड़ा जाना चाहिए. यह एक कदम उद्योगपतियों द्वारा उठाया जाना चाहिए. यह एक कदम पारिस्थितिकी में बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता हैं.

  1. अन्य अनुप्रयोग

समुद्र में उतरने वाले राकेट या मिशाइल का समाधान भी निकालने की जरुरत हैं. बिजली उत्पादन में काम में आने वाला जल भी गर्म हो जाता हैं, उसको भी उपचारित किया जाना चाहिए.

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पर्यावरण के सामने सैंकड़ों समस्याएं हैं, इनमे से तापीय प्रदूषण भी एक हैं. कोई भी समस्या तब तक नही सुलझ सकती जब तक की वहां के प्रत्येक लोग इसमें भागीदार नहीं बनते हैं. आप को भी अगर कहीं मौका मिले तो इन विषयों पर खुलकर अपने विचार रखे. लोगो को जागरूक बनाइये पर शुरुआत खुद से कीजिये.

तापीय प्रदूषण से सम्बन्धित इस पोस्ट में हमने आपके साथ सभी विषयों जैसे इसके कारण, प्रभाव और समाधान के बारे में चर्चा की हैं. आप अपने विचार को कमेंट बॉक्स में दर्शा सकते हैं.

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