प्रदूषण क्या हैं (Pollution in Hindi) – परिभाषा, प्रकार और कारण

प्रदूषण क्या हैं(WHAT IS POLLUTION)

प्रदूषण(polllution), पर्यावरण में हानिकारक चीजो की शुरुआत हैं. प्रदूषण क्या हैं(pollution in hindi), ‘प्रदूषण के प्रकार’ और इसके कारणों की चर्चा आगे करेंगे. प्रदूषण को समझने के लिए पहले पर्यावरण के अर्थ को समझना चाहिए. पर्यावरण के अंतर्गत सजीव और निर्जीव सभी शामिल होते हैं, जो पृथ्वी के स्थल, वायु और जल मंडल में रहते हैं, जल,वायु और स्थल के पूरे आवरण(envelopment) को पर्यावरण कहा जाता हैं.

जब प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यावरण के भीतर कोई ऐसा कारक(प्रदूषक) प्रवेश करता हैं, जो पर्यावरण के प्राकृतिक संघटन प्रभावित करता हैं तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं. इसी को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता हैं. विज्ञान की भाषा में पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक ई.पी. ओड्म (E.P. Odum) ने निम्न दी हैं.

प्रदूषण की परिभाषा(pollution defination in hindi)

पर्यावरण(वायु, जल, स्थल) के संदर्भ में प्रदूषण का तात्पर्य – जब पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक संघटन में होने वाले अनचाहे बदलाव जो मानव जीवन(living), निर्जीव(non living) की जीवन की परिस्थितियों के लिए हानिकारक हों.
मित्रों, सजीव और निर्जीव दोनों पर्यावरण के ही उप भाग हैं. अत: पर्यावरण प्रदूषण का हानिकारक प्रभाव समस्त मानव जाति के साथ साथ सांस्कृतिक धरोहरों पर भी पड़ता हैं.

प्रदूषक(Pollutants) क्या होते हैं

प्रदूषक की परिभाषा – ऊपर मैंने आपको बताया था की पर्यावरण में जब हानिकारक तत्व(पर्दाथ) प्रवेश करते हैं तो पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं, इन हानिकारक तत्वों(पर्दाथो) को ही प्रदूषक कहा जाता हैं. जैसे – मोबाइल टावर(antennas) से निकली गैर आयनीकरण किरणें(non-ionizing), सीवेज(Sewage), नदियों में प्रवाहित अपशिष्ट तेल, फसलों में अति-रासायनिक उर्वरक, ट्रक से निकला कार्बन मोनो-ऑक्साइड(CO), सल्फर डाई ऑक्साइड( SO2), प्रशीतलक मशीनों से निकली ग्रीन हाउस गैसे – ये सभी प्रदूषक(Pollutants) हैं.

जिन कारक के माध्यम से पर्यावरण दूषित होता हैं, उन कारको को प्रदूषक(Pollutants) कहते हैं. पर्यावरण प्रदूषण को गहराई से समझने के लिए प्रदूषकों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.

1 जैव निम्नीकरणीय(Biodegradable Pollutants)

जैव निम्नीकरणीय में उन प्रदूषकों को शामिल किया जाता हैं जिसका अपघटन प्रकृति में ही हो जाता हैं. जैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों का अपघटन पर्यावरण में मौजूद सूक्ष्मजीवों द्वारा ही हो जाता हैं. जैसे – वनों की कटाई, छाया को सामाप्त कर देती हैं, वनों की कटाई के फलस्वरूप मिट्टी की कटाई(अपरदन) हो जाती हैं. रसोई घर के अपशिस्ट, मॉल मूत्र इत्यादि. इस प्रकार की क्रियाओं से उत्पन्न प्रदूषण को प्रकृति इस प्रकार संतुलित(RESOLVE) करती हैं, कि इसका पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं. इस प्रकार का प्रदूषण पारिस्थिकी को प्रभावित नहीं करता हैं,
जैव निम्नीकरण प्रदूषक को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता हैं.

