जल प्रदूषण क्या हैं – कारण, प्रभाव, उपाय(water pollution in hindi)

जल प्रदूषण क्या हैं – कारण, प्रभाव, उपाय(water pollution in hindi)


हमको यानि ‘सजीव जगत‘ को जीवित रहने के लिए तीन चीजे – रोटी, कपडा और मकान चाहिए होती हैं. लेकिन अगर इसको थोड़ा और गहराई से समझे तो इन तीनो के उत्पादन में पानी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं. अगर यह घटक ‘पानी’ ही दूषित हो जाये तो, इसके खतरे ही खतरे हैं.

इस विशेष आर्टिकल में, मैं आपको जल प्रदूषण(water pollution in hindi), इसका व्यापक अर्थ(definition), कारण, उपाय बताऊंगा. इसके साथ ही कुछ एसे उदाहारण पेश करूँगा, जिसको जानकर आपका मन ‘जल प्रदूषण’ को लेकर परिवर्तित हो जायेगा, और आप इस विषय को लेकर और सजग हो जाये.

Central Pollution Control Board (CPCB) के अनुसार भारत में प्रतिदिन 62 अरब लीटर शहरों का गन्दा सीवेज नदियों में, बिना उपचारित छोड़ा जाता हैं. फेक्ट्रीयों से भारी धातु, उच्च तापमान का पानी, केमिकल, तेल की गंदगी जब साफ पानी के स्रोतों में जाती हैं तो, इसका असर जलीय प्रजाति, पेयजल, सिंचाई सभी पर कुप्रभाव डालता हैं. चलिए शुरुआत करते हैं जल प्रदूषण के अर्थ और परिभाषा के साथ.

जल प्रदूषण की परिभाषा (definition of water pollution in Hindi)

विज्ञान की नज़र से जल(water) ऑक्सीजन और हाइड्रोजन एक यौगिक हैं. प्रत्येक यौगिक के भौतिक, रासायनिक गुणधर्म होते हैं. चूँकि साधारण जल में कुछ सूक्ष्म जीव भी पाए जाते है, इसलिए जैविक भी इनमे शामिल होते हैं. जब किसी बाह्य स्रोत से जल के रासयनिक, भौतिक और जैविक गुणधर्मों में परिवर्तन आता हैं, तो जल प्रदूषित हो जाता हैं, और इसी को जल प्रदूषण कहते हैं.

जल की गुणवत्ता को प्रभावित करने के लिए “प्रदूषक” जिम्मेदार होते हैं. प्रदूषक का मतलब उन हानिकारक कणों(तत्वों) से हैं, जो जल में जाकर जल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं. जैसे – कार्बन डाइऑक्साइड, सोडियम और कैल्शियम हाइपोक्लोराइट जल के pH मान को बिगाड़ देती हैं, जिसके फलस्वरूप हजारों जलीय प्रजातियाँ इस CO2 के श्वास के कारण ब्रेन डेड और मल्टी ऑर्गन फेलियर जैसी समस्याओं के कारण अपनी जान गवां बैठते हैं. सील, समुद्री शेर, फ्लोरिडा मानेटी, हॉक्सबिल कछुआ कुछ एसी प्रजातियाँ हैं जो जल प्रदूषण के कारण समाप्त होने की कगार पर हैं.

जल प्रदूषित कैसे होता हैं?

मुख्यतर औधोगिक इकाइयों के नजदीक स्थित जल स्रोत बुरी तरह से प्रदूषित होते हैं. यहाँ पर एक समझने वाली बात है की कोई भी जल स्रोत प्रदूषित कैसे होता हैं? नदियाँ, समुद्र या किसी गाँव का कोई तालाब कोई भी जल स्रोत दो तरीकों से प्रदूषित हो सकता हैं – 1 बिंदु स्रोत 2 विस्तृत स्रोत से.


1 बिंदु स्रोत से

किसी B फेक्ट्री के पास A नदी स्थित हैं. फैक्ट्री B के उत्पादन, केमिकल, प्रदूषक इन सभी के बारे में पता लगाया जा सकता हैं. अगर फैक्ट्री B अपने दूषित कचरे को A नदी में डालती हैं तो हमको यह भी पता रहता हैं की A नदी किस प्रदूषक से प्रदूषित हुई हैं. इस प्रकार के प्रदूषण को आसानी से कम किया जा सकता हैं.

