jaisi karni waisi bharni story in hindi (5 best story)

इस आर्टिकल में आप को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पांच जैसी करनी वैसी भरनी कहानी jaisi karni waisi bharni story in hindi पढने को मिलेगी. इस पोस्ट को पुरे आनंद के साथ और मजे के साथ पढ़े. हम बच्चो के लिए प्रेरणादायक कहानीयां (जैसी करनी वैसी भरनी) लेकर आए.

jaisi karni waisi bharni story in hindi 1 – लोमड़ी और बगुला

एक बार की बात है. जंगल में एक लोमड़ी किसी शिकारी के जाल में फंस गई. वह दर्द से कराह रही थी. उसने अपने बहुत कोशिश की लेकिन उसे और भी ज्यादा दर्द हो रहा था. लोमड़ी की चीखती हुई आवाज पास में ही एक तालाब में एक बगुले को सुनाई दी. बगुला उड़ते हुए उसके पास पहुंचा. और अपनी लम्बी चोंच से बार बार जाल पर मारकर तोड़ दिया.

इससे लोमड़ी शिकारी जाल से आजाद हो गई. लोमड़ी ने उस बगुले को धन्यवाद किया. और बगुले से बोली, तुमने आज मेरी जान बचाई है. दोस्त क्या तुम आज शाम को मेरे घर पर खाना खाने आओगे. बगुले ने जवाब दिया हाँ दोस्त जरुर में आज शाम को तुम्हारे घर आ जाऊंगा.

शाम हुई. बगुला लोमड़ी के घर के रास्ते चल पड़ा. थोड़ी देर बाद वह लोमड़ी के घर पहुँच गया. लोमड़ी ने बगुले का अभिवादन किया और बैठाया. और बोला कि, दोस्त तुम यहाँ बैठो में खाना लेकर आता हूँ. अब आपको तो पता है. कि लोमड़ी बड़ी चालक होती है. उस लोमड़ी ने आज बगुले के साथ मजाक करने की सोची. लोमड़ी ने जानबुझकर दोनों के लिए खाना थाली में परोसा.

लोमड़ी ने तो थाली में रखा खाना खा लिया. लेकिन भला बगुला कैसे थाली में खाना खाता. उस शाम बिचारा बगुला भूखा ही रह गया. बगुला लोमड़ी के किए पर शांत रहा. और लोमड़ी को बोला दोस्त तुमने बहुत अच्छी तरह से मेहमाननवाजी की है. कृपया मुझे भी मेहमाननवाजी का मौका दीजिए.

इस तरह बगुले ने भी लोमड़ी को दावत पर बुलाया. लोमड़ी बड़ी खुश हुई. लोमड़ी रास्ते में सोचने लगी आज तो डबल डबल दावत खाने को मिल रहा है क्या बात है. आज तो मजा ही आ गया. लोमड़ी बगुले के पहुंची. बगुले ने उसी तरह लोमड़ी का अभिवादन किया और बैठाया. और बोला दोस्त तुम यही बैठो में खाना लगाता हूँ. बगुले ने लोमड़ी से अपना बदला लेने की सोची. उसने भी जानबुझकर दोनों के लिए एक सुराही में खाना लगाया.

भाई बगुले ने तो आसानी से सुराही में चोंच डालकर दावत का मजा ले लिया. लेकिन इसबार बार बेचारी लोमड़ी भूखी ही रह गई. क्योंकि उसका मुहँ सुराही में जा ही नही रहा था. तब लोमड़ी को इस बात का अहसास हुआ कि जैसे मेने बगुले के साथ किया था वह मेरी भी साथ हुआ. और लोमड़ी ने बगुले से माफ़ी मांगी. अब लोमड़ी को समझ में आ गया कि जैसी करनी वैसी भरनी.

moral of the story – इस कहानी से क्या सीख मिलती है. दोस्तों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हम दुसरो के साथ जैसा व्यवहार करते है. वैसा ही वो लोग हमारे साथ व्यवहार करते है. यानी jaisi karni waisi bharni अथार्त जैसा आप लोगो के साथ करोगे वैसा ही आपके साथ भी होगा. इसलिए अपना व्यवहार सभी के साथ अच्छा बनाए रखे.

