Portfolio Meaning in Hindi पोर्टफोलियो क्या है विस्तार से जानिए

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इस पूरे आर्टिकल में हम portfolio meaning के अलावा portfolio investment और portfolio management के बारें में चर्चा करेंगे. अगर आप एक शेयर बाजार के निवेशक हैं तो आपको पोर्टफोलियो के बारें में इस लेख को पूरा पढना चाहिए.

portfolio के बारें में हम इस आर्टिकल में निम्न बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे -:

portfolio का मतलब क्या होता हैं: portfolio meaning in hindi

शेयर मार्किट में पोर्टफोलियो का मतलब: portfolio meaning in share market

पोर्टफोलियो कितने प्रकार के होते हैं: types of portfolio in hindi

पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट क्या होता हैं: portfolio invest in share marnet

पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट के प्रकार: types of portfolio investment

पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाता हैं: how make portfolio in shatre merket

पोर्टफोलियो क्यों बनाया जाता हैं: portfolio impiortance in share market

पोर्टफोलियो कैसे देखे: how check portfolio status in broker app(share market)

शेयर मार्किट में पोर्टफोलियो बनाने के फायदे: benefit of portfolio in stock market

क्या पोर्टफोलियो बनाना जरूरी हैं: why portfolio neccessery in share market

पोर्टफोलियो बनाने के नियम: rules for creating a portfolio

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या हैं: what is portfolio management

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Portfolio का मतलब क्या होता हैं: portfolio meaning in hindi

पोर्टफोलियो का मतलब “संग्रह” होता हैं. यहाँ संग्रह का मतलब विभिन्न वस्तुओं से हो सकता हैं, जैसे – स्किल का पोर्टफोलियो(संग्रह), किताबों का पोर्टफोलियो. संग्रह का मतलब किसी भी वास्तु से हो सकता हैं. अगर कोई एम्प्लोयी नौकरी करता हैं तो उसके लिए वर्कलोड का  पोर्टफोलियो(संग्रह) हो सकता हैं. किसी विधार्थी के लिए किताबों, होमवर्क या रिविजन का पोर्टफोलियो हो सकता हैं.

दूकानदार में लिए ग्राहकों का पोर्टफोलियो हो सकता हैं. इस तरह किसी एक मुख्य श्रेणी के उपश्रेणियों के साथ सम्मिलित संग्रह को पोर्टफोलियो कह सकते हैं. 

वैसे हम यहाँ पर केवल शेयर मार्किट से सम्बंधित पोर्टफोलियो के बारें में बात करने वाले हैं. इसलिए आप इसको आगे पढ़ते रहे और जरुरी इनफार्मेशन को महसूस करते जाए.

शेयर मार्किट में पोर्टफोलियो का मतलब: portfolio meaning in share market hindi

शेयर मार्किट में अक्सर आपने पोर्टफोलियो के बारें में जरूर सुना होगा. आपमें से कुछ एक ने पोर्टफोलियो बनाया भी होगा. ऊपर मैंने आपको बताया कि पोर्टफोलियो एक ही उप श्रेणी की विभिन्न वस्तुओं का समूह होता हैं.

शेयर मर्केट में पोर्टफोलियो का मतलब शेयर का संग्रह होता हैं. या आप एसे समझ सकते है कि – एक बास्केट में आपने कई कंपनियों के शेयर को इक्कठा करके निवेश किया हैं.

दुसरे शब्दों में आप पोर्टफोलियो को ऐसे भी समझ सकते हैं – अपने पास मौजूद कैपिटल(पूंजी) को विभिन्न भागों में तोड़कर अलग अलग शेयरों में निवेश करना.

पोर्टफोलियो में हम शेयर के अलावा  विभिन्न बांड्स, डिबेंचर, करेंसी, इनवेस्टेड प्रॉपर्टी या अन्य वित्तीय सम्पति को शामिल किया जा सकता हैं.