2 विस्तृत स्रोत से

इस प्रकार के स्रोत में जल निकाय तो एक ही होता हैं, लेकिन प्रदूषक अलग अलग माध्यमो से आते हैं. प्रदूषकों की वृहद श्रृंखला होने के कारण इस प्रकार को प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर कदम उठाने की जरुरत होती हैं. इस प्रकार के प्रदूषण को खत्म नही किया जा सकता हैं.

जैसे – सभी नदियाँ समुद्र में जाकर मिलती हैं. लेकिन नदियों के साफ़ पानी में प्रदूषक के तौर पर – कृषि के उर्वरक कीटनाशक का पानी, शहरी सीवेज, छोटे मोटे नाले, सैकड़ों फेक्ट्रियां, प्लास्टिक इत्यादि मिलते रहते हैं, इस प्रकार से इसकी श्रृंखला को पहचानना और उपचारित करना अत्यंत मुश्किल हैं. इस प्रकार हुए प्रदूषण से विस्तृत पैमाने पर नुकसान होता हैं.

जल तब प्रदूषित हो जाता हैं, जब जल में प्रदूषक प्रवेश कर जाते हैं, जो जल की रासायनिक, भौतिक और जैविक गतिविधियाँ को बिगाड़ देते हैं. जल की गुणवत्ता को प्रभावित कर प्रदूषित करने के आधार पर प्रदूषक दो प्रकार के हो सकते हैं. 1 जैविक रूप से नष्ट होने वाले 2 जैविक रूपसे नष्ट न होने वाले

1 जैविक रूप से नष्ट होने वाले


घरों से निकलने वाला कचरा(कार्बनिक) जब जल स्रोतों में प्रवेश करता हैं तो, यह कचरा जलीय जीवों के लिए भोजन बन जाता है, और वे इनको खाकर इस प्रकार के कार्बनिक प्रदूषको को खत्म कर देते हैं.

2 जैविक रूपसे नष्ट न होने वाले


इस प्रकार के प्रदूषक सामान्य परिस्थितियों में समाप्त नहीं होते हैं. इस प्रकार के प्रदूषक में – प्लास्टिक, हॉस्पिटल का कचरा, कृषि उर्वरक, फेक्ट्रीयों के भारी धातु, केमिकल आते हैं. जो जल स्रोतों की ऑक्सीजन स्तर(Biochemical oxygen demand (BOD)) को कम कर देते हैं.

जल प्रदूषण के कारण और प्रकार(types of water pollution in hindi)

कृषि के रासायनिक उर्वरक

खेती और पशुधन के लिए सतह पर उपलब्ध पानी का 70 फीसदी पानी कृषि के लिए दोहन किया जाता हैं. अत: कृषि क्षेत्र वैश्विक ताजे पानी के संसाधनों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. कुछ समय पहले कृषि के लिए जैविक खाद और प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता था. लेकिन कृषि के लिए उपयोग में आने वाला उर्वरक जल प्रदूषण का प्रमुख कारण बन गया है. उर्वरकों में नाइट्रोजन, पोटाश(पोटेशियम), फोस्फोरस (जिसे NPK भी कहा जाता हैं) मुख्यतर हैं.

बारिश के समय उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी से धुलकर पानी में मिल जाते हैं, रोगजनक – बैक्टीरिया और वायरस पानी में जाकर मिल जाते हैं. नाइट्रोजन और फास्फोरस की अधिकता के कारण यह तत्व जल प्रदूषण को बढ़ाता हैं और पानी की गुणवत्ता के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

सीवेज और अपशिष्ट जल

शहरों में घरों से निकला कचरा, सिंक का पानी, सीवेज इत्यादि कचरा अपशिष्ट के रूप में निकलता हैं. इसके अलावा दैनिक कार्यो में उपयोग आने वाला कचरा जैसे – प्लास्टिक, मेडिकल सामग्री इस प्रकार की सामग्री जब जल स्रोतों में जाकर मिलती हैं तो उस स्रोत का पानी सैकड़ों स्पीशीज के लिए खतरा बन जाता हैं.