जैसी करनी वैसी भरनी कहानी no. 2 – चींटी और टिड्डे की कहानी

मानसून आने वाला था. पुरे जंगल में सभी पशु पक्षी अपने अपने खाने और रहने का इंतजाम कर रहे थे. गौरैया चिड़िया अपना घोंसला बना रही थी. गिलहरी जरुरी खाने पीने की चीजो को इक्कठा कर रही थी. जंगल के सभी जीव जंतु अपने अपने काम में व्यस्त थे. ताकि उन्हें बारिश के मौसम में खाने पीने के लिए इधर उधर भटकना ना पड़े. इसी क्रम में नन्ही चीटियाँ भी अपने काम में व्यस्त थी. सभी जीव यही चाहते थे कि, बारिश का मोसम आने से पहले खाने-रहने की तेयारी हो जाए. लेकिन

मनमौजी टिड्डा इससे चिंतामुक्त था. वह न तो कुछ काम कर रहा था न ही जरुरी समान को इक्कठा कर रहा था. इसके बजाए वह निठल्ला टिड्डा इधर उधर बेवजह घूम रहा था. और दुसरो को जो अपने काम में व्यस्त थे उन्हें परेशान कर रहा था. यही नही वह उनका मजाक बना रहा था. और जोर जोर से हँस रहा था. टिड्डा उनसे कहता, तुम इतना काम क्यों. मुझे देखो मै कितने मजे कर रहा हूँ. आओ! तुम भी मेरे साथ खेलो. लेकिन कोई भी उसकी बात सुनता और टाल लेता.

कुछ दिनों बाद मानसून आ गया. मूसलाधार बारिश होने लगी.आकाश में काले काले बादल मंडराने लगे. बिजलिया कड़कने लगी. बादल गरजने लगे. सभी जीव जंतु अपने बनाए आसरो में छुप गए थे. लेकिन टिड्डा कहा जाता. उसने न तो अपने लिए घर की व्यवस्था की थी और न ही खाने की. वह तेज बारिश में पूरा भीग गया. वह खाने के लिए इधर उधर भटकने लगा.

आखिर में वह रोते रोते चीटियों के पास मदद मांगने गया. और बोला प्यारी चीटी मेरी मदद करो. मै भूखा हूँ. चीटियों को टिड्डे पर तरस आ गया. उसने टिड्डे को अंदर आने दिया. टिड्डे को अपने किए पर पछतावा होने लगा.

चींटी टिड्डे को सबक सिखाते हुए बोली जब मेहनत करने के समय तुम मजे कर रहे थे. तो अब क्यों पछतावा कर रहे हो. जैसी करनी वैसी भरनी ये हमेशा अपने दिमाग में रखना.

jaisi karni waisi bharni story in hindi no. 3 – घोड़ा और भैंस

एक बार की बात है. जंगल में एक घोड़े और एक भैंस की आपस में बहुत बनती थी. दोनों पक्के दोस्त भी थे. वे दोनों साथ साथ घास चरने जाते, साथ खेलते और मस्ती करते थे. एक दिन उन दोनों के बीच किसी बात पर बहस छिड़ गई. घोड़ा अपनी बात पर अडिग रहा तो भैंस भी अपनी बात मनवता रहा.बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों में हाथापाई होने लगी. भैस अपने नुकीले सींगों से घोड़े को मरता रहा. लेकिन किसी तरह घोड़ा अपनी जान बचाकर जंगल में भाग गया.