आपको एक एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि पोर्टफोलियो को केटेगरी के अनुसार बनाना चाहिए. इसके फायदे के बारें में हम आगे चर्चा करेंगे. अभी के लिए आप इतना ध्यान रख लीजिये कि सुव्यस्थित पोर्टफोलियो आपको निवेश सम्बंधित जटिलताओं से सुरक्षा देता हैं.

मुझे उम्मीद हैं कि अब आप यह समझ गए होंगे कि शेयर मार्किट में पोर्टफोलियो क्या होता हैं. मैं आपको पोर्टफोलियो बनाने के कुछ नियम भी बताऊंगा.

आपको भरोसा हो सके इसलिए जान लीजिये कि मैं भी एक ट्रेडर और इन्वेस्टर हूँ.

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पोर्टफोलियो कितने प्रकार के होते हैं: types of portfolio in hindi

शेयर बाजार में, कई तरह के पोर्टफोलियो होते हैं जिन पर निवेशक अपनी जोखिम सहनशीलता, निवेश लक्ष्य और समय सीमा के आधार पर इन्वेस्ट कर सकते हैं. यहां पोर्टफोलियो के कुछ सामान्य प्रकार दिए गए हैं. यहाँ केवल शेयर मार्किट से सम्बंधित पोर्टफोलियो के बारें में ही बात की गयी हैं दुसरे पोर्टफोलियो को मैंने यहाँ शामिल नहीं किया हैं:

विकास पोर्टफोलियो: Growth Portfolio:

एक ग्रोथ पोर्टफोलियो में का उद्देश्य लम्बे समय तक निवेश करना होता हैं. ग्रोथ पोर्टफोलियो में शामिल की गयी कंपनियों की क्षमता उच्च होती हैं. उन कंपनियों की कमाई और मार्किट विस्तार अधिक होता हैं, जो यह दर्शाती हैं कि आने वाले समय में कंपनी की ग्रोथ बनी रहेगी. इसके फलस्वरूप एसी उम्मीद लगाईं जाती हैं कि पोर्टफोलियो भी बढ़ता रहेगा.

ग्रोथ पोर्टफोलियो में निवेश करने का फायदा यह रहता हैं कि आने वाले समय में नुकसान की प्रायिकता बहुत कम रहती हैं. ग्रोथ पोर्टफोलियो की समय अवधि कई सालों लम्बी होती हैं. इसलिए इससे तुरंत आय उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं.

आय पोर्टफोलियो: Income Portfolio:

एक निश्चित आय प्रवाह की दृष्टि से आय पोर्टफोलियो में निवेश किया जाता हैं. विभिन्न कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले डिविडेंड, बांड, सिक्यूरिटी जिससे करंट या चालू वित्तीय वर्ष में ही लाभ कमाया जा सके – इनको आय पोर्टफोलियो में शामिल किया जा सकता हैं.

आय पोर्टफोलियो अक्सर रिटायर्ड या सीनियर सिटीजन की पसंद होती हैं, जो आय पोर्टफोलियो से एक निश्चित हद तक आय की उम्मीद लगाते हैं.

मूल्य पोर्टफोलियो: Value Portfolio:

एक मूल्य पोर्टफोलियो उन शेयरों में निवेश करने पर केंद्रित होता है जो अक्सर अपने वास्तविक मूल्य से कम मूल्य पर मिलते हैं. या दुसरे शब्दों में कह सकते हैं की मार्किट प्राइस पर अभी सस्ते भाव में मिल रहे हैं.

वैल्यू पोर्टफोलियो में सस्ते शेयरों को इस कद्र चुना जाता हैं कि आने वाले कुछ समय में वे शेयर अच्छा मुनाफा देंगे.