आयल पोल्यूशन

हर दिन सड़कों पर चलने वाले ट्रकों और वाहनों से तेल टपकता रहता हैं, इस प्रकार का तेल और गैसोलीन विशाल समुद्रों के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. इसके अलावा कारखानों, खेतों(उर्वरकों), शहरों से निकलने वाला तेल(अनुमानित आंकड़ा 1 मिलियन टन हर साल) जल स्रोतों में जाकर मिल जाता हैं.इसके अलावा जहाजों से निकलने वाला तेल भी जल प्रदूषण का स्रोत हैं.

रेडियोधर्मी पदार्थ

बड़े बड़े रिसर्च सेंटरों द्वारा छोड़े जाने वाले राकेट, मिशाइलें, हथियार परिक्षण से कई सारी विकिरणें उत्पन्न होती हैं, इस प्रकार का कचरा विसाल स्तर पर प्रदूषण का कारण बनता हैं. चिकित्सा और अनुसन्धान के लिए रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग करते हैं. इस प्रकार का रेडियोधर्मी कचरा हजारों वर्षों तक पर्यावरण में बना रह सकता है, जिससे निपटान एक बड़ी चुनौती हो सकती हैं.

इसके अलावा युरेनियम खनन या परिक्षण के दौरान अपशिस्ट को शील्ड में बंद करके जमींन के अन्दर दबा दिया जाता हैं. कई बार इस प्रकार की शील्ड लीक हो जाती हैं और हजारों लोगो के लिए खतरा बन जाती हैं. इस प्रकार की घटना केरल में हो चुकी हैं, जिसने हजारों लोगो की जान पर प्रश्न उठा दिया था.

डंपिंग(कचरे का बाज़ार)

बीच या जल स्रोतों के नजदीक अक्सर कचरों का ढेर देखने को मिल जाता हैं. इस प्रकार के कचरें में सभी प्रकार के प्रदूषक मिल जाते हैं. जैसे – सॉफ्ट प्लास्टिक, सॉलिड प्लास्टिक, एल्युमिनियम से लेकर ग्लास, स्टायरोफोम मिल सकता हैं. सभी कचरे को पानी में सड़ने में अलग-अलग समय लगता है, इसलिए वे जलीय जीवन को तब तक नुकसान पहुंचाते हैं जब तक कि उनका क्षरण न हो जाता हैं.

अम्ल वर्षा

अम्लीय वर्षा कोई प्राकृतिक कारण नहीं हैं, जबकि वायु प्रदूषण इसका मुख्य कारण हैं, जब वायुमंडल प्रदूषकों से भर जाता हैं, तो वर्षा चक्र में यह कण शामिल हो जाते हैं, यह वर्षा सांस्कृतिक धरोहरों से लेकर मानव, जल स्रोतों को प्रभावित करती हैं.

औद्योगिक अपशिष्ट

औद्योगिक अपशिष्ट में फेक्ट्रीयों से निकलने वाला सीसा, अभ्रक, पेट्रोकेमिकल्स और पारा होता है। ये रसायन मानव और जलीय जीवन दोनों के लिए अत्यधिक खतरनाक हैं।

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जल प्रदूषण के प्रभाव (effects of water pollution)

इस पर्यावरण में सभी प्राणियों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती हैं. अगर सीधे शब्दों में कहे तो “प्रदूषण मारता हैं”. ताजे आंकड़े के अनुसार पूरे विश्व में 2 अरब लोग प्रदूषित जल को पीते हैं, जिसमे से 485000 लोग उचित उपचार के अभाव में अपने जान गँवा देते हैं. ये लोग मुख्यतार उन इलाकों में रहते हैं, जहाँ पर औधोगिक इकाइयां ज्यादा हैं. प्रदूषक, किसी स्रोत नहीं बल्कि पूरे पर्यावरण को प्रभावित करते हैं. अत: प्रदूषण पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों पर असर डालता हैं.

मानव स्वास्थ्य पर जल प्रदूषण का प्रभाव

दूषित पानी किसी को भी बीमार सकता हैं. हर साल दूषित पानी लगभग 1 अरब लोगों को बीमार करता हैं. दूषित पानी से हैजा, पेशिच, दस्त, पोलियो, टायफाइड बुखार ये सभी जलजनित रोग बिलकुल आम हैं. इसके अलावा त्वचा रोग, आँखों में संक्रामक, जलन जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं.
दूषित जल स्रोतों के निकट रहने वाले पशु, जलीय जीव प्रजातियों पर बहुत बूरा असर पड़ता हैं.