2 जैव अनिम्नीकरणीय (Non-biodegradable Pollutants)

जैव अनिम्नीकरणीय में उन प्रदूषकों को सम्मिलित किया जाता हैं जिनका अपघटन प्राकृतिक तौर पर प्रकृति द्वारा नहीं होता हैं. लम्बी श्रृंखला वाले यौगिक, कृत्रिम संश्लेषित पर्दाथ, कांच इस प्रकार के प्रदूषकों का अपघटन प्रकृति में नही होता हैं. इनको पुन: चक्रित किया जा सकता हैं, लेकिन समाप्त नहीं.

3 जहरीले पर्दाथ

जहरीले पर्दाथ में विषाक्त पर्दाथों को सम्मिलित किया जाता हैं. फसलों में दिए जाने वाले कीटनाशक, फेक्ट्रीयों से निकलने वाला धुआं और जहरीला बहिस्त्राव(पानी, तेल, रसायन) को जहरीले प्रदूषक में शामिल किया जाता हैं. अगर इन विषाक्त पर्दाथो का प्रवेश पारिस्थिकी के किसी एक श्रृंखला में हो जाता हैं, तो फिर हर स्तर पर यह सभी जीवधारियों को प्रभावित करती हैं. जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं.

प्रदूषण के प्रकार(pradushan kitne prakar ke hote hain)

प्रदूषकों के आधार पर पर्यावरण प्रदूषण को विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता हैं. पर्यावरण की परिभाषा के अनुसार मुख्य तौर पर प्रदूषण को तीन भागों में विभाजित किया गया हैं, लेकिन मुख्य भागों के अलावा प्रभागों को भी मुख्य तौर पर ही लेंगे, क्योंकि इन बिन्दुओं का भी पर्यावरण पर उतना ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं जितना की मुख्य भागों का पड़ता हैं. अत: पर्यावरण प्रदूषण को – जल प्रदूषण(Water Pollution), वायु प्रदूषण(Air Pollution), भूमि प्रदूषण(Soil Contamination) के अलावा और भागों में भी विभाजित किया गया हैं, वर्तमान की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण को दस भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.

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उद्योगों द्वारा जल निकायों(जैसे – झीलों, नदियों, तालाबों, सागरों) में प्रवाहित हानिकारक जल, रसायन, तेल जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं. प्रदूषित जल का उपयोग करना सजीव प्राणियों(जलीय प्रजाति सहित) के लिए अत्यंत विनाशकारी हो सकता हैं.

सम्पूर्ण पृथ्वी पर उत्पादित सभी प्रदूषकों की एक बहुत बड़ी मात्रा जल स्रोतों में मिल जाती हैं. कृषि में उपयोग में आने वाले उर्वरक रसायन, उद्योगों का अपशिष्ट इत्यादि जल स्रोतों में जाकर पूरी प्रजाति या बड़ी आबादी का सफाया कर सकती हैं, या महामारी को जन्म दे सकती है. इस प्रकार जल प्रदूषण का पर्यावरण, समाज और किसी देश की अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता हैं.

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वायु प्रदूषण के अंतर्गत जहरीली गैसे, जैविक अणु जैसे प्रदूषक शामिल होते हैं, जो वायुमंडल में कणों के रूप में जम जाते हैं. वायु प्रदूषण के प्रदूषक प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों के अलावा कई सारे स्रोतों से उत्पन्न हो सकते हैं.
ज्वालामुखी विस्फोट, चूना विस्फोट, ऑटोमोबाइल, और औद्योगिक अपशिष्ट, आदि, वायु प्रदूषण स्रोतों के कुछ उदाहरण हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन(CFC), एरोसोल स्प्रे आदि वायु प्रदूषक के कुछ उदाहरण हैं. वायु प्रदूषण पृथ्वी पर सभी सजीवों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अत्यधिक हानिकारक होता हैं.