शेयर का मार्किट में कम दाम में बिकने का कारन कोई अस्थायी न्यूज़ हो सकती हैं. जिसके कारण शेयर का भाव अभी वास्तविक प्राइस से नीचे चल रहा होता हैं. ऐसे में इन्वेस्टर इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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video owner – Mr Prajanl Kamra

संतुलित पोर्टफोलियो: Balanced Portfolio:

एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो को कई नजरियों से देखा जा सकता हैं. जैसे कि नाम से ही पता चलता हैं कि यह संतुलित हैं. संतुलित पोर्टफोलियो को एक से अधिक उद्देश्य हेतु बनाया जाता हैं. बैलेंस पोर्टफोलियो को एक आय, ग्रोथ और कुछ हद तक रिस्क के साथ मैनेज किया जाता हैं.

ग्रोथ पोर्टफोलियो से ओवरआल पोर्टफोलियो को बैलेंस किया जाता हैं. वहीँ बांड्स और डिविडेंड से कुछ आय प्राप्त की जाती हैं. इसके साथ ही निवेशक कुछ प्रतिशत की कमाई से रिस्क लेता हैं, जिससे की उसको बड़ा मुनाफा हो सके. इस तरह एक बैलेंस पोर्टफोलियो को बहुत से उद्देश्यों को पूरा करना के लिए बनाया जाता हैं.

सेक्टर-विशिष्ट पोर्टफोलियो: Sector-Specific Portfolio:

आपने सुना होगा कि शेयर मार्किट में अलग अलग कई तरह के सेक्टर होते हैं. जैसे – बैंकिंग, पॉवर, मेटल, फार्मा इत्यादि. कभी कभी आपने यह भी गौर किया होगा कि किसी विशेष परिस्थिति में कोई एक सेक्टर बहुत ही तेजी से ग्रोथ करता हैं.

ऐसे में कुछ इन्वेस्टर बहुत सेक्टर बेस्ड पोर्टफोलियो बनाते हैं, जिनमे एक ही सेक्टर की नामी कंपनियों को साथ में रखते हैं.

इंडेक्स पोर्टफोलियो: Index Portfolio:

एक इंडेक्स पोर्टफोलियो,  इंडेक्स फंड पोर्टफोलियो के रूप में भी जाना जाता है. इसमें विभिन्न इंडेक्स में पैसा लगाया जाता हैं. जैसे – बैंक निफ्टी या निफ्टी 50.  यह बहुत ही अधिक रिस्की होता हैं. इंडेक्स में निवेश करने के ली आप्शन होते हैं, जिसे आप्शन ट्रेडिंग भी कहते हैं. बहुत से ट्रेडर आप्शन ट्रेडिंग बड़े चाव से करते हैं और सारे पैसे को एक साथ डूबा देते हैं. इसीलिए यह सबसे अधिक लोकप्रिय हैं.

 पोर्टफोलियो प्रकार के बारे में निष्कर्ष:

सबसे यह ज्यादा यह महत्वपूर्ण हैं कि आप किस श्रेणी से सम्बंधित रखते हैं. आप एक कम जोखिम के निवेशक हैं तो आपको इंडेक्स और जोखिम से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ समय सीमा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.

बहुत लम्बे समय तक निवेश करने के लिए अतिरिक्त पूँजी का होना आवश्यक हैं. इसलिए पोर्टफोलियो को अपन लक्ष्यों के अनुरूप ही चुनना चाहिए.

पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाता हैं: how make portfolio in shatre merket

शेयर मार्किट में पोर्टफोलियो को कई तरीकों से बनाया जा सकता हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

 यहाँ शेयर बाजार में पोर्टफोलियो को लेकर कुछ स्टेप्स दिए गए हैं. आप इन चरणों को अपने अनुसार अपनी रिसर्च के साथ फॉलो करें.

निवेश लक्ष्य निर्धारित करें:

कोई भी पोर्टफोलियो बनाने से पहले आपको अपने लक्ष्य के बारे में ज्ञान होना चाहिए. पोर्टफोलियो को लॉन्ग टर्म या शोर्ट टर्म बनाना हैं, यह अपने अनुसार ही तय करे.