जब पानी में प्रदूषकों की मात्रा बढती हैं तो अनियमित रूप से हरी प्रजाति पैदा हो जाती हैं, जो पानी से सम्पूर्ण ऑक्सीजन को खीच लेती हैं, जिसके कारण पानी में Biochemical oxygen demand (BOD) की कमी हो जाती हैं जिसके कारण बहुत सरे जीवो का मानसिक संतुलन कमजोर हो जाता हैं, और बहुत प्रजातियाँ समाप्त हो जाती हैं. अत पर्यावरण पर भी इसका बहुत बूरा असर पड़ता हैं.

पर्यावरण पर

स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक हैं कि पूरी श्रंखला के सभी स्तर पर जानवरो, पौधे, कवक, बेक्टीरिया संतुलन और स्वस्थ हों. अगर इस श्रंखला में एक स्तर भी प्रभावित होता असर तो इसका पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता हैं, जिससे पूरे पर्यावरण को खतरा हो सकता है.

जब प्रदूषक किसी झील या समुद्र में प्रवेश करते हैं तो पोषक तत्वों का प्रसार पौधे और शैवाल के विकास को उत्तेजित करता है, और अनियमित रूप से बढ़ते हैं और पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देते हैं. ऑक्सीजन की यह कमी, जिसे यूट्रोफिकेशन के रूप में जाना जाता है, पौधों और जानवरों का दम घुटता है और “मृत क्षेत्र” बना सकता है.

कुछ मामलों में, ये हानिकारक शैवाल न्यूरोटॉक्सिन भी पैदा कर सकते हैं जो व्हेल से लेकर समुद्री कछुओं तक वन्यजीवों को प्रभावित करते हैं।
औद्योगिक और फेक्ट्रीयों से निकला अपशिष्ट जल से रसायन और भारी धातुएं जल स्रोतों को दूषित करते हैं. ये संदूषक जलीय जीवन के लिए जहरीले होते हैं – अक्सर जीव के जीवन काल और पुनरुत्पादन की क्षमता को कम करते हैं – और खाद्य श्रृंखला को प्रभावित कर देते हैं.

समुद्री में जलीय जीवों को समुद्री मलबे से भी खतरा है, जो जानवरों का गला घोंट सकते हैं, उनका दम घुटा सकता है, और उन्हें भूखे रहने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इस सॉलिड मलबे में से कई, जैसे कि प्लास्टिक की थैलियां और सोडा कैन इत्यादि तूफ़ान के साथ नालियों में बह जाते हैं और अंततः समुद्र में चले जाते हैं, जो हमारे महासागरों को कचरा के डंपिंग में बदल देते हैं. मछली पकड़ने के लिए तैयार किए गए उपकरण और अन्य प्रकार के मलबे समुद्री जीवन की 200 से अधिक विभिन्न प्रजातियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं।

प्रदूषित जल और समुद्र के लवण की केमिकल क्रिया के कारण समुद्र का अम्ल प्रभावी हो जाता हैं, जो शेलफिश और कोरल के जीवित रहने के लिए खतरा बन रहा है।

जल प्रदूषण के उपाय(solution of water pollution in hindi)

इसमें कोई दोराय नहीं हैं की मानव ने पर्यावरण को पीड़ित करने के लिए हस्तक्षेप न किया हो. इस पूरे जगत में मानव ही सबसे बड़ा प्रदूषक हैं. हर इन्सान के अन्दर कुछ शैतान छिपे हुए हैं. उसमे लालच, पैसे की भूख, बिज़नेस कॉम्पीटिशन कुछ नकारात्मक एकतरफा विचार भरे हुए है. जो उसकी आँखों के सामने कुछ पट्टिया बांध देती हैं, जिससे उसको यह पर्यावरण अदृश्य हो जाता हैं. मुझे, आपको, सभी को बदलने की जरुरत हैं, पर्यावरण के फायदों को जानने की जरुरत हैं.

स्थति इतनी बदतर हो चुकी कि इससे बदतर स्थिति देखने के लिए हम बचेंगे नहीं. इसलिए हमारे पास अभी भी वक्त हैं बदलने के लिए, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं. जल प्रदूषण एक व्यापक समस्या हैं, जिसका हल कोई एक नहीं निकाल सकता हैं. अगर मैं आपसे निवेदन कर सकता हूँ तो आप भी आगे इसको साझा कर सकते हैं. जल प्रदूषण के दुष्परिणाम को देखकर अपने आपको प्रेरित कीजिये और लोगो को भी इसके प्रति उजागर कीजिये.