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पर्यावरण में मिट्टी समस्त पादप प्रजाति, पौधें, फसलों के लिए आवश्यक हैं. मिट्टी की गुणवता में अगर गिरावट हो जाये तो इसकी पैदावार प्रभावित होगी. ख़राब गुणवता वाली मिट्टी पर उगाई गई फसलों पर होने वाली पैदावार भी दूषित होती हैं. इन फसलों के उपयोग से स्वास्थ्य में बदलाव आता हैं.

भूमि प्रदूषण में प्रमुख प्रदूषक हानिकारक औद्योगिक और कृषि रसायन हैं. इन रसायनों के अति दोहन से भूमि प्रदूषण के साथ साथ जल प्रदूषण भी होता हैं. इस प्रकार किसी एक प्रदूषक के पारिस्थिकी तंत्र में प्रवेश करने पर सम्पूर्ण श्रृंखला प्रभावित होती हैं.

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भारी यातायात और मशीनरी के कारण होने वाला शोर प्रदूषण हमारे रोजमर्रा के जीवन में एक आम उपद्रव हैं. जब पर्यावरण में अनावश्यक या अप्रिय ध्वनियों का अनुपात बढ़ जाता हैं, और इनकी तरंगे जानवरों और पौधों के लिए हानिकारक साबित होने लगती हैं इसको ध्वनि प्रदूषण कहा जाता हैं.
भारी वाहन, मशीनें, फेक्ट्रियां, ऊँची आवाज़ में चलने वाले संगीत, भीड़ या चिल्लाते हुए लोग ये सभी ध्वनि प्रदूषण के आम स्रोत हैं. लम्बे समय तक इस प्रकार का प्रदूषण दिल के रोग, चिडचिडापन, कान के रोग को जन्म दे सकते हैं. ऊँची आवाज़ में चलने वाली फेक्ट्रीयों में काम करने वाले मजदूरों का मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।

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कुछ वर्षों पहले प्लास्टिक को एक प्रदूषण का स्रोत नहीं जाता था, लेकिन इसके अति दोहन और निम्नीकरण न होने के कारण यह पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं. वर्तमान समय में प्लास्टिक पारिस्थिकी तंत्र के साथ साथ भूमि, जल और वायु प्रदूषण में पूरा पूरा योगदान दे रहा हैं. प्लास्टिक का वातावरण को प्रदूषित करने का प्रमुख कारण प्लास्टिक का एक गैर-बायोडिग्रेडेबल(नष्ट न होने वाला) पदार्थ होना हैं.

प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण में प्लास्टिक के संचय के कारण होता है। प्लास्टिक पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए बेहद खतरनाक और हानिकारक है। हर साल प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हजारों जानवर अपनी जान गंवा देते हैं। दुनिया में उत्पन्न होने वाले अधिकांश प्लास्टिक अपशिष्ट महासागरों में समाप्त हो जाते हैं जहां वे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र(समुद्री जीव) को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।

  • 6 रेडियोधर्मी प्रदूषण(Radioactive Contamination)
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आपको याद होगा जब हीरोशामा नागाशाकी में(1945 में) परमाणु बम गिराया गया था, तब से लेकर अभी तक वहां की प्रजाति में विविधता हैं. इसका कारण हैं – रेडियोधर्मी द्वारा जीवों के आनुवांशिकी गुणों में परिवर्तन करना. आयनिक किरणें, अल्फा कण, गामा किरणें, न्युट्रोंनस – ये कण प्रकाश की गति से भी तेज चलते हैं. ऐसे पदार्थ पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए अत्यधिक विषाक्त हैं।

कॉस्मिक किरणें, न्यूक्लियर हमले और हथियार, विभिन्न किरणों पर होने वाले प्रयोगो के कारण पर्यावरण में अवांछनीय किरणों का घनत्व बढ़ जाता हैं. ऐसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से शरीर की विभिन्न प्रणालियों(DNA STRUCTURE) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, कैंसर का कारण भी हो सकता हैं.