एक बार जग आप अपनी निवेश अवधि तय कर लेते हैं तो यह निर्णय आपकी बाकि सभी रणनीतियों को प्रभावित करेगा. इसलिए हर स्टेप्स को बहुत सोच समझ कर उठाना चाहिए.

जोखिम सहनशीलता का आकलन करें:

अपने जोखिम सहनशीलता (रिस्क एपेटाईट) स्तर को समझें. आपने कई बार सुना होगा की लोग शेयर मार्किट में बहुत सारा या 100 प्रतिशत कैपिटल को डुबो देते हैं. इसका एक ही कारन हैं रिस्क को मैनेज न करना. रिस्क मैनेज से आप अपने जोखिम को कम कर पाओगे, और अपनी पूँजी को बचा पाओगे.

रिस्क मैनेजमेंट के लिए STOPLOSS को सही से लगाया जाना चाहिए. दूसरा आपको हमेशा शेयर में भाव के ट्रेंड की दिशा में ही चलना हैं. कोई एक अकेला ट्रेंड को बदल नहीं सकता हैं, इसलिए अपनी रिस्क को हमेशा अपनी जेब में लेकर चलना हैं.

परिसंपत्ति आवंटन निर्धारित करें:

आपके पास कुछ कैपिटल हैं और आप उसको निवेश करना चाहते हैं. रिस्क को मैनेज करने के लिए इन्वेस्टर को अपने पैसों को विभिन्न मदों(पीस) के साथ अलग अलग सेक्टर, बांड, डिबेंचर, सिक्यूरिटी, रियल स्टेट में निवेश करना हैं.

ऐसा करने से जोखिम होने की प्रायिकता कम हो जाती हैं. 

रिसर्च के साथ निवेश का चयन करें:

किसी भी कंपनी को पूरी तरह से खंगाल खंगाल कर परख ले. देखिये पोर्टफोलियो में जब आपकी रिसर्च सौ प्रतिशत हो तो भी यह जरूरी नहीं हैं कि सारी कंपनियां मुनाफा ही दे. आपको अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी हैं.

 रिस्क को मैनेज करने के लिए आप अलग अलग सेक्टर भी निवेश कर सकते हैं.

विविधीकरण: (diversified meaning in hindi)

मैंने आपको ऊपर बताया था कि पोर्टफोलियो में अलग अलग शेयरों को शामिल किया जाता हैं. इसलिए एक बेहतर पोर्टफोलियो वहीँ होता हैं जिसमे कई अलग अलग स्टॉक्स हो. पोर्टफोलियो को और अधिक बेहतर बनाने के लिए पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियों को अलग अलग सेक्टर से उठानी चाहिए.

अक्सर कई बार एक सेक्टर से सम्बंधित सभी कंपनियां एक साथ एक ट्रेंड में रैंक करती हैं. ऐसे में यदि मार्किट विपरीत डायरेक्शन में चला जाए तो नुकसान झेलना पड़ सकता हैं.

इसीलिए रैंडम सेक्टर को कंपनियां नुकसान को कम करती हैं और रिटर्न को बढाती हैं.

मॉनिटर और रिव्यु:

कई बार कुछ निवेशक अपने पोर्टफोलियो को सुव्यस्थित करके कई महीनो तक उसका रिव्यु ही नहीं करते हैं. जबकि एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो को नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए.

मार्किट का बदलता रूख शेयर के भाव को प्रभावित करता हैं. इसलिए जब मार्किट में कोई शेयर डाउन होता हैं तो रि-पोजिशनिंग की जा सकती हैं. अगर मार्किट क्रेश की कगार पर हो तो मुनाफे को बहार निकाला जा सकता है और पुनः जब भाव बहुत नीचे की कीमतों पर चल रहा होता हैं तो वापस ख़रीदा जा सकता हैं.

एक निवेशक को मार्किट के सभी रुझानो से परिचित होना चाहिए, इसलिए सही न्यूज़ से अपडेट रहे.

न्यूज़ का सही दृष्टिकोण आपको शेयर मार्किट में एक दिव्य-दृष्टि देता हैं.