अपनी तरफ से योगदान दे

आज जल प्रदूषण समस्या के लिए हम सभी कुछ हद तक जवाबदेह हैं। सौभाग्य से, कुछ सरल तरीके हैं जिनसे आप जल के प्रदूषण को रोक सकते हैं या कम से कम इसके योगदान को सीमित कर सकते हैं.

जहाँ तक हो सके प्लास्टिक की खपत को कम करें, यदि संभव हो तो उसको पुन: उपयोग में लाये. रासायनिक क्लीनर, तेल, और गैर-बायोडिग्रेडेबल(न खत्म होने वाली) वस्तुओं का उचित निपटान करें. अपनी कार का रखरखाव करें ताकि उसमें तेल, एंटीफ्ऱीज़र या शीतलक का रिसाव न हो। यदि आप एक किसान हैं तो खेती में उर्वरक कम से कम उपयोग में लाये.

अपनी आवाज के साथ

यह समस्या किसी एक की नहीं हैं. इसलिए जब कभी मौका मिले तो इन विषयों में पूरा समर्थन देना हैं. किसी संघटन के साथ खड़े रहे, इसके समर्थन में बोले. जल प्रदूषण को लेकर अगर कोई फेक्ट्री नियमों का उलंघन करती हैं तो जरूर उसके विरोध में खड़े रहे.

चलिए अब मैं आपके साथ एक ऐसा किस्सा शेयर करता हूँ जिससे आपको कुछ मोटिवेशन मिल सके.

कैलिफोर्निया में एक शहर जिसका नाम अरकाटा हैं. अरकाटा में कुछ लोग रहने के लिए आये, जब उन्होंने देखा की उनके शहर के आस पास गन्दगी बहुत हैं तो उन्होंने बहुत आधुनिक तकनिकी से उस इलाके को पूर्ण रूप से प्रदूषण से मुक्त कर दिया. यह एक प्रकार का प्रयास था, जो यह दिखता हैं कि अगर कुछ ठान लिया जाये तो कुछ भी असंभव नहीं हैं.

अरकाटा के निवासी प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए हम्बोल्ड स्टेट यूनिवर्सिटी के पास गए. वहां से सुझाव माँगा की पानी को कैसे उपचारित करे. तो यूनिवर्सिटी वालों ने बताया की आपको इस पानी का उपचार करना होगा, इसके लिए आप दो तरीके अपना सकते हैं. एक कन्वेंशनल और दूसरा मोर्डेन. कन्वेंशनल में अवसादन(sedimentation) और फ़िल्टरेशन जैसे कदम उठाने होते हैं.

अरकाटा वासियों ने इस जल क्षेत्र जो की 60 हेक्टेयर में था, उसको छोटे छोटे टुकड़ों में बाँट दिया. फिर सबसे पहले पानी को फ़िल्टर करवाया उसके बाद जो भी गन्दगी थी उसको जमींन में दबवा दिया. फिर उस पानी में क्लोरिन डाल दिया. इसके बाद उन्होंने वहां पर कॉलोनी को बसाना चालू कर दिया(कॉलोनी – पानी में नील हरित शैवाल या एल्गी).

इस कॉलोनी ने उस पानी में स्थित भारी धातु, अविलेय कण, रासायनिक अशुद्दियां को वहां से साफ कर दिया. इस प्रकार से वह पानी काफी हद तक साफ हो गया और वहा पर प्राकृतिक जीवन जैसे मछलियों, कछुओ ने रहने चालू कर दिया. अरकाटा अभी देखने में बहुत सुन्दर लगता हैं. जिन लोगो ने इसको शुद्ध करने में अपना योगदान दिया उनको friends of arcata marsh कहते हैं.

आपने क्या सीखा –
इस विशेष पोस्ट में मैंने आपके साथ जल प्रदूषण के बारें में बहुत सारी जानकारी शेयर की हैं. जल प्रदूषण की परिभाषा, इसका अर्थ, इसके प्रकार, कारण और इसको कैसे कम करे. अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो आप मेरे ब्लॉग पर्यावरण ज्ञान को सब्सक्राइब कर सकते हैं.

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