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कृत्रिम रूप से प्रकाश द्वारा रात के वातावरण के साथ खिलवाड़ को प्रकाश प्रदूषण कहा जाता है. इस प्रकार का प्रदूषण सड़कों की अत्यधिक रौशनी, स्टेडियमो में उपयोग होने वाली फ्लड लाइट, औधोगिक क्षेत्रों में उपयोग की जाने वाली रौशनी आदि के कारण होता हैं. प्रकाश प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र, और जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।

  • 8 तापीय प्रदूषण(Thermal Pollution)
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पानी की बड़ी मात्रा में जब तापमान परिवर्तित होता हैं, तब यह तापीय प्रदूषण का रूप ले लेता हैं, और एक बड़े ओहदे पर पर्यावरण को प्रभावित करता हैं. तापीय प्रदूषण से पानी की गुणवता में गिरावट आती हैं. क्योंकि गर्म पानी जलीय वनस्पतियों और जीवों के लिए आदर्श जीवन स्तर प्रदान नहीं करता है।
उदाहरण के लिए, जब बिजली संयंत्रों में शीतलक के रूप में या उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले पानी को प्राकृतिक जल निकाय में छोड़ा जाता है, तो प्राकृतिक स्रोतों के तापमान में बदलाव आता हैं, तो इस क्रिया में प्राकृतिक तत्वों की सरंचना प्रभावित होती हैं.

इसके प्रभाव से उस क्षेत्र में रहने वाले वनस्पति और जीव जो पहले एक विशेष तापमान सीमा के अनुकूल थे, इस पानी के तापमान में इस अचानक परिवर्तन से मारे जा सकते हैं। इस प्रकार, जलीय जीव समूह तापीय प्रदूषण के कारण एक ताप के झटका को अनुभव करते है।

  • 9 दृश्य प्रदूषण(Visual Pollution)
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हमारी आँखे सभी रंगों के लिए सवेंदनशील नहीं हैं. कुछ रंगों लगातार देखने पर आखों की गतिविधि प्रभावित होती हैं. हर कोई हरियाली और सुव्यस्थित चीजों को देखना पसंद करता हैं. इन सुन्दर दृश्यों के बजाय जब वातावरण बदसूरत और अव्यस्थित हो जाता हैं तो इस प्रकार के प्रदूषण को दृश्य प्रदूषण कहा जाता हैं.
कूड़े कचरे को खुले में डालना, बिजली के तारों का नेटवर्क,गन्दी दीवारें दृश्य प्रदूषण के उदहारण हैं. इस प्रकार का प्रदूषण व्याकुलता, आंखों की थकान, विचारों में विविधता और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याएं उत्पन्न करता है।

  • 10 कचरा(Littering)
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जब मनुष्यों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों का उचित तरीके से निपटान नहीं किया जाता है, तो इसे “कचरा”कहा जाता है। कचरे में ऐसी कोई भी चीज शामिल हो सकती है जैसे बोतलों, कांच, पैकेजिंग सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, धातु अपशिष्ट आदि के उपयोग के बाद मनुष्यों द्वारा खुले पर्यावरण में त्याग दी जाती हैं. इनमें से कुछ प्रदूषक जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी, टायर, आदि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। जब इस तरह के कचरे से रसायन मिट्टी में रिसते हैं या जल निकायों में प्रवेश करते हैं, तो वे मिट्टी के प्रदूषण और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

ऊपर हमने पर्यावरण प्रदूषण के दस प्रकारों के बारें में जाना. पर्यावरण प्रदूषण के कारण प्राकृतिक और मानवीय दोनों हो सकते हैं. प्रकृति से होने वाले अधिंकाश प्रदूषण प्रकृति से ही संतुलित हो जाते हैं लेकिन मानवीय क्रियाओं से उत्पन्न प्रदूषण संतुलन की सम्भावना बेहद कम होती हैं, यहाँ पर बेतरतीब मानवीय योगदान से होने वाले प्रदूषण के बारे में मुख्य बिन्दुओं का संक्षेप में विस्तार दिया गया हैं.