सलाह लेने का प्रयास करे:

आपको सलाह और टिप में अंतर मालूम होना चाहिए. यहाँ मैं सलाह की बात कर रहा हूँ ना कि टिप के बारे में. हर बार एसा नहीं होता हैं कि जो हम सोच रहे हैं वहीँ सत्य हैं. इसलिए किसी अनुभवी से सलाह ले लेनी चाहिए. सलाह की समीक्षा आप कर सकते हैं.

मुझे उम्मीद हैं कि अब आप सीख गए होंगे कि एक पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाता हैं(how to create a portfolio hindi)? चलिए अब जाने लेते हैं की पोर्टफोलियो क्यों बनाया जाता हैं?.

पोर्टफोलियो क्यों बनाया जाता हैं: portfolio impiortance in share market

हम रिटेलर निवेशक की श्रेणी में आते हैं. हमारा उद्देश्य होता कि निवेशित राशि पर कुछ मुनाफा मिल सके. पोर्टफोलियो एक अच्छा रिटर्न प्राप्त करने का सुरक्षित या कम जोखिम वाला तरीका हैं. तो पोर्टफोलियो का मुख्य उद्देश्य  घाटे की दर को कम करना है.

पोर्टफोलियो के फायदे के बारे में हम आगे और अधिक बात करेंगे, अभी इतना जान लीजिये कि पोर्टफोलियो में आप अपने सारे अंडे एक टोकरी में रखकर अलग अलग विभिन्न टोकरी में रखते हैं.

पोर्टफोलियो कैसे देखे: how check portfolio status in broker app(share market)

अगर आपके पास किसी ब्रोकर का एप्लीकेशन हैं तो अपने पोर्टफोलियो को चेक कर सकते हैं. लेकिन पोर्टफोलियो को देखने के लिए आपको पहले कुछ कंपनियों में निवेश करना होगा.

पोर्टफोलियो में निवेश कैसे किया जाता हैं यह हमने ऊपर जान लिया हैं. इसके लिए आप ऊपर को पॉइंट्स को वापस दुहरा सकते हैं.

पोर्टफोलियो को देखने के लिए अपने ब्रोकर खाते में लॉग इन करे. लोग इन करने के बाद आपको होल्डिंग्स में जाना हैं. होल्डिंग्स सभी अप्प्स की अलग अलग लेआउट के कारण अलग अलग तरीके से दिख सकता हैं, तो आपको ब्रोकर एप्प की होल्डिंग में जाना हैं.

होल्डिंग में आपको निवेश किये गए शेयर बांड्स और सिक्यूरिटी दिख जायंगे. आप यहीं से इन्हें एक्सेस कर सकते हैं. होल्डिंग में ही आपको प्रॉफिट और लोस दिख जायेगा. अगर आप किसी शेयर को सेल करना चाहते हैं तो यहाँ से सेल कर सकते हैं. अगर आपको और अधिक क्वांटिटी खरीदनी हैं तो यहाँ से ऐड ओन कर सकते हैं.

पोर्टफोलियो की हिस्ट्री भी आप चेक कर सकते हैं. हिस्ट्री में खरीदे गए शेयर की तारिख और भाव को चेक किया जा सकता हैं.

शेयर मार्किट में पोर्टफोलियो बनाने के फायदे: benefit of portfolio in stock market

पोर्टफोलियो के बारे(Portfolio meaning) में आपने अभी तक बहुत कुछ जान लिया हैं. हालाँकि हम पोर्टफोलियो के कई फायदों के बारें में पहले ही पढ़ चुके हैं. लेकिन अलग से सेक्शन रखने का उद्देश्य यह हैं एक निवेशक और प्रभावी रूप से आकृषित हो सके. यहाँ कुछ प्रमुख पोर्टफोलियो के फायदे दिए गए हैं -:

विविधीकरण:

अनुशासन से बनाया पोर्टफोलियो पोर्टफोलियो हमें अपनी पूँजी को विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने की अनुमति देता हैं. जितना अधिक हम पाने पोर्टफोलियो को विविध करते हैं, हमें लोस या जोखिम होने के चांस उतने ही कम हो जाते हैं.