घोड़ा बड़े गुस्से में था. अब उसे भैंस से अपना बदला लेना था. लेकिन अकेला घोड़ा उस भैंस का सामना नही कर सकता था. इस कारण वह जंगल किनारे स्थित एक गाँव में गया. वहाँ एक किसान लकड़ियां काट रहा था. घोड़ा किसान के पास गया. और किसान से बोला, जंगल में एक बहुत बड़ी भैंस है. मुझे उससे अपना बदला लेना है. क्या तुम मेरी मदद करोगे? किसान ने कहा, मै तुम्हारी मदद क्यों करू. भला भैंस को पकड़ कर मै क्या करूंगा. तब घोड़ा बोला, देखो दोस्त वह भैंस बहुत बड़ी है. वह तुम्हे बहुत सारा दूध दे सकती है. जिससे तुम्हारा घर बार चल सके.

किसान को थोडा लालच आ गया. वह घोड़े पर सवार होकर जंगल को और चल पड़ा. भैंस को देखते ही किसान ने उस पर खूब लाठिया बरसाई. इससे भैंस उसके काबू में आ गई. और किसान उस भैस को बांधकर अपने घर ले आया. यह देखकर घोड़ा बहुत खुश होने लगा. उसने अपना हिसाब बराबर कर लिया था. अब घोड़ा जैसे ही वहा से जाने लगा. किसान ने उसे भी बंधी बना लिया. क्योकि वह अब किसान के सवारी करने में काम आता.

जैसी करनी वैसी भरनी कहानी की शिक्षा – घोड़ा, भैंस को फंसा ने के चक्कर में खुद भी फंस गया. और एक गुलाम बनके रह गया. इसलिए कहा जाता है कि, जैसा करोगेवैसा भरोगे यानी जैसी करनी वैसी भरनी (jaisi karni waisi bharni story).

jaisi karni waisi bharni story no. 4 – धनी सेठ की कहानी

एक गाँव में बहुत धनी सेठ रहता था. गाँव वाले सब उसे सेठ जमुनादास जी के नाम से बुलाते थे. वे बड़े परोपकारी और दयालु किस्म के व्यक्ति थे. वे गरीबो की किसी ने किसी तरीके से मदद केते रहते थे. चाहे वह धन रूपी मदद हो या परिश्रम रूपी. इस कारण गाँव में कोई भी व्यक्ति मुसीबत में होता या पैसो की तंगी में होता तो वो सीधा सेठजी के पास आता.

जब भी कोई सेठ जी से कुछ मांगने जाता तो सेठजी का मुनीम सभी से एक सवाल पूछता कि सेठजी का कर्ज इस जन्म में चुकाओगे या अगले जन्म में. कुछ ईमानदार लोग बोलते. जी हम इसी जन्म में सारा कर्ज चूका देंगे. वही कुछ बेईमान लोग सोचते कि अगले जन्म में कौन किसको जानेगा. हम तो अगले जन्म में ही चुकाएंगे.

एक दिन दो चोरो को सेठजी के बारे में पता चला. तो वे दोनों भी चले गए सेठजी के पास मदद मांगने. जब उनसे सवाल पूछा गया कि सेठजी का कर्ज किस जन्म में चुकओंगे. दोनों चोर मन ही मन हँसे. उन्हें तो मजा आ गया. चोरो ने बोल दिया. हम सेठजी का कर्ज अगले जन्म में चुकाएंगे. तभी चोरो की नजर सेठजी की तिजोरी पर पड़ी. जिसमे ढेर सारा पैसा और सोना रखा था. दोनों को लालच आ गया.

दोनों चोरो ने रात को तिजोरी चुराने का प्लान बनाया. दोनों चोर पीछे वाले दरवाजे से सेठजी के घर में घुसे. तभी घर में कुछ उजाला हुआ. तो देखा दोनों चोर भैंस के तबेले में छुपे थे. वहाँ दो भैंस आपस में बाते कर रहे थे. कि मैंने भी सेठजी से अगले जन्म कर्जा लिया था. और कहा था कि अगले जन्म चूका दूंगी. अब देखो मुझे सेठजी के घर भैंस बनकर उनका कर्जा चुकाना पड़ रहा है.