यातायात वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषक जैसे – नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं, जो वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं. ट्रांसपोर्ट के लिए या व्यक्तिगत कार्यों के लिए कार जैसे वाहनों के अति उपयोग से कार्बन मोनो ऑक्साइड(CO) उत्सर्जित होता हैं.

वाहनों से निकले धुएं के अलावा जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली संयंत्र भी व्यापक पैमाने पर प्रदूषण की समस्या पेश करते हैं. इन इंधन में सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी गैसे निकलती हैं, जो सीधी वायुमंडल में मिल जाती हैं, जो पर्यावरण के लिया खतरा उत्पन्न करती हैं.

औद्योगिक संयंत्रों और कारखानों से निकला प्रदूषित कचरा बहुत बड़े पैमाना पर पर्यावरण को प्रदूषित करता हैं.

कृषि गतिविधियाँ में उपयोग आने वाले रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक(अमोनिया, पोटाश) मिटटी प्रदूषण के साथ जल प्रदूषण के साथ साथ जब इस तरीके से उत्पन्न अनाज का सेवन जब जीव करते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता हैं.

प्राकृतिक कारण में ज्वालामुखी, जंगल की आग और धूल भरी आंधियां प्रकृति में पैदा होने वाली घटनाएं हैं जो पर्यावरण में बड़े पैमाने पर प्रदूषण करती हैं। इसके अलावा बाढ़ के कारण मिटटी अपरदन को इसमें शामिल किया जा सकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण में घरेलू गतिविधियाँ सबसे मुख्य हैं, मानवीय क्रियाओं में प्लासटिक का दोहन, प्रशीतलक(AC), वाहनों में प्रशीतलक, घर का अपशिस्ट कचरा पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देता हैं. आम घरेलू रसायन, ब्लीच, लम्बी श्रृंखला वाले डिटर्जेंट इनडोर वायु प्रदूषण का एक प्राथमिक स्रोत है।

सिगरेट और सिगार के इस्तेमाल से तम्बाकू का धूम्रपान भी हवा में जहरीले प्रदूषक छोड़ता है।

सीमाओं पर होने वाले युद्धों में उपयोग आने वाले न्यूक्लियर हथियारों से, फेक्ट्रीयों में उत्पादित होने वाले हानिकारक रसायन, केमिकल पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं.

अगर मानवीय और प्राकृतिक कारणों की तुलना की जाये तो – इस प्रकृति(पर्यावरण) का विनाश मानव ने ही किया है. जैसे जैसे तकनीकी ने अपना विस्तार किया हैं, मानव ने उसके साथ सैकड़ों प्रयोग किये, लेकिन इन प्रयोगों के दुष्परिणाम के लिए कदम तब उठाये जब पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम सामने आते हैं. जब ट्रक का अविष्कार हुआ तब Pollution Under Control Certificate (PUCC) का नाम और निशान नहीं था. लेकिन जब वाहनों का धुआं वायु प्रदूषण का अहम हिस्सा बन गया, तब जाकर कोई इंजनो में आधुनिक तकनीकों से प्रदूषको को कम करने के लिए कदम उठाये.
इन सभी कारणों में ‘मानव’ सबसे मुख्य प्रदूषक हैं. जितने भी कृत्रिम स्रोत हैं, सभी का संश्लेषण मानव ने ही किया हैं.

इस पोस्ट में आपने क्या जाना…

इस पोस्ट में मैंने आपको बताया की प्रदूषण क्या होता हैं?(pollution in hindi), प्रदूषण के प्रकार और कुछ प्रदूषण के कारण बतायें, और इस पोस्ट में सभी बिन्दुओं पर संक्षेप में चर्चा की हैं. विस्तार से जानने के लिए दूसरी पोस्टों को भी पढ़े. पर्यावरण से सम्बंधित आर्टिकल को पढने के लिए आप हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब भी कर सकते हैं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार भी लिख सकते हैं.

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