देखिये स्टॉक मार्किट में हर भविष्यवाणी सही नहीं होती हैं, इसलिए हो सकता हैं कि पोर्टफोलियो में कोई स्टॉक ख़राब प्रदर्शन कर रहा हो. इस स्थिति में विविध रूप से बनाया गया पोर्टफोलियो ओल ओवर लोस को कम करता हैं.

जोखिम प्रबंधन(portfolio risk management hindi)

स्टॉक मार्किट में इन्वेस्ट करते हो और रिस्क मैनेज-मेंट का नाम ना सुना हो ऐसा हो ही नहीं सकता. रिस्क मैनेज करने के कई तरीकें हैं. आप जितने रिस्क मैनेज फेक्टर को शामिल करेंगे, आपका प्रॉफिट उतना ही बढ़ता जायेगा. इसे ही एक्यूरेसी कहते हैं.

निवेश में रिस्क मैनेज करने के लिए पोर्टफोलियो भी अच्छा साधन हैं. जरूरी नहीं हैं कि केवल पोर्टफोलियो बनाने से रिस्क होगा ही नहीं. लेकिन अगर पोर्टफोलियो में शामिल किये गए स्टॉक्स को सही से रिसर्च करने के बाद निवेश किया गया हो तो लोस होने के खतरे कम हो सकते हैं.

उदाहरण के लिए -; पोर्टफोलियो में अगर कोई एक सेक्टर मंदी शो कर रहा हो तो भी ओवर आल पोर्टफोलियो ग्रीन रहेगा.  

उच्च रिटर्न की संभावना:

मान लिजिए आपने केवल दो ही कंपनियों में निवेश किया हैं. हो सकता हैं आपकी दोनों कंपनी अच्छा गेम खेल जाए और आपकी पाँचों उंगलियाँ घी में चली जाएँ.

लेकिन यदि एक  कम्पनी खराब और एक अच्छा प्रदर्शन करे तो आपको ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा या कुछ नहीं मिलेगा.

अगर दोनों कंपनी ख़राब प्रदर्शन करे तो आपको भर-भर लोस होगा.

अब मान लीजिये आपकी फंडामेंटल एनालिसिस अच्छी हैं और आपने पोर्टफोलियो में दस या पंद्रह कंपनियों में निवेश किया हैं. तो अब इस बात के बहुत अधिक चांस हैं कि लोस या तो नहीं होगा या बहुत कम होगा. अगर आपको पोर्टफोलियो मैनेज करना आता हैं तो लोस होने का कोई सवाल ही नहीं हैं. हाँ अगर मार्किट क्रेश या पोर्टफोलियो में से कोई एक कंपनी के डूब जाने से एसा हो सकता है. लेकिन इसकी सम्भावना बहुत कम हैं.

हम दों पक्षों की तुलना करते हैं – एक आपने किसी दो या तीन कंपनी में निवेश किया हैं और दूसरा आपने किसी पोर्टफोलियो में निवेश किया हैं.

देखिये मार्किट में अगर लम्बा गेम खेलना हैं तो आपके पास एक सक्सेस की एक्यूरेसी होनी चाहिए.

पहली स्थिति में आप केवल दो या टीम कंपनी में निवेश करते हैं. इसी क्रम में अगर दो या तीन बार आप निवेश करे और लोस हो जाए तो आपकी सारी सायकोलोजी ख़राब हो जाएगी. ऐसे में आप सही डिसीजन भी नहीं ले पाएंगे. और इन्वेस्टिंग करियर ख़राब हो सकता हैं.