भैंसों की यह बात चोरो ने सुन ली. चोरो को अब समझ में आ गया. वे सुबह होते ही मुनीम जी के पास आए सारा धन वापस कर अपना नाम वहा से कटवा लिया. और फिर चैन की साँस ली.

जैसी करनी वैसी भरनी कहानी की सीख – इस कहानी से यही सीख मिलती है कि जो जैसा करता है वह वैसा ही भरता है. चाहे इस जन्म में हो या अगले जन्म हो. जैसी करनी वैसी भरनी.

जैसी करनी वैसी भरनी कहानी 5 – दो भाई

एक बार दो भाई थे. एक नाम रियां था और दुसरे का नाम जियान था. दोनों ही एक दुसरे के विपरीत थे. रियां का स्वभाव बड़ा सरल और व्यवहारिक था. वही जियान का स्वभाव बिगडेल और अकडू था.रियां अपने भाई को कई दफा समझाता कि वह अपना ऐसा व्यवहार करना छोड़ दे. अन्यथा उसके साथ कुछ बुरा हो सकता है. लेकिन जियान अपने भाई की एक बात नही सुनता. दोनों भाई में कई बार आपस में बहस भी हुई. परन्तु एक दिन तो हद हो गई. जियान परेशान हो कर रियान से अलग हो गया.

कुछ सालो बाद रियान ने अपना एक NGO खोला, जहा वह गरीब बच्चो को फ्री में पढ़ता था. जो की रियान का सपना था कि वह एक दिन NGO चलाएगा. वही जियान पर बईमानी का भूत सवार था. उसने एक ऐसी कम्पनी बनाई जो पैसा लेकर फर्ज बनवाती.

रियान का NGO अच्छा चल रहा था. एक दिन रास्ते में उसने देखा कि कुछ लोग एक व्यक्ति को मार रहे थे. तभी रियान दौडकर उसके पास गया. तब तक वे बदमाश उस व्यक्ति को बेहोशी की हालत में छोड़ गए. रियान ने उस व्यक्ति को अपने कंधे पर उठाया. और पास ही के हॉस्पिटल में लेकर गया. जब उस व्यक्ति को होश आया. तो उसने रियान को धन्यवाद कहा. वह व्यक्ति एक बहुत बड़ा व्यापरी था. उसने रियान से पूछा आप क्या करते हो. रियान बोला, मेरा छोटा सा NGO है. वह व्यापरी खुश हो गया. और रियान के NGO से जुड़ गया.

वही दूसरी और एक बार जियान के पास एक धनी सेठ आया. उसे उससे अपने बेटे के लिए फर्जी इंजीनियरिंग की डिग्री बनवानी थी. जियान बड़ा लालची था. सेठ को देखकर उसके मन में लालच आगया. उसने सेठ से फर्जी डिग्री बनवाने के पांच लाख रुपया मांगे. सेठ ने एक लाख अडवांस देकर वहा से चला गया. कुछ दिनों बाद जियान ने सेठ को उसके बेटे की फर्जी इंजीनियरिंग की डिग्री बना कर देदी.

एक साल बाद जियान के साथ बड़ी दुर्घटना घटी. जिस स्कूल में उसका बच्चा पढता था. उस स्कूल की बिलडिंग गई. इस घटना में जियान का बेटा मर गया. बाद में पता चला कि वह बिलडिंग उसी फर्जी डिग्री वाले सेठ के बेटे ने बनाई थी. यह जानकर जियान को असहनीय धक्का लगा. वह रोते हुए अपने भाई रियान के पास गया. जियान को अपनी करनी पर पछतावा होने लगा.

jaisi karni waisi bharni story की सीख – जैसा करोगे वैसा भरोगे यानी जैसी करनी वैसी भरनी.

मै आशा करता हूँ कि ” jaisi karni waisi bharni ” पर 5 best story आपको प्रेरणादायक और अच्छी लगी होगी. आई होप आपने जैसी करनी वैसी भरनी कहानी को एन्जॉय किया होगा.

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