पोर्टफोलियो(portfolio meaning in hindi) में आपको दस पंद्रह कंपनी एक साथ मिलती हैं(संख्या 20 आदर्श मानी जाती हैं). अगर आपने सही से सारी कम्पनी को सेलेक्ट किया हैं तो इस बात के बहुत अधिक चांस हैं कि पहले की स्थिति में आपको कई गुना अधिक मुनाफा मिलेगा. देखिये मार्किट में अलग अलग सेक्ट96 र कॉम्पिटिटर हो सकते हैं, इसलिए जब कोई एक कंपनी ख़राब प्रदर्शन कर रही हो तो दूसरी कंपनी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही होगी. इस स्थिति में आपको बार बार मुनाफा मिलेगा.

लचीलापन(लिक्विडिटी) और अनुकूलनशीलता:

शेयर मार्किट में कंपनियों में भाव ऊपर नीचे होते रहते हैं, ऐसे में आपको बाज की नज़र रखनी चाहिए. बाज की नज़र रखने से मेरा तात्पर्य यह नहीं हैं कि आपको हर वक्त चार्ट के सामने बैठना हैं. अलर्ट लगा दीजिये आपको नोटिफिकेशन मिल जायेगा.

देखिये जब भी किसी कंपनी के भाव नीचे गिरते हैं तो आप पोजीशन को रि-पोजीशन कर सकते हैं. मतलब कुछ और क्वांटिटी खरीद सकते हैं. मार्किट का लचीलापन आपको नए अवसर देता हैं. इसलिए इसको व्यर्थ नहीं जाने देना हैं.

मनोवैज्ञानिक लाभ:

जब कभी अचानक शेयर के भाव ऊपर नीचे जाता हैं तो निवेशक अपना आपा खो देते हैं. और हड़बड़ी में कोई डिसीजन ले लेते हैं, जो कहीं न कहीं ठीक नहीं हैं. शेयर मार्किट में 96 प्रतिशत मनोविज्ञान काम करता हैं. अगर मन और दिमाग ही ठीक से काम नहीं करता हैं तो सारी की सारी एनालिसिस और ट्रेडिंग स्किल धरी की धरी रह जाएगी. तो मनोविज्ञान को कैसे ठीक किया जाए?

इसका उतर बड़ा ही सिंपल हैं – अनुशासन.

आप नियम को मत छोड़िये. जिस नियम से आपकी इन्वेस्टिंग बेहतर होती हैं. उसको आप अपने टू डू लिस्ट में लेकर चलिए.

क्या होता हैं कि जब आप लीक से हटकर कुछ करने की कोशिश करते हैं तो वहां अलग अलग संभावनाएं होने की प्रायिकता बढ़ जाती हैं. अलग अलग विकल्प से हम किसी एक निर्णय पर टिक नहीं पाते हैं. अंततः हमारा मनोविज्ञान ख़राब हो जाता हैं.

एक ट्रेडर या निवेशक का स्वास्थ्य भी कई बार प्रभावित हो जाता हैं. इसलिए लीक को नहीं छोड़ना हैं. अगर नियम को फॉलो करते हैं तो इस बात के कई गुना चांस बढ़ जाते हैं कि आप अपने निर्णय पर टिक पाएंगे.

इसे ही मजबूत मनोविज्ञान(सयाकोलोजी) कहते हैं.

कुल मिलाकर, शेयर बाजार में एक पोर्टफोलियो जोखिम प्रबंधन, उच्च रिटर्न, दीर्घकालिक निवेश, अनुकूलनशीलता और मनोवैज्ञानिक लाभ की क्षमता प्रदान करता है। यह निवेशकों को एक सर्वांगीण निवेश रणनीति बनाने और शेयर बाजार की जटिलताओं को अधिक प्रभावी ढंग से नेविगेट करने की अनुमति देता है।

तो अब तक आप पोर्टफोलियो के बारें मे काफी कुछ जान गए होंगे.  

पोर्टफोलियो बनाने के नियम आप ऊपर जान ही गए होंगे. अब एक विषय महत्वपूर्ण हैं, जिस पर चर्चा की जानी चाहिए -: what is portfolio management. पोर्टफोलियो बनाने के नियम इस पॉइंट में आप और अधिक जान जायेंगे. पोर्टफोलियो के नियम का टॉपिक मैं अलग से इसलिए नहीं ले रहा हूँ क्योंकि इससे केवल कंटेंट रिपीट होगा.

पोर्टफोलियो मैनेज कैसे किया जाना चाहिए?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या हैं: what is portfolio management

पहले आप जन लीजिये कि पोर्टफोलियो मैनेज का अर्थ क्या होता हैं?

शेयर मार्किट में हर कोई मुनाफे की नज़र से आता हैं. हर इन्वेस्टर यहीं कोशिश करता हैं, कि उसको ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो. तो उसी मुनाफे के प्रतिशत को बढ़ने के लिए पोर्टफोलियो को सहीं से मैनेज किया जाना चाहिए.  

निवेश करके आप अपने कुछ वित्तीय लक्ष्य तय करते हैं. अगर आपके लक्ष्य पूरे हो जाये तो इसका अर्थ हैं कि आपने अपना पोर्टफोलियो सही से मैनेज किया हैं. अन्यथा अभी आपको कुछ कमियां दूर करनी हैं.

आपके दिमाग में एक सवाल चल रहा होगा कि पोर्टफोलियो को मैनेज कैसे किया जाना चाहिए या पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए किन पॉइंट्स को शामिल किया जाना चाहिए.

पोर्टफोलियो को मैनेज करने की बात करे तो आपको –

  1. अपने सभी स्टॉक्स की कंपनियों की अच्छे से जानकारी होनी चाहिए.
  2. जिन कंपनियों में आपने निवेश कर रखा हैं, उनकी अस्थायी न्यूज़ से आपको अपडेट रहना हैं. तिमाही या वार्षिक रिपोर्ट की डेट को चूकना नहीं हैं.
  3. अगर कोई कंपनी किसी स्थायी कारण से गिर रही हो तो पैनिक होने की बजाय उसको एग्जिट करके किसी दूसरी कंपनी की तलाश में जुट जाना चाहिए.
  4. पोर्टफोलियो मैनेज में आपको अपनी कैपिटल को बहुत सारे स्टॉक्स में डालकर रखना हैं. लगभग 20 कंपनियों में निवेश करके रखे. अगर कैपिटल कम हैं तो कुछ स्टॉक कम रखे जा सकते हैं.
  5. ब्रोकर चार्ज से बचने के लिए आपको बहुत कम पैसे नहीं लगाने हैं. कोशिश करे कि किसी भी कंपनी में पर्याप्त पैसे लगाये. ऐसे में चार्ज का बोझ नहीं पड़ेगा.  
  6. समय समय पर कंपनी के फंडामेंटल की जांच करना.
  7. अगर आप रेगुलर उपस्थित नहीं रहते हैं तो आपको अलर्ट सिस्टम पर काम करना चाहिए. हर वक्त चार्ट एक सामने बैठे रहना सभी के लिए मुमकिन नहीं हैं, इसलिए अपने फिक्स प्राइस पर अलर्ट लगाकर निश्चित हो सकते हैं.
  8. किसी कम्पनी में निवेश करने के बाद हो सकता हैं वह आपके अनुसार बेहतर प्रदर्शन नहीं करे. तो ऐसे में उस कंपनी को पुनः जांचे. और निवेश प्लान बनाये.  

पोर्टफोलियो के बारें (Portfolio meaning in hindi)में हमने इस आर्टिकल में बहुत सारी हासिल को हैं. मैंने आपको न केवल पोर्टफोलियो अपितु कई सारे दुसरे विषयों पर भी जानकारी दी हैं. अगर आप एक इन्वेस्टर या ट्रेडर हैं तो नीचे कमेंट में अपने विचार लिखे. और बताएं कि किस तरह टॉपिक के बारें में नयी पोस्ट लिखी जानी चाहिए